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शिवसेना का मुंबई 'प्लान' : आदित्य ठाकरे ने की तेजस्वी से मुलाकात, वजह BMC चुनाव तो नहीं? - BMC Elections

bmc election in mumbai आदित्य ठाकरे के बिहार दौरे को लेकर सियासी गलियारों में अटकलें तेज हो गई हैं. सवाल ये है कि क्या आदित्य ठाकरे और तेजस्वी यादव पीएम मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी के खिलाफ राष्ट्रीय विकल्प तैयार करने की कोशिश में हैं. या मकसद कुछ और है?. माना जा रहा है कि बीएमसी चुनाव (BMC Elections) में उत्तर भारतीय वोटों की ताकत को देखते हुए आदित्य बिहार पहुंचे हैं. पढ़ें पूरी खबर

आदित्य ठाकरे ने की तेजस्वी से मुलाकात
आदित्य ठाकरे ने की तेजस्वी से मुलाकात

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Published : Nov 23, 2022, 7:54 PM IST

पटना: मुंबई के बीएमसी चुनाव के मद्देनजर अब सभी पार्टियों की नजर उत्तर भारतीय वोट बैंक पर है. ऐसे में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे के बेटे और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रहे युवा नेता आदित्य ठाकरे (Shiv Sena leader Aditya Thackeray) का बिहार दौरा चर्चाओं में हैं. आदित्य ठाकरे और तेजस्वी यादव इस मुलाकात को एक सामान्य और निजी भेंट (aditya thackeray meets tejashwi yadav in patna) बता रहे हैं. लेकिन सवाल यह है कि क्या मुलाकात की वजह बीएमसी चुनाव तो नहीं.

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आदित्य-तेजस्वी की मुलाकात के क्या मायने ? : दरअसल, शिवसेना में बगावत के बाद से उद्धव ठाकरे के लिए यह चुनाव चुनौतीपूर्ण होगी. बता दें कि बीएमसी चुनाव में उत्तर भारतीय मतदाताओं को काफी अहम माना जाता है. ऐसे में राजनीतिक जानकार की माने तो आदित्य ठाकरे की तेजस्वी यादव से मुलाकात के पीछे मुंबई में आगामी बीएमसी चुनाव है, जो उत्तर भारतीयों के वोटों को प्रभावित करने के लिए है, जिनकी संख्या लगभग 50 लाख के आसपास है.

“बैठक के पीछे मुख्य कारण बीएमसी चुनाव और महाराष्ट्र में बड़ी संख्या में उत्तर भारतीयों का वोट प्राप्त करना है. शिवसेना अब दो हिस्सों में बंट चुकी है और आदित्य ठाकरे भी जानते हैं कि मुंबई में उनका वह कद अब नहीं रहा, जो पहले हुआ करता था जब शिवसेना एक पार्टी थी. शिवसेना का एक हिस्सा बीजेपी के साथ जा चुका है और आदित्य के पास ये प्लान है कि अगर उन्हें उत्तर भारतीयों का साथ मिल जाए तो काफी बदलाव लाया जा सकता है. तेजस्वी न केवल ग्रेटर मुंबई में बिहारियों का प्रतिनिधित्व करेंगे, बल्कि पूरे उत्तर भारतीय लोगों का भी प्रतिनिधित्व करेंगे.”- डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

क्या उत्तर भारतीयों को रिझाने मुंबई जाएंगे तेजस्वी? :उन्होंने आगे कहा, “उत्तर भारतीय वोट बैंक को खुश करने के उद्देश्य से आदित्य ने बीएमसी चुनाव में बढ़त हासिल करने के लिए तेजस्वी से मुलाकात की. जब भी दो राजनेता मिलते हैं तो हमेशा राजनीति होती है और उन्होंने तेजस्वी को मुंबई आने का न्यौता दिया है. तेजस्वी की राजनीति जिस तरह बीजेपी के इर्द-गिर्द घूमती है, उसी तरह बीजेपी आदित्य ठाकरे की भी सबसे बड़ी दुश्मन है. अगर तेजस्वी महाराष्ट्र में भाजपा को बेनकाब करेंगे तो उन्हें उत्तर भारतीयों का समर्थन मिलेगा.

