बिहार

bihar

ETV Bharat / state

CAIT ने PM मोदी को लिखा खत, अमेजन के खिलाफ कार्रवाई के लिए हस्तक्षेप की मांग

ई-कॉमर्स में अमेजन (Amazon) की हेराफेरी पर अमरीकी सीनेटरों की सक्रियता और भारत में चुप्पी पर कैट (CAIT) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को चिट्ठी लिखकर मामले में हस्तक्षेप की गुजारिश की है. पत्र में कहा गया है कि इस विषय पर पीएम संज्ञान लेकर कर संबंधित मंत्रालयों और सरकारी एजेंसियों को तुरंत कार्रवाई करने का निर्देश दें. इसके साथ ही देश के रिटेल व्यापार पर विस्तृत चर्चा के लिए प्रधानमंत्री से मिलने का समय भी मांगा गया है.

CAIT
CAIT

By

Published : Oct 21, 2021, 10:05 PM IST

पटना:कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने देश के ई-कॉमर्स (E-commerce) में विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के द्वारा की जा रही धांधली और मनमानी के विरोध में रोष जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को पत्र भेजकर सीधे हस्तक्षेप का आग्रह किया है. कैट ने अपने पत्र में अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि भारत में अमेजन (Amazon) की धांधली को लेकर अमरीकी सीनेट के लगभग 15 सदस्य तो सक्रिय हो गए, लेकिन भारत से ही जुड़े संगीन मामलों पर सभी मंत्रालयों और सरकारी विभागों की चुप्पी देश की प्रशासनिक व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करती है. हैरत की बात ये भी है कि पिछले 5 वर्षों से बार-बार कहने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है, लिहाजा अब इस मुद्दे पर पीएम का सीधे हस्तक्षेप करना जरूरी हो गया है.

ये भी पढ़ें:व्यापारियों ने Amazon और Flipkart के खिलाफ अभियान छेड़ने के लिए कसी कमर

पत्र में कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया, राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल और बिहार अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा ने देश के ई-कॉमर्स व्यापार की वर्तमान परिस्थितियों की ओर याद दिलाते हुए कहा कि जिसमें विदेशी धन से पोषित दुनिया की प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों ने वर्ष 2016 से देश के कानून और नियमों का खुले रूप से घोर उल्लंघन करते हुए ई-कॉमर्स व्यापार पर एक तरह से अपना कब्जा ही नहीं जमा लिया है, बल्कि उसको बंधक भी बना लिया है लेकिन बेहद खेद है कि न तो किसी मंत्रालय ने अथवा सरकारी प्रशासनिक विभाग ने इसका कोई स्वत: संज्ञान लिया है. इसको रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है.

उन्होंने कहा कि इससे साफ तौर पर ऐसा प्रतीत होता है कि देश के नियमों ने इन कंपनियों के आगे घुटने टेक दिए हैं, तभी ये कंपनियां बिना किसी डर के खुले रूप से ई-कॉमर्स व्यापार में अपनी मनमानी कर रहीं हैं, लेकिन लगाम कसने वाला कोई तंत्र नहीं है. अफसोस तो इस बात का भी है कि सबूतों के साथ शिकायत करने के बाद भी इसकी रोकथाम के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया. केवल व्यापारियों के द्वारा दायर शिकायतों पर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा जांच शुरू करने की रस्मी कार्रवाई ही हुई है. जिस धीमी गति से जांच चल रही है, देश के व्यापारी उससे कतई संतुष्ट नहीं है. किसी सार्थक परिणाम की कोई उम्मीद भी नहीं है. फेमा कानून के उल्लंघन की जांच प्रवर्तन निदेशालय पिछले दो वर्षों से अधिक समय से कर रहा है, लेकिन उसकी भी जांच का कोई पता नहीं है. हमारा यह निश्चित मत है कि यह अमरीकी कंपनियों के द्वारा सीधे तौर पर एक आर्थिक आतंकवाद है.

ये भी पढ़ें: CAIT ने अमेजन को बताया वैश्विक कानूनी अपराधी, CBI जांच की मांग की

कैट बिहार चेयरमैन कमल नोपानी, अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा और महासचिव डॉ. रमेश गांधी ने कहा कि पिछले सप्ताह एक वैश्विक समाचार एजेंसी ने अमरीकी कंपनी अमेजन पर सबूतों के साथ बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अमेजन भारत के उद्योगों के उत्पाद की नकल कर उन्हें अपनी व्यवस्था के जरिये बनवाती है और फिर बेहद कम दामों पर उनको बेच कर ई-कॉमर्स व्यापार पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर रही है. इससे भारत का लघु उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. यही नहीं अमेजन अपने पोर्टल पर सर्च व्यवस्था में हेराफेरी कर अपने उत्पादों को शीर्ष पायदान पर रखकर अन्य विक्रेता व्यापारियों के व्यापार को रोकती है. यह सीधे तौर पर प्रधानमंत्री के 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के सर्वथा विरुद्ध है, क्योंकि इनकी कुटिल नीतियों का शिकार देश का लघु एवं माध्यम उद्योग और व्यापारिक वर्ग है.

कैट बिहार के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुकेश नंदन और संयुक्त महासचिव आरसी मल्होत्रा ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि एक तरफ तो भारत में अमरीकी कंपनी अमेजन द्वारा इस तरह की अस्वस्थ व्यापारिक नीति को बेहद गंभीर विषय मानते हुए अमरीकी सीनेट के लगभग 15 सीनेटरों, जिसमें दोंनो राजनैतिक दल डेमोक्रैट एवं रिपब्लिक शामिल हैं, ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इसका स्वत: संज्ञान लिया और अमरीकी सीनेट की जुडिशल कमेटी तथा एंटी ट्रस्ट कमेटी ने इस पर कार्यवाही शुरू की है, लेकिन दूसरी तरफ खेद का विषय है कि भारत से संबंधित मामला होते हुए भी अभी तक देश के किसी भी मंत्रालय अथवा प्रशासनिक निकाय ने इसका कोई संज्ञान ही नहीं लिया है. ऐसा प्रतीत होता है कि उनके लिए यह बेहद साधारण मामला है. जबकि अमेजन की यह नीति देश के छोटे व्यापारियों को तबाह करने की एक सोची समझी साजिश है. किसी भी तरफ से त्वरित न्याय न मिलने के बाद कैट को मजबूरन प्रधानमंत्री मोदी के प्रत्यक्ष हस्तक्षेप करने के आग्रह के लिए विवश होना पड़ा है.

ये भी पढ़ें: अमेजन के वकीलों की ओर से अधिकारियों को रिश्वत देने का मामला, CAIT ने की CBI जांच की मांग

कैट बिहार सचिव शशि नायक ने यह भी कहा कि इस संबंध में यह भी उल्लेख करना आवश्यक है कि दो वर्षों में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल ने अनेक बार विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर मजबूती से कहा है कि देश के कानून और नियमों का पालन अक्षरशः करना होगा, लेकिन उनके इस वक्तव्य को भी विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों ने कोई तवज्जो नहीं दी और लगातार देश के कानून और नियमों का खुला उल्लंघन हो रहा है. जिसका कोई संज्ञान किसी ने नहीं लिया. माननीय उच्चतम न्यायालय एवं कर्नाटक तथा दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा भी अमेजन और फ्लिपकार्ट की व्यापारिक नीतियों पर सख्त टिपण्णी की है, इसके बावजूद प्रशासनिक व्यवस्था पर उसका भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा, जो बेहद अफसोसजनक है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details