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लॉक डाउन से कैब मालिक और ड्राइवर परेशान, नहीं मिल पा रही दो वक्त की रोटी - bihar latest news

पटना सचिवालय के नजदीक रहने वाले कैब ऑनर सोनू नाज कहते हैं कि उनके पास दो गाड़ियां है. एक कैब वह खुद 10 सालों से चलाते आ रहे है और दूसरी कैब उनके छोटे भाई चलाते हैं, लेकिन लॉकडाउन के चलते अब रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो गई है.

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Published : Apr 11, 2020, 4:24 PM IST

पटनाः हर किसी ने कभी न कभी कैब की सवारी तो जरूर की होगी. कैब की सवारी सबसे आसान सवारी मानी जाती रही है. कैब ड्राइवर्स पूरी सुरक्षा के साथ आपको मंजिल तक पहुंचाने का जिम्मा उठाते हैं और पूरी सुरक्षा के साथ हमेशा हमे या आपको मंजिल तक पहुंचा ही देते है और आज इस लोक डाउन के दौरान इन कैब ऑनर और ड्राइवरों की जिंदगी काफी दयनीय हो गई है. कैब ऑनर और कैब ड्राइवर कहते हैं कि इस लॉक डाउन में उनके सामने परिवार चलाने की सबसे बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है.

लॉक डाउन के कारण कैब चालकों को हो रही परेशानी
राजधानी के गर्दनीबाग रोड नंबर 20 में रहने वाले कैब ड्राइवर सन्नी कहते हैं कि वह पिछले 11 सालों से कैब चला रहे हैं और पिछले 3 सालों से ओला कैब चला रहे हैं. आज इस लॉक डाउन के दौरान हालात यह है की आंखों में आंसू भर कर पूरा परिवार चलाने की मजबूरी उनके सामने आन खड़ी हुई है.

सड़कों पर सन्नाटा
रोज कमा लेते थे 500 से 600 रु और आज पॉकेट में एक रुपए भी नहीं
सन्नी कहते हैं कि ओला कैब चलाकर वह रोजाना 500 से 600 रुपये कमा लेते थे पर इस लॉक डाउन में हालात यह है कि धीरे-धीरे कुछ जमा पैसे भी खत्म हो गए और अब घर में रखा राशन भी खत्म हो गया है. वहीं, सन्नी कहते हैं कि आसपास के लोगों ने उनके परिवार की यह स्थिति देखकर कभी आटा तो कभी चावल दे दिया. जिससे इन दिनों उनका और उनके परिवार का पेट बमुश्किल से भर पा रहा है और आज हालात यह है कि घर में रखे राशन के बर्तन से राशन खत्म हो गया है.
लॉक डाउन में खाली पड़ी कार

गर्दनीबाग रोड नंबर 20 में नहीं पहुंचाई जा रही सरकारी मदद
सन्नी कहते हैं कि गर्दनीबाग रोड नंबर 20 के इलाके में कोई सरकारी मदद भी नहीं मिल पा रही है. कई बार उन्होंने इस बाबत सरकारी आला अधिकारियों को फोन पर भी जानकारी देिया. लेकिन उनके फोन का आज तक किसी सरकारी अधिकारी ने कोई रिस्पांस नहीं दिया.

घरों में नहीं है खाने को खाना

लॉकडाउन से लोग परेशान
वहीं, पटना सचिवालय के नजदीक रहने वाले कैब ऑनर सोनू नाज कहते हैं कि उनके पास दो गाड़ियां है. एक कैब वह खुद 10 सालों से चलाते आ रहे है और दूसरी कैब उनके छोटे भाई चलाते है. अन्य दो भाई भी ओला कंपनी की कैब सालों से चला रहे है. कुल चारों भाइयों के कमाई से घर में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी. पर इस लॉक डाउन के दौरान जो स्थिति उनके और उनके परिवार के सामने उत्पन्न हुई है. ऐसी स्थिति की कल्पना उन्होंने कभी भी नहीं की थी.

ओला कंपनी ने भी नही दिया अपने ड्राइवर्स का साथ
सोनू नाज कहते हैं इस विकट परिस्थिति में जिस ओला कंपनी ने कैब ड्राइवरों को ओला पार्टनर की संज्ञा दी थी. उस कंपनी ने भी साथ छोड़ दिया. कंपनी ने इस विकट परिस्थिति में ओला सहयोग नाम से एक स्कीम चलाया था. जिससे ड्राइवरों को 3 हफ्ते तक मदद के रूप में हर हफ्ते पांच-पांच सौ रुपये देने का ऐलान किया गया था. पर कंपनी ने अपनी चालाकी दिखाते हुए कुछ चुनिंदा ड्राइवर्स को ही इस स्कीम का लाभ दिया.

देखें पूरी रिपोर्ट

कैब ओनर ने सरकार से मदद की लगाई गुहार
बिहार सरकार से गुहार लगाते हुए कैब ऑनर सोनू नाज कहते हैं कि सरकार को इस विकट परिस्थिति में कैब ड्राइवर की भी कुछ मदद करनी चाहिए. इस विकट परिस्थिति इतने सालों तक एक साथ काम करने पर कंपनी ने आज साथ छोड़ दिया. अब बिहार सरकार की मदद के बाद ही हम कैब ऑनर और ड्राइवर्स की स्थिति और परिस्थिति में कुछ सुधार आ सकता है.

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