पटना:एक महीने से ज्यादा वक्त तक चले बिहार विधानमंडल का बजट सत्र समाप्त (budget session of bihar legislature ended) हो गया. 25 फरवरी से बजट सत्र की शुरुआत हुई थी. बजट सत्र में कुल 22 बैठकें हुईं. बैठक के दौरान सरकार की ओर से सभी विभागों ने अधिकांश प्रश्नों का उत्तर उपलब्ध कराया. इस बजट सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण पल आये. विधानसभा में ऐसा शायद पहली बार हुआ कि मुख्यमंत्री ने स्पीकर के ऊपर सवाल खड़े किए. वहीं विपक्षी सदस्यों को सदन से मार्शल द्वारा बाहर का रास्ता दिखाया गया.
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पुलिस विधेयक सहित 9 विधेयक पास : सरकार ने इस सत्र में 9 विधेयक भी पास कराए हैं. बिहार विधानसभा के बजट सत्र में सरकार ने बिहार का 2022-23 का बजट पास कराया. वहीं विभागीय बजट को भी चर्चा के बाद बहुमत से पास करा लिया. शराबबंदी कानून से संबंधित संशोधन विधेयक भी उसमें शामिल था. पुलिस विधेयक भी इस बार पास कराया गया. पुलिस विधेयक को लेकर ही पिछले साल बवाल मचा था. जिसे इस बार के सत्र में पास कराया गया. बिहार सशस्त्र पुलिस विधेयक को लेकर साल 2021 में विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ था. विधायकों ने सदन में मारपीट करने का आरोप लगाया था. लेकिन इस बार इस विधेयक को लेकर हंगामा देखने को नहीं मिला. बल्कि बजट सत्र में सबसे अधिक चर्चा विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के बीच हुआ विवाद रहा.
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सीएम नीतीश और स्पीकर में हुआ था विवाद:मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के बीच सदन में जो कुछ हुआ वह इतिहास बन चुका है. हालांकि अच्छी बात यह रही कि सत्र के दौरान ही दोनों के बीच सुलह भी हो गई. दरअसल विधानसभा के बजट सत्र (Bihar Legislature Budget Session) के दौरान 14 मार्च को नीतीश कुमार का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. लखीसराय में विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा के साथ हुए दुर्व्यवहार मामले को लेकर विपक्षी दलों और बीजेपी के विधायक लगातार सदन में हंगामा कर रहे थे. ऐसे में सीएम ने कहा कि मामले में कार्रवाई की जा रही है. बार-बार इस तरह से इस मुद्दे को सदन में उठाना सही नहीं है. हम न किसी को फंसाते हैं और न किसी को बचाते हैं. विशेषाधिकार समिति जो रिपोर्ट पेश करेगी, हम उस पर जरूर विचार करेंगे और देखेंगे की कौन सा पक्ष सही है. इस दौरान सीएम और विधानसभा अध्यक्ष (Debate Between CM Nitish Kumar and Speaker Vijay Sinha ) के बीच तीखी बहस हुई थी.
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सत्र को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष की राय: बजट सत्र कई मायनों में उपलब्धियों भरा रहा तो वहीं कई विवादों के कारण चर्चा में भी रहा. विपक्ष के सदस्यों ने कहा कि सरकार जनता के सवाल पर उत्तर देने में नाकाम रही. वहीं सत्ता पक्ष ने कहा कि जनता की समस्याओं का उनके माध्यम से समाधान हुआ. माले के सदस्य सुदामा प्रसाद ने कहा कि यदि विपक्ष एकजुट रहती तो सरकार पर जन समस्याओं के समाधान में दबाव बनाने में मदद मिलती थी. वहीं बीजेपी के संजय सरावगी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव तो गायब ही रहते हैं, उन्हें लोकतंत्र पर लगता है विश्वास नहीं है.
"पूरे सत्र के दौरान सरकार जनता के सवालों पर गंभीर नहीं दिखी. सरकार किसी भी सदस्य के सवाल का जवाब नहीं दे पायी. पदाधिकारी गोल मटोल जवाब बनाते गए, जिसे मंत्री ने पढ़ा. सरकार ने अपना काम कर लिया. जनता का काम कहीं नहीं हुआ. मार्शल का भी उपयोग हुआ और आसन का भी दुर्गति हुआ."- रामानुज प्रसाद, आरजेडी विधायक
"अपने अपने दल के हिसाब से सभी चले. अगर विपक्ष एकजुट रहता है तो सरकार को घेरा जा सकता है. लोकहित के मुद्दों को हल कराया जा सकता था."- सुदामा प्रसाद, विधायक माले