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Bihar Caste Census 2023: बिहार में कल से शुरू होगी जातीय जनगणना, पहले मकानों की होगी गिनती - पहले चरण में मकानों की गिनती

बिहार में जाति आधारित जनगणना (Caste Census in Bihar) की शुरूआत कल यानी 7 जनवरी से हो रही है. जातीय जनगनणा दो चरणों में करायी जाएगी. इसको लेकर लेकर प्रशासनिक तैयारी पूरी हो गई है. जाति आधारित जनगणना की जिम्मेवारी सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपी गयी है. पढ़ें पूरी खबर

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Published : Jan 6, 2023, 9:38 AM IST

पटना: बिहार में नए साल के पहले हफ्ते से ही जातीय जनगणना की शुरूआत होने जा रही है (Bihar Caste Census 2023). पहले चरण में आवासीय मकानों की गिनती होगी. पटना के VIP इलाकों से इसकी शुरूआत होने जा रही है, जहां अधिकारियों और विधायकों, मंत्रियों के आवास हैं. कल से शुरू होने वाले जातीय गणना (Bihar Caste Census Starts From January 7) के पहले चरण में हर-एक मकान का नंबर डाला जाएगा. इसके आलावा घर के मुखिया का नाम और घर के मेंबर्स का नाम दर्ज किया जाएगा.

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बिहार में 7 जनवरी से जातीय जनगणना : पटना जिले में कुल 45 प्रक्षेत्र बनाए गए हैं. छह गणक खंड पर एक पर्यवेक्षक की तैनाती की गई है, यानी 2116 पर्यवेक्षक प्रतिनियुक्ति किए गए हैं. सभी गणना कर्मियों को इसके लिए प्रशिक्षण दिया गया है. पटना में 23 प्रखंड, 1 नगर निगम, 12 नगर परिषद, 4 नगर पंचायत और 1 छावनी परिषद है. पटना जिले में 4000 से अधिक गणना खंड जातीय जनगणना के लिए बनाए जाएंगे. यह गिनती 21 जनवरी तक चलेगी.

इन कागजातों को रखें दुरुस्त: जैसा कि पहले चरण में मकानों की गिनती होगी जबकि दूसरे चरण में उन मकानों में रहने वाले लोगों की गिनती अप्रैल महीने में होगी. उस वक्त प्रगणक (जनगणना अधिकारी) घर पर दस्तक देंगे तो आपको कुछ जरूरी कागजात अपने साथ रखने होंगे. क्योंकि फॉर्म में संबंधित निवासी के डिटेल भरे जाएंगे. इसके तहत जाति, पेशा सहित 26 कॉलम का फॉर्म भरा जाएगा. जाति की गणना डिजिटल माध्यम से भी की जाएगी और इसमें एंड्राइड फोन का प्रयोग होगा. फोन में मौजूद एक खास ऐप से हर वर्ग, हर घर के लोगों का पूरा डिटेल भरा जाएगा. जिसमें जाति और उपजाति का अलग से कॉलम रहेगा.

204 जातियों की गणना होगी: पटना जिले में जिन 204 जातियों की गणना की जाएगी उसमें सबसे अधिक अति अत्यंत पिछड़ा वर्ग- 113, एसटी- 32, पिछड़ा वर्ग- 30, एससी- 22 और सामान्य वर्ग की 7 जातियां शामिल हैं. जनजातियों में नौ उपजातियां भी हैं. उसी प्रकार भूमि जो अनुसूचित जाति है, सरकारी दस्तावेजों के अनुसार यह मुंगेर, भागलपुर व पूर्णिया जिले में ही अब तक दर्ज है.

आखिरी बार कब हुई थी जातिगत जनगणना: पिछली जाति आधारित जनगणना 1931 में की गई थी, लेकिन तब उसे प्रकाशित नहीं किया गया था. उस समय पाकिस्तान और बांग्लादेश भी भारत का हिस्सा थे. तब देश की आबादी 30 करोड़ के करीब थी, अब तक उसी आधार पर यह अनुमान लगाया जाता रहा है कि देश में किस जाति के कितने लोग हैं.

मंडल कमीशन के आंकड़ें: मंडल कमीशन के आंकड़ों के आधार पर कहा जाता है कि भारत में ओबीसी आबादी 52 प्रतिशत है. आज भी उसी आधार पर देश में आरक्षण की व्यवस्था है. जिसके तहत ओबीसी को 27 फीसदी, अनुसूचित जाति को 15 फीसदी तो अनुसूचित जनजाति को 7.5 फीसदी आरक्षण मिलता है. ऐसे में ओबीसी नेता जातिगत जनगणना की मांग करते रहे हैं, जिसके चलते साल 2011 में सोशियो इकोनॉमिक कास्ट सेंसस सर्वे (SECC) आधारित डेटा जुटाया था. इसमें करीब 4 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च किए गए थे, लेकिन इसे प्रकाशित नहीं किया गया.

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