पटना:बीपीएससी शिक्षक बहाली परीक्षा परिणाम के जारी होने के बाद से लगातार इसका विरोध हो रहा है. कई जगह से बड़ी खामियां सामने आ रही हैं. उदाहरण के तौर पर माध्यमिक और उच्च माध्यमिक में ऐसे अभ्यर्थियों को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन क्लियर करके जॉइनिंग लेटर दे दिया गया है जिनका एसटीईटी ही क्लियर नहीं है.
झारखंड के मुकेश ने खोली शिक्षक बहाली में गड़बड़ी की पोल: इसी कड़ी में झारखंड से आए युवक मुकेश कुमार सिंह ने बीपीएससी कार्यालय के पास आकर कहा कि वह त्यागपत्र देते हैं, क्योंकि डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में भारी पैमाने पर धांधली हुई है. आंख बंद करके डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन कर दिया गया है और कोई कागज देखे ही नहीं गए हैं. वह एसटीईटी पास नहीं है, लेकिन उच्च माध्यमिक में काउंसलिंग के दौरान उनके डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन क्लियर करके ट्रेनिंग सेंटर पर योगदान करने के लिए जॉइनिंग लेटर थमा दिया गया.
"मैं बीपीएससी की परीक्षा में 69 अंक लाकर उत्तीर्ण हुआ हूं, लेकिन एसटीईटी पास ही नहीं हूं. गलत तरीके से मेरा डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन क्लियर किया गया है. ऐसे में मैं ईमानदारी पूर्वक स्वत: त्यागपत्र दे रहा हैू. दोबारा एसटीईटी परीक्षा उत्तीर्ण होने के बाद परीक्षा में बैठूंगा और सही तरीके से शिक्षक बनूंगा."- मुकेश कुमार सिंह, सफल अभ्यर्थी, झारखंड
दूसरे प्रदेशों के भी अभ्यर्थी उत्तीर्ण?:इस परीक्षा में 2019 तक के एसटीईटी परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थी शामिल हो सकते थे और एसटीईटी में डोमिसाइल लागू था. ऐसे में दूसरे प्रदेशों के अभ्यर्थियों के क्वालीफाई होने का सवाल ही नहीं बनता है. लेकिन कई ऐसे दूसरे प्रदेशों के भी अभ्यर्थी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक में उत्तीर्ण हो गए हैं.
शिक्षक अभ्यर्थियों के लिए मुकेश बने मिसाल: इस मौके पर छात्र नेता दिलीप ने मुकेश की ईमानदारी को प्रोत्साहित करते हुए उनकी सराहना की. दिलीप ने कहा कि वह पिछले 8 वर्षों से छात्र हित में आंदोलन करते आ रहे हैं और आज खुशी हुई कि कोई अभ्यर्थी है जो सामने आकर यह स्वीकार किया कि वह अनुचित तरीके से शिक्षक नहीं बनेंगे. हजारों अभ्यर्थी ऐसे हैं जो एसटीईटी क्वालिफाइड नहीं है लेकिन उन्हें नियुक्ति पत्र थमा दिया गया है.
"भविष्य में जब जांच बैठेगी तो यह अभ्यर्थी डिसक्वालीफाई हो जाएंगे यह भी तय है. हम मुकेश की ईमानदारी की मिसाल देंगे कि उच्च माध्यमिक में इतिहास विषय में उन्हें क्वालीफाई कर दिया गया, किशनगंज जिले में उन्हें ट्रेनिंग सेंटर भी भेज दिया गया लेकिन जब अहर्ता नहीं रखते हैं तो उन्होंने नौकरी लेना स्वीकार नहीं किया है."- दिलीप, छात्र नेता