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वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन के बाद बुद्धिजीवियों ने जताया शोक, निकाला कैंडल मार्च - Candle march in patna

महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह को सम्मान देने के लिए राजधानी में कैंडल मार्च निकाला गया. इस कैंडल मार्च में शहर के वकील, प्रोफेसर, शोधार्थी और छात्र शामिल और महान गणितज्ञ को श्रद्धांजलि अर्पित किया.

Vashistha Narayan Singh

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Published : Nov 18, 2019, 2:45 AM IST

पटना: राजधानी में बुद्धिजीवियों ने महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह को सम्मान देने के लिए कैंडल मार्च निकाला. यह कैंडल मार्च कारगिल चौक से लेकर गांधी मैदान के गांधी मूर्ति तक पहुंचा. जहां गांधी मूर्ति के पास वशिष्ठ नारायण सिंह के पोस्टर पर कैंडल जलाकर बुद्धिजीवियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया. इस कैंडल मार्च में शहर के वकील, प्रोफेसर, शोधार्थी और छात्र शामिल हुए.

'जीना पड़ा गुमनामी का जीवन'
कैंडल मार्च में शामिल हाईकोर्ट के वकील चंद्र किशोर तिलक ने कहा कि वशिष्ट बाबु महापुरुष थे और वे प्रेरणा स्रोत हो सकते है. उन्होंने कहा कि सरकार के रवैए के कारण जो एक टैलेंट प्रेरणा स्रोत हो सकता था, उसे गुमनामी का जीवन जीना पड़ा और गुमनामी में ही उनका अंत हो गया. हाईकोर्ट के वकील ने कहा कि वशिष्ठ नारायण सिंह महान गणितज्ञ थे और मरणोपरांत उनको सम्मान मिलना चाहिए. साथ ही कहा कि हमलोग सरकार से मांग करते हैं कि उनकी जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियां वशिष्ट बाबु के शोध को जान सके और समझ सके.

कैंडल मार्च निकालकर जताया शोक

'मिलना चाहिए उचित सम्मान'
मार्च में शामिल सुधा मिश्रा ने बताया कि इस बात की ग्लानि है, कि आज तक उनकी अनदेखी हुई है. अब से ध्यान देना होगा कि बिहार के ऐसे महान टैलेंट की अनदेखी ना हो और मरणोपरांत वशिष्ट बाबु को उनका उचित सम्मान मिलना चाहिए.

भारत रत्न देने की मांग
रजनी कुमारी ने कहा कि जीते जी उन्हें सम्मान नहीं मिला सका, लेकिन कम से कम मरने के बाद उन्हें सम्मान मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि वशिष्ट बाबु को मरोणोपरात भारत रत्न मिलना चाहिए और उनके शोध को बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए, ताकि इतिहास के पन्नों में महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का नाम खोए नहीं.

महान गणितज्ञ को श्रद्धांजलि अर्पित करते लोेग

पीएमसीएच में हुआ निधन
बता दें कि महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का गुरुवार को पीएमसीएच में निधन हो गया था. इसके बाद पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई. वहीं, वशिष्ठ नारायण सिंह की अंतिम यात्रा में बड़ी तादाद में लोग पहुंचे. राजकीय सम्मान के साथ बिहार विभूति का अंतिम संस्कार किया गया.

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