पटना: बीपीएससी चेयरमैन अतुल प्रसाद ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक का नाम लिए बिना उनपर निशाना साधा है. बीपीएससी शिक्षक बहाली के डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन प्रक्रिया से शिक्षा विभाग ने टीचर्स और अन्य अफसरों की ड्यूटी हटवा ली है. इसको लेकर बीपीएससी के चेयरमैन अतुल प्रसाद ने सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकाली है.
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अतुल प्रसाद का केके पाठक को करारा जवाब:अतुल प्रसाद ने कहा कि इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता है. उन्होंने यह भी दावा किया कि कुछ तत्त्व शिक्षक बहाली परीक्षा की डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन प्रक्रिया को रद्द करवाना चाहते हैं. बीपीएससी चेयरमैन अतुल प्रसाद ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा, "सरकार ने खुद ही पहले अफसरों की ड्यूटी लगाई और फिर में उसे बदल दिया. लेकिन इससे बीपीएससी को कोई फर्क नहीं पड़ता है. लेकिन जो लोग शिक्षक बहाली के डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन प्रक्रिया को रद्द करवाना चाहते हैं, उन्हें और ज्यादा मेहनत करनी होगी."
डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन जारी रहेगा: बीपीएससी चेयरमैन ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में किसी का नाम नहीं लिया है, लेकिन माना जा रहा है कि उन्होंने केके पाठक के निर्देश के बाद ट्वीट किया है. इसके साथ ही केके पाठक और बीपीएससी के बीच का विवाद बढ़ने की उम्मीद है. क्योंकि केके पाठक उन अफसरों में से एक माने जाते हैं जो अपने फैसलों के आड़े किसी को आने नहीं देते. वहीं अतुल प्रसाद ने साफ कर दिया है कि शिक्षक बहाली को लेकर प्रमाण पत्र सत्यापन रद्द नहीं होगा. उन्होंने ये भी साफ कर दिया है कि सरकार अपने अधिकारियों को नियुक्त करेगी.
क्या है पूरा मामला?:दरअसल सोमवार 4 सितंबर से बीपीएससी शिक्षक बहाली के तहत अभ्यर्थियों का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन का काम चल रहा है. इसको लेकर केके पाठक और अतुल प्रसाद आमने-सामने हैं. केके पाठक ने फरमान जारी करते हुए पहले ही कहा है कि शिक्षकों से पढ़ाई के अलावा अन्य दूसरे विभागों के काम ना करवाए जाए.
शिक्षा विभाग ने डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन मामले को लेकर बीपीएससी अध्यक्ष को बीते दिनों एक पत्र भेजा था. इसमें कहा गया कि नियुक्ति नियमावली के तरह वेरिफिकेशन का काम नियुक्ति प्राधिकार का है. ऐसे में बीपीएससी ने नियमों के विपरीत शिक्षकों के साथ शिक्षा विभाग के अधिकारियों की ड्यूटी भी वेरिफिकेशन के काम में लगा दी है. किसी भी हाल में ना तो यह स्वीकार्य है और ना ही शिक्षा के हित में है. शिक्षा विभाग के कर्मियों की ड्यूटी से अनावश्यक श्रम का भी दुरुपयोग हो रहा है.