शिंदे गुट ने बताया आदित्य का प्लान : इधर मंगलवार को एकनाथ शिंदे गुट के चाणक्य कहे जाने वाले नेता नरेश म्हस्के ने ठाणे की एक सभा में कहा था कि आदित्य ठाकरे के बिहार दौरे की वजह बीएमसी का आगामी चुनाव है. जिसमें उत्तर भारतीयों और खास कर बिहारियों की बड़ी तादाद में होने की वजह से चला गया यह दांव है. नरेश म्हस्के ने यह सवाल उठाता कि तेजस्वी यादव के पिता लालू यादव हमेशा बालासाहेब ठाकरे के आलोचक रहे. ऐसे में आज क्या लाचारी आई है कि उनके पोते आदित्य ठाकरे को लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव से मिलने बिहार जाना पड़ रहा है?

मुंबई में रहते हैं उत्तर भारत के 50-60 लाख लोग : मुंबई की जनसंख्या करीब 1.84 करोड़ है, जिसमें से 50 से 60 लाख लोग उत्तर भारत के हैं और इनमें सबसे ज्यादा लोग बिहार और उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. हर दिन बिहार और यूपी से कई ट्रेनों में भरकर हजारों लोग यहां आते हैं. इनमें से ज्यादातर उद्योग, सेवा क्षेत्र, खुदरा व्यापार, ट्रांसपोर्ट, खाद्य व्यवसाय, फैक्ट्री या मिल में काम करते हैं.

तेजस्वी से मुलाकात के पिछे BMC चुनाव तो नहीं? : हालांकि अभी तक साफ नहीं हो पाया है कि दोनों की यह बातचीत किन मद्दों पर हुई है. राजनीतिक गलियारों में इस मुलाकात को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं. जिसके कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. इस बीच राजनीतिक जानकार की माने तो आदित्य ठाकरे और तेजस्वी यादव की मुलाकात को आगामी बीएमसी चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है.

बीएमसी चुनाव में उत्तर भारतीय की अहम भूमिका:बीएमसी चुनाव में उत्तर भारतीय मतदाताओं को काफी अहम माना जाता है. चुनाव से पहले हर राजनीतिक दल उत्तर भारतीय वोटर्स को साधने की कोशिश करता है. दोनों नेताओं की मंगलवार को हुई बैठक को शिवसेना की मुंबई के उत्तर भारतीय मतदाताओं को साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.

BMC पर तीन दशकों से शिवसेना की सत्ता : बता दें कि बीएमसी पर पिछले तीन दशकों से शिवसेना की सत्ता है. शिवसेना में बगावत के बाद से उद्धव ठाकरे गुट के लिए यह चुनाव काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है. वैसे भी महाविकास अघाड़ी में उद्धव ठाकरे की सहयोगी कांग्रेस ने अकेले दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. ऐसे में उद्धव ठाकरे गुट को यह लड़ाई अपने ही दम पर लड़नी होगी.

BMC चुनाव कब होगा? :बता दें कि पिछले दिनों जब यह सवाल महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे से पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि जनवरी महीने में बीएमसी इलेक्शन होगा. दूसरी तरफ उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि मुंबई महानगरपालिका का चुनाव कब होगा यह या तो राम जानें या अदालत जाने. दरअसल, बीएमसी का कार्यकाल इसी साल मार्च महीने में खत्म हो चुका है. इसके बाद चुनाव स्थगित किए गए थे. इसके बाद महापालिका आयुक्त को बीएमसी प्रशासक के तौर पर नियुक्त किया गया. लेकिन इस बात को भी छह महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका हैं.

मुंबई में वोटरों की मुश्किल : फिलहाल आपको बता दें कि बीएमसी की सत्ता बीजेपी के लिए इसलिए भी जरूरी है क्योंकि मुंबई महाराष्ट्र का गेट वे है. अगर बीजेपी यह सत्ता पाने में कामयाब होती है तो ठाकरे गुट की शिवसेना का संकट गहरा जाएगा. जब ठाकरे गुट बीजेपी के साथ था तो बिहार, यूपी, राजस्थान और गुजरात व अन्य हिंदी प्रदेशों का वोट बैंक बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के साथ चलता रहा. अब इन वोटरों के लिए असमंजस की स्थिति है, क्योंकी शिवसेना बंट गई है. ऐसे में आदित्य ठाकरे का बिहार दौरा बिहार-उत्तर प्रदेश के वोटरों को रिझाने का प्रयास माना जा रहा है.

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