पटना: जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि 2015 में जब नरेंद्र मोदी जदयू (Speculations of break in JDU) को कुछ नहीं कर सके. ये लोग नरेंद्र मोदी से भी आगे निकलने की कोशिश कर रहे हैं, कर लें कोशिश. उन्हें पता चल जाएगा. जदयू प्रवक्ता ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा का नरेंद्र मोदी और अमित शाह के यहां विश्वासघाती चरित्र है. नीरज कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को सलाह देते हुए कहा 2015 में नरेंद्र मोदी जब हार गए तो जनता दल यू को तोड़ने का संकल्प लिया था. अगर आप तोड़ देते हैं तो नरेंद्र मोदी से भी बड़ा नेता बन जाइएगा.
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"उपेंद्र कुशवाहा जी हमसे पूछ रहे थे क्या डील हुआ है. आप तो बताइए कि अमित शाह से क्या डील हुआ है. कमल पर लड़ना है अकेले, जो आपके साथ झोला टांगने वाले हैं उसका क्या होगा. आप सिर्फ अपने लिए कीजिएगा कि कुछ दूसरों के लिए भी उपाय कीजिएगा. पार्टी का नाम ही राष्ट्रीय है, किसी सदन में कोई सदस्य नहीं है"- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जदयू
जदयू में टूट के कयासः नीतीश कुमार के महागठबंधन में शामिल होने के बाद जदयू के टूटने के लगातार कयास लगाए जाते रहे हैं. आरसीपी सिंह जब जदयू को अलविदा कहा था तो उस समय भी जदयू के टूटने की बात कही जाने लगी थी. इसके बाद उपेंद्र कुशवाहा पिछले महीने ही जदयू से अलग हुए थे तो उस समय भी कयास लगाया जा रहा था कि जदयू टूटेगा. अमित शाह से मुलाकात के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि जदयू में बड़ी टूट होगी. जदयू के लोग बचाना चाहे तो बचाले. बीजेपी के पूर्व मंत्री नीरज कुमार बबलू ने बयान दिया था कि जदयू के कई नेता बीजेपी के संपर्क में हैं.
जदयू में नाराजगीः बीजेपी प्रवक्ता आशुतोष झा का कहना है कि जदयू में नाराजगी है. जदयू के कई विधायक आरजेडी के साथ गठबंधन से खुश नहीं है. वहीं राजनीतिक विश्लेषक अरुण पांडे का कहना है कि बिहार में फिर से दलों में टूट के कयास लगाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में काफी समय है. ऐसे में किसी दल में कोई टूट होगी, इसकी संभावना फिलहाल कम है. हां, चुनाव के समय कोई भी दल इस मामले में अछूता नहीं रहेगा. यह तय है कई नेता इधर से उधर करेंगे. फिलहाल ऐसी कोई संभावना दिख नहीं रही है.
फिलहाल राजनीतिक बयानबाजी: चुनाव के समय पार्टियों में टूट और नेताओं के दलबदल कोई नई बात नहीं है. लोकसभा चुनाव में अभी 1 साल का समय है और विधानसभा का चुनाव 2 साल से भी अधिक समय है. जदयू के कई नेताओं में नाराजगी जरूर है लेकिन दल में टूट के लिए दो तिहाई संख्या बल जरूरी है. जदयू के 16 सांसद हैं और 45 विधायक हैं. लोकसभा चुनाव में 1 साल का समय रह गया है. ऐसे में लोकसभा सीट को लेकर आने वाले दिनों में जरूर कुछ सांसद जब उन्हें लगेगा कि उन्हें फिर से चुनाव नहीं लड़ाया जाएगा तो दलबदल जरूर कर सकते हैं. राजनीतिक जानकारों को लगता है कि फिलहाल यह केवल राजनीतिक बयानबाजी है.