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Published : May 2, 2020, 10:28 PM IST

Updated : May 3, 2020, 1:46 PM IST

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30 लाख से अधिक प्रवासी बिहार से बाहर, CM नीतीश के सामने मजदूरों को वापस लाने की 'अग्नि परीक्षा'

एक अनुमान के मुताबिक 30 लाख से अधिक लोग बिहार से बाहर फंसे हुए हैं. लेकिन वर्तमान हालातों को देखते हुए सवाल यह उठता है कि अगर 30 लाख में 15 लाख लोग भी बिहार वापस आ गए तो, बिहार सरकार के लिए उन्हें क्वांरटीन सेंटर में एक चुनौती से कम नहीं होगी.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट
ईटीवी भारत की रिपोर्ट

पटना: केंद्र सरकार के निर्देश के बाद प्रवासी मजदूर और छात्रों बिहार आने का सिलसिला शुरू हो चुका है. इसके लिए नीतीश सरकार ने कई नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की है. सरकार ने संबंधित राज्य के अधिकारी को फंसे हुए लोगों की सूची तैयार कर उनकी वापसी की जिम्मेदारी सौंपी है. एक आंकड़े के मुताबिक 30 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर देश के विभिन्न प्रदेशों में रह रहे है. चुंकी यह चुनावी साल है. इस वजह से नीतीश सरकार के सामने सभी प्रवासियों की सकुशल घर वापसी एक अग्नि परीक्षा की तरह है.

मजदूरों की नाराजगी पर सकती है भारी
बिहार में साल के अंत कर विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में इस चुनावी साल में लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को वापस लाना सरकार के लिए कठिन चुनौती है. मौके की नजाकत को भांपते हुए बिहार में भाजपा और जदयू नेता प्रवासी मजदूर के मुद्दे पर गेंद एक दूसरे के पाले में डाल रहे थे. दोनों दल इस मुद्दे पर फूंक-फूंक कर कदम रख रही थी. नीतीश कुमार मजदूरों को वापस ना लाने का सेहरा अपने सर पर नहीं पहनना चाहते थे. इस वजह से पहले वे लॉकडाउन और गृह मंत्रालय के गाइडलाइन का हवाला देकर मजदूरों को लाने से इंकार कर रहे थे. लेकिन भाजपा भी मजदूरों का नाराज नहीं करना चाह रही थी. लिहाजा उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने संसाधनों का रोना रोकर केंद्र से ट्रेन की मांग कर दी. केंद्र सरकार ने भी ट्रेनों से मजदूरों को लॉकडाउन के नियमों में संसोधन करते हुए बिहार सरकार को हरी झंडी दिखा दी. इस राजनीतिक दांव पेंच के बीच झारखंड सरकार ने सबसे पहले अपने मजदूरों को वापस बुला लिया. ऐसे हालत में नीतीश कुमार पर चौतरफा दबाव बढ़ गया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

नीतीश कुमार के सामने कठिन चुनौती
सियासी उठापटक के बीच राजस्थान और केरल से दो स्पेशल ट्रेन पटना पहुंच चुकी है. आगे की रणनीति पर सरकार रोड मैप बना रही है. हालांकि, विपक्ष भी इस मामले पर खुल कर फ्रंंट फूट से खेल रही है. विपक्ष को सरकार के इरादों में खोट नजर आ रही है. राजद पार्टी प्रवक्ता भाई विरेंद्र का कहना है कि नीतीश सरकार कभी भी मजदूरों और छात्रों को वापस लाना नहीं चाहती थी. झारखंड सरकार की पहल के बाद नीतीश कुमार पर दबाव बढ़ा. जिसके बाद नीतीश कुमार मजदूरों के रहनूमा बनने का ढोंग रच रहे हैं.

भाई विरेंद्र, राजद नेता

'बेवजह हो रही राजनीति'
इस मामले पर बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार का कहना है कि ट्रेनों को लेकर रेलवे बोर्ड ने स्थिति स्पष्ट कर दी है. कई राज्यों के मुख्यमंत्री ने बसों से लोगों को भेजने पर आपत्ति जाहिर की थी. केंद्र सरकार ने राजनीतिक रूप से कोई भेदभाव नहीं किया है. इस मामले को लेकर बेवजह राजनीति की जा रही है. वहीं, इस मसले पर भाजपा नेता नवल किशोर यादव ने कहा कि केंद्र सरकार के इस पहल को किसी राजनीतिक चश्मे से देखने की जरूरत नहीं है. आपदा की घड़ी है और हर एक नागरिक भारतीय है. केंद्र सरकार हर एक भारतीय के लिए सोचती है.

सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार

30 लाख से अधिक मजदूर बिहार से बाहर
गौरतलब है कि सरकारी आंकड़े के अनुसार लगभग 30 लाख से अधिक लोग बिहार से बाहर फंसे हुए हैं. इन सभी लोगों ने बिहार सरकार से उन्हें बाहर निकालने की मांग की है. हालांकि, स्पेशल ट्रेन के सहारे मजदूरों को बिहार वापस आने के सिलसिला शुरू हो चुका है. सरकार प्रवासियों के लिए हर बेहतर व्यवस्था करने का दावा कर रही है. लेकिन ऐसे हालात में सवाल यह उठता है कि अगर 30 लाख के आधे 15 लाख लोग भी बिहार वापस आ गए तो, बिहार सरकार के लिए उन्हें क्वांरटीन सेंटर में किस प्रकार से रखेगी.

नवल किशोर यादव , भाजपा नेता
Last Updated : May 3, 2020, 1:46 PM IST

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