पटना: बिहार में छठ पूजा का विशेष महत्व है. चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व की शुरुआत 17 नवंबर से होगी. समापन 20 नवंबर को होगा. छठ पर्व मनाने के लिए बड़ी संख्या में प्रवासी घर लौटते ही हैं. इस दौरान महानगरों के स्टेशनों पर जबरदस्त भीड़ देखने को मिलती है. बिहार आने वाले हवाई जहाज का किराया भी विदेश जाने के मुकाबले काफी अधिक होता है. इसका कारण बड़ी संख्या में बिहार से बाहर रहनेवाले लोग बताये जाते हैं. इसको लेकर लंबे समय से राजनीति चल रही है.
आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के आंकड़ेः बिहार में पलायन का दर्द काफी पुराना है. मगर इस वक्त छठ को लेकर घर लौट रहे लोगों की भीड़ को देखकर फिर से यह दर्द उठा है. इसका कारण है 7 नवंबर को विधानसभा में पेश की गयी जाति गणना और आर्थिक सर्वे रिपोर्ट. दरअसल इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कुल 53 लाख 10 हजार 978 लोग बिहार से बाहर दूसरे राज्य या फिर दूसरे देश में रोजगार या शिक्षा के लिये गये पलायन कर गये हैं.
"कोरोना के समय भी स्किल मैपिंग की गई थी. हालांकि उसके आधार पर बहुत कुछ नहीं किया गया. प्लान रोकने के लिए और अब तो ऑथेंटिक डाटा सरकार के पास आ गया है. उच्च वेतन के लिए लोग बाहर जाएं तो अच्छी बात है. लेकिन, 15 000 रुपए के लिए बाहर जा रहे हैं तो ऐसे में सरकार को औद्योगिक क्षेत्र पर ध्यान देना होगा. कृषि पर पहले से ही काफी भार है."- एनके चौधरी, अर्थ शास्त्री
पलायन पर राजनीतिः इतनी बड़ी संख्या में लोगों के पलायन को लेकर राजनीति भी जारी है. भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रेम कुमार का कहना है कि सरकार लगातार कहती रही है कि पलायन कम हो गया है. लेकिन, सरकार के आंकड़ों से ही साफ है कि पलायन रुका नहीं है. अब सरकार को इस पर काम करना चाहिए. जो आंकड़े उपलब्ध हुए हैं उसके बाद इस पर काम करना चाहिए.
"सरकार ने जब जातीय करना की रिपोर्ट तैयार करवाई है, आगे उस पर योजना भी बनेगी. जो भी वंचित हैं पिछड़े हैं, उन्हें मुख्य धारा में लाया जाएगा. पलायन रोकने पर भी काम होगा."- मृत्युंजय तिवारी, आरजेडी प्रवक्ता