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कोरोना मरीजों की संख्या में आ रही है कमी, टेस्टिंग बढ़ाए जाने से मिल रहे बेहतर परिणाम - corona infected patient decreased in patna

राजधानी पटना में पहले की तुलना में अब कोरोना मरीजों की संख्या में कमी आई है. लोग अब पहले से ज्यादा जागरूक हो गए हैं और बाहर निकलने पर मास्क का प्रयोग कर रहे हैं.

कोरोना
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Published : Sep 5, 2020, 8:09 AM IST

पटनाःकोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए सरकार के किए गए प्रयासों और संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी एहतियातों का लोगों पर असर हुआ है. इसका नतीजा यह है कि राजधानी पटना में हाल के दिनों में कोरोना के नए मामलों में गिरावट दर्ज की गई है. पीएमसीएच में अब पहले की तुलना में नए मरीजों की संख्या आधी हो गई है.

पीएमसीएच

पीएमसीएच के प्राचार्य डॉ विद्यापति चौधरी ने बताया कि हाल के दिनों में संक्रमण के मामले में गिरावट देखी गई है. अस्पताल में रोजाना लगभग 400 rt-pcr टेस्ट होते हैं और 160 के करीब एंटीजन टेस्ट हो रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

लोग पहले से ज्यादा हुए जागरूक
डॉ विद्यापति चौधरी ने बताया कि 1 महीने पहले आरटी पीसीआर से 60 से 65 मरीज पॉजिटिव मिलते थे और एंटीजन किट से 32 से 35 की संख्या में पॉजिटिव मरीज मिलते थे. अब rt-pcr से 30 से 35 की संख्या में मरीज मिल रहे हैं और एंटीजन किट से 8 से 10 की संख्या में मरीज मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि संक्रमण के मामले कम आ रहे हैं इसका मतलब यह है कि लोग अब पहले से ज्यादा जागरूक हो गए हैं और बाहर निकलने पर मास्क का प्रयोग कर रहे हैं.

डॉक्टर विद्यापति चौधरी, प्रिंसिपल पीएमसीएच

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'आज के हालात में है काफी सुधार'
पीएमसीएच के कोविड-19 वार्ड के प्रभारी सह उपाधीक्षक डॉक्टर अरुण अजय ने कहा कि एक महीना पहले के हालात और आज के हालात में काफी अंतर आया है. अब हालात पहले से बेहतर हैं. उन्होंने कहा कि संक्रमण के नए मामले में कमी देखी जा रही है. एक महीना पहले जहां कोविड-19 वार्ड में रोजाना 12 से 14 नए मरीज एडमिट हो रहे थे वहीं, अब यह औसतन चार से पांच की संख्या रह गई है.

डॉ अरुण अजय, कोविड-19 वार्ड के प्रभारी चिकित्सक

टेस्टिंग की संख्या बढ़ाए जाने से हुई कमी
डॉक्टर अरुण अजय ने कहा कि संक्रमण के मामले इसलिए कम हुए हैं कि सरकार ने टेस्टिंग की संख्या बढ़ाई है. अब संक्रमण का जैसे ही पता चलता है तो पेशेंट को आइसोलेट कर दिया जाता है या फिर जरूरत पड़ती है तो उसे हॉस्पिटल में एडमिट कर लिया जाता है. ऐसे में मरीज के परिजन भी जागरूक हो जाते हैं और संक्रमण का फैलाव भी कम हो जाता है.

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