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Patna News: अब IGIMS लैब में कैंसर और एईएस सैंपल की होगी जांच, कोरोना के मामले नियंत्रित

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Published : Feb 28, 2023, 11:06 PM IST

सूबे में कोरोना नियंत्रित होने के बाद अब आईजीआईएमएस के जिनोम सीक्वेंसिंग लैब में विभिन्न प्रकार के कैंसर और एईएस के सैंपल की जांच (Cancer and AES sample test in Patna IGIMS Lab) होगी. अबतक कोरोना के सैंपल की जांच कर उसके वैरिएंट का यहां पता लगाया जा रहा था, लेकिन अब यहां कैंसर पर फिर से शोध होगा. पढ़ें पूरी खबर..

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पटना: बिहार की राजधानी पटना स्थित आईजीआईएमएस प्रबंधन ने निर्णय लिया है कि अस्पताल में स्थित प्रदेश के एकमात्र जिनोम सीक्वेंसिंग लैब (IGIMS Genome Sequencing Lab ) में अब कोरोना के सैंपल के बजाय विभिन्न प्रकार के कैंसर के सैंपल और एक्यूट एन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के सैंपल की जांच की जाएगी. पता लगाया जाएगा कि इसका कारण क्या है. ऐसा निर्णय इसलिए लिया गया. क्योंकि प्रदेश में कोरोना अब पूरी तरह नियंत्रित हो चुका है.

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आईजीआईएमएस में जिनोम सीक्वेंसिंग का काम हो रहा थाः बताते चलें कि जिनोम सीक्वेंसिंग लैब में कोरोना के समय विभिन्न जिलों से रेंडम सैंपल कलेक्ट करके उनकी जांच की जा रही थी और पता लगाने की कोशिश की जा रही थी कि वैरिएंट में कहीं कोई बदलाव तो नहीं हो रहा है और जो वायरस फैल रहा है उसका वैरिएंट क्या है. आईजीआईएमएस के मेडिकल सुपरीटेंडेंट सह डिप्टी डायरेक्टर डॉ मनीष मंडल ने बताया कि आईजीआईएमएस के पास अपना इम्यूनोलॉजी लैब है. यहां बीमारियों के कारण और उसके निदान के बारे में शोध किया जाता है.

कोविड में बढ़ गया था लोडःडाॅ मनीष मंडल ने बताया कि अभी तक इस लैब को कोविड की बीमारी में यूज किया गया. इसके अलावा जिका वायरस के समय यूज किया गया. अब इन बीमारियों के मामले काफी घट गए हैं और इम्यूनोलॉजी लैब का लोड कम हुआ है. अब एईएस और कैंसर जैसी बीमारियों पर शोध करने का काम शुरू किया गया है. उन्होंने कहा कि जैसा कि सभी जानते हैं कि बिहार में गर्मी का दिन शुरू होते ही खासकर मुजफ्फरपुर के इलाके में एईएस के मामले बढ़ जाते हैं.

अब लैब में एईएस पर शोध होगाः मनीष मंडल ने कहा कि लोग कहते हैं कि एईएस लीची खाने से होता है, लेकिन अब तक इसका कोई सटीक कारण नहीं पता चल पाया है. ऐसे में इसको लेकर शोध करने का निर्णय लिया गया है और इसके लिए मुजफ्फरपुर में टाटा मेमोरियल का जो हॉस्पिटल खुला है उससे आईजीआईएमएस का करार हुआ है कि जो भी एईएस के मामले उनके पास आएंगे तो उसका सैंपल आईजीआईएमएस भेजेंगे और यहां पता लगाने का काम किया जाएगा कि इस बीमारी का कारण क्या है. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि बीमारी का कारण इस लैब से पता चल जाएगा.

गॉलब्लैडर के कैंसर की होगी जांच: डिप्टी डायरेक्टर ने कहा कि बिहार में विभिन्न क्षेत्रों में गॉलब्लैडर के कैंसर के मामले अधिक मिलते हैं और विशेष क्षेत्र में अलग-अलग प्रकार के कैंसर के मामले अधिक मिलते हैं. ऐसे में इन सब तमाम बीमारियों पर शोध होगा और अलग-अलग प्रकार के कैंसर के सैंपल का इस लैब में जांच की जाएगी और उसका जेनेटिक स्ट्रक्चर पता लगाने की कोशिश की जाएगी. बिहार की जनता को बताया जाएगा कि कौन सी बीमारियां किस वजह से होती हैं और उसका बचाव कैसे होगा और ट्रीटमेंट क्या होगा.

"आईजीआईएमएस के पास अपना इम्यूनोलॉजी लैब है. यहां बीमारियों के कारण और उसके निदान के बारे में शोध किया जाता है. भी तक इस लैब को कोविड की बीमारी में यूज किया गया. इसके अलावा जिका वायरस के समय यूज किया गया. अब इन बीमारियों के मामले काफी घट गए हैं और इम्यूनोलॉजी लैब का लोड कम हुआ है. अब एईएस और कैंसर जैसी बीमारियों पर शोध करने का काम शुरू किया गया है"-डॉ मनीष मंडल, डिप्टी डायरेक्टर आईजीआईएमएस

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