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बिहार में गर्मी का कहर, पटना के अस्पतालों में बढ़े ब्रेन स्ट्रोक के मामले

बिहार में भीषण गर्मी ने लोगों को परेशान कर रखा है. चिलचिलाती धूप और गर्मी का असर लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट भी जारी कर दिया है. ऐसे में जरूरी है कि आप कुछ जरूरी नसीहतों को मानें. पढ़ें रिपोर्ट..

न्यूरोलॉजिस्ट डॉ दीपा
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ दीपा

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Published : Apr 16, 2022, 11:01 PM IST

पटना: बिहार में भीषण गर्मी पड़ रही है. चिलचिलाती गर्मी का असर लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है. तापमान 40 डिग्री से अधिक होते ही एक बार फिर से ब्रेन स्ट्रोक के मामले प्रदेश के अस्पतालों में बढ़ने लगे (Brain Stroke Cases Increased in Patna) हैं. पटना के आईजीआईएमएस अस्पताल में प्रतिदिन 3 से 4 स्ट्रोक के मामले सामने आ रहे हैं. वहीं पीएमसीएच में भी इनकी संख्या दो से तीन रह रही है. आईजीआईएमएस में बीते 24 घंटे में अस्पताल में ब्रेन स्ट्रोक की शिकायत के 15 मरीज एडमिट हुए हैं. मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने भी अलर्ट जारी कर दिया है.

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दो प्रकार के होते हैं ब्रेन स्ट्रोकः इस मामले को ऐसे भी जान सकते हैं कि कड़ाके की ठंड और भीषण गर्मी के समय ब्रेन स्ट्रोक के मामले क्यों बढ़ जाते हैं. पटना मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर दीपा ने बताया कि कड़ाके की ठंड हो या भीषण गर्मी, ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़ जाते हैं. ब्रेन स्ट्रोक दो प्रकार के होते हैं, एस्कीमिक और हेमरेजिक. एस्कीमिक स्ट्रोक सबसे कॉमन होता है. इसमें खून का संचार शरीर में कम होने पर दिमाग की नस सिकुड़ जाती है. हेमोरेजिक स्ट्रोक में खून का अत्यधिक प्रवाह होने से नस फट जाती है. जाड़े के दिनों में हेमरेजिक स्ट्रोक अधिक होते हैं. क्योंकि ब्लड प्रेशर जाड़े के दिनों में लोगों का बढ़ा रहता है, वहीं गर्मी के दिनों में एस्कीमिक स्ट्रोक अधिक होते हैं और इसकी वजह है खून के प्रवाह का कम होना.

अस्पताल लाना पड़ जाता है जरूरीः प्रदेश में इन दिनों ब्रेन स्ट्रोक के बढ़ते हुए मामले पर डॉ. दीपा ने बताया कि गर्मी के दिनों में जो लोग पानी कम पीते हैं और तापमान अधिक बढ़ा हुआ रहता है, ऐसे में लोग डिहाइड्रेशन के शिकार हो जाते हैं. शरीर में पानी की कमी होने की वजह से खून का प्रवाह कम हो जाता है और ऐसे में ब्रेन का नस सिकुड़ जाता है. जिसे एस्कीमिक स्ट्रोक कहते हैं. कई बार स्थिति गंभीर होने पर मरीज आजीवन के लिए एक हिस्से से लकवाग्रस्त हो जाता है. ऐसे में ब्रेन स्ट्रोक की स्थिति में गोल्डन आवर में अस्पताल में लेकर आना मरीजों को अति आवश्यक है, ताकि जान बचाई जा सके.

बॉडी डिहाइड्रेट रखना बेहद जरूरीः उन्होंने बताया कि बेन स्ट्रोक के रिस्क जोन में 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोग आते हैं या फिर जो लोग कोमोरबिड कंडीशन के होते हैं. इससे बचाव का उपाय एक ही है कि नियमित फिजिकल एक्सरसाइज करें, तनाव से दूर रहें और दिन भर में कुछ समय मेडिटेशन के लिए और योगा के लिए निकालें. स्वास्थ्य और सुपाच्य भोजन करें. अच्छा खानपान और व्यवस्थित दिनचर्या के बदौलत ही ब्रेन स्ट्रोक के मामलों से बच सकते हैं. ब्रेन स्ट्रोक से बचने के लिए अभी के समय में जरूरी है कि अच्छे खान-पान और व्यवस्थित दिनचर्या के साथ-साथ नियमित अंतराल पर बॉडी को डिहाइड्रेट करने के लिए पानी और फलों का सेवन करते रहें.

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