पटना:होली का त्योहार नजदीक आ रहा है. ऐसे में टिकटों की मारामारी भी शुरू हो गई है. इसको लेकर पटना जंक्शन पर दलालों का कारोबार (Business of ticket brokers at Patna Junction) तेज हो गया है. त्योहारों में बाहर प्रदेशों में रहने वाले लोग पहले से ही टिकट कटाना शुरू कर देते हैं. ट्रेन के सफर में कंफर्म टिकट मिलना कई बार बेहद मुश्किल होता है. मजबूरन रेल यात्रियों को टिकट दलाल का दरवाजा खटखटाना पड़ता है. लेकिन सवाल यह है कि, पैसे लेकर टिकट दिलाने वाले दलाल आखिर कहां से और कैसे कंफर्म टिकट दिलाते हैं. इसकी पड़ताल ईटीवी भारत ( ETV Bharat Bihar ) की टीम ने की है.
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IRCTC के साइट को किया जाता है हैक: सबसे पहले टिकट दलाल रेल यात्रियों के बीच में खड़े होकर काउंटर से टिकट लेते हैं और कई टिकट दलाल सॉफ्टवेयर के माध्यम से आईआरसीटीसी के साइट को हैक कर टिकट काट लेते हैं. उन टिकट को रेल यात्रियों से दोगुने दाम में भी बेचने का काम करते हैं. इस सवाल को लेकर हमने साइबर एक्सपर्ट से बात की. हालांकि इसके पहले ये बताना जरूरी है कि, टिकट दलाल ना केवल आरक्षी टिकट काउंटर पर गोल माल करते है बल्कि प्रतिबंधित साइट का भी इस्तेमाल टिकट बुक करने के लिए करते हैं.
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प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर की मदद से टिकट :दलाल शहर के किसी जगह बैठ कम्प्यूटर नेट के जरिए प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर (Restricted Software For Ticket Booking) की मदद से आईआरसीटीसी के माध्यम से काउंटर से पहले ही टिकट निकाल लेते हैं. जिसका खमियाजा रेल यात्रियों को भुगतना पड़ता है. कई दिन तक चक्कर लगाने के बाद भी यात्री को काउंटर से लम्बी दूरी के ट्रेनों में तत्काल टिकट नहीं मिलता है. इससे यात्रियों को मजबूरी में दलालों के पास जाना पड़ता है.और यात्रियो से मनमाना पैसा दलाल वसूलने का काम करते है. यात्रियों का फर्जी आईकार्ड भी बना लेते हैं.
वोल्टास और रियल मैंगो जैसे अवैध सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल: रेलवे सुरक्षा बल (Railway Protection Force RPF) ने इस अवैध सॉफ्टवेयर 'रियल मैंगो' (Real Mango) का हाल ही में पता लगाकर इसे नाकाम था. आरपीएफ की फील्ड इकाई ने 9 अगस्त, 2020 को अवैध सॉफ्टवेयर के संचालन का पता लगाया था. पहले भी आरपीएफ ने दिसंबर 2019 से मार्च 2020 के बीच एएनएमएस, रेड मिर्ची, ब्लैक टीएस, टिक-टॉक, आई-बॉल, रेड बुल और मैक जैसे कई अवैध सॉफ्टवेयरों का पता लगाया था.
सॉफ्टवेयर की विशेषताएं: सॉफ्टवेयर V3 और V2 कैप्चा को बाइपास करता है. कैप्चा का पूरा नाम Completely Automated Public Turing test to tell Computers and Humans Apart है. कैप्चा यह निर्धारित करता है कि उपयोगकर्ता वास्तविक है या स्पैम रोबोट है. यह एक मोबाइल ऐप की मदद से बैंक जनित वन-टाइम पासवर्ड (OTP) को सिंक्रोनाइज़ यानी एक साथ एक से अधिक एप पर OTP को भेजता है और इसे स्वचालित प्रक्रिया से प्रयोग करने के लायक बनाता है. सॉफ्टवेयर खुद ही यात्री विवरण और भुगतान विवरण को फॉर्म में भर देता है. सॉफ्टवेयर 'भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम’ (Indian Railway Catering & Tourism Corporation IRCTC) की आईडी के माध्यम से IRCTC वेबसाइट पर लॉग इन करता है. इस अवैध सॉफ्टवेयर को फाइव लेयर के जरिए बेचा जा रहा था, जिसमें सिस्टम एडमिन और उनकी टीम, मावेंस, सुपर सेलर्स, सेलर्स और एजेंट्स आदि शामिल हैं.
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