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ऑक्सीजन के बाद ब्लड की कमी से रो रहा बिहार, कोरोना की वजह से नहीं हो रहा रक्तदान - रेड क्रॉस ब्लड बैंक

पिछले साल से ही देश कोरोना महामारी से लड़ रहा है. कोरोना के दूसरे लहर ने सभी को डरा दिया है. इस महामारी के कारण बिहार के ब्लड बैंकों में खून की भारी किल्लत हो गई है. महामारी ने महादान को कैसे प्रभावित किया है पढ़िए इस रिपोर्ट में.

blood bank of bihar
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Published : May 5, 2021, 3:36 PM IST

Updated : May 6, 2021, 2:30 PM IST

पटना:प्रदेश में कोरोनासंक्रमण काफी भयावह रूप ले चुका है और ऐसे में अब लोग अपने घरों में दुबक कर रह रहे हैं. सड़क पर लोग ना के बराबर निकल रहे हैं. ऐसे में रक्तदान करने के लिए भी लोग घरों से नहीं निकलना चाह रहे हैं. जिसका सीधा असर ब्लड बैंकों पर पड़ रहा है.

ब्लड बैंक में रक्त की कमी

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प्रदेश में ब्लड की भारी कमी
कोरोना संक्रमण के मद्देनजर प्रदेश में अब रक्तदान शिविर जैसे कार्यक्रम भी नहीं हो रहे हैं. और इस वजह से प्रदेश के ब्लड बैंकों में रक्त की भारी कमी हो गई है. संक्रमण के डर से लोग घर से बाहर भी नहीं निकल रहे हैं. साथ ही रक्तदान करने के दौरान लोगों के संपर्क में आने से भी डर रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

प्लाजमा थेरेपी पर पड़ रहा असर
कोरोना के इलाज में प्लाजमा थेरेपी भी काफी कारगर है. ऐसे में ब्लड का डोनेशन कम होने से प्लाज्मा बैंकों में प्लाज्मा की भी कमी हो गई है. इसके पीछे की वजह है कि कोई रक्तदान करने के लिए भी ब्लड बैंक नहीं पहुंच रहा. ऐसे में अब ब्लड बैंक से जुड़े लोग सामने आकर रक्तदान करने की अपील कर रहे हैं. अप्रैल के शुरुआती दिनों में प्रदेश में एक्टिव मामले एक हजार के करीब थे. वहीं अप्रैल के अंत होते ही एक्टिव मामलों की संख्या 100000 के पार पहुंच गई. कोरोना संक्रमित के ठीक होने के 24 से 28 दिन बाद ही उसका प्लाज्मा डोनेशन के लायक बन पाता है.

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नहीं चल रहा प्लाजमा डोनेशन कैंप
अभी के समय में ऐसे लोगों की संख्या प्रदेश में काफी कम है जो कोरोना से ठीक हुए हैं और ठीक हुए उन्हें 28 दिन हो चुके हैं. सरकार की तरफ से प्लाजमा डोनेशन कैंप भी नहीं चलाया जा रहा है. इस वजह से जो लोग कोरोना से ठीक हुए हैं, वह प्लाज्मा डोनेट करने नहीं निकल रहे हैं और संक्रमण के डर से घर में दुबके हुए हैं.

समस्याओं का नहीं हो रहा अंत
प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच और सबसे बड़े कोविड-19 डेडिकेटेड हॉस्पिटल एनएमसीएच की बात करें तो यहां कोरोना के मरीजों को सही तरीके से प्लाजमा थेरेपी का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है. इसका प्रमुख कारण है इस थेरेपी के लिए जो जरूरी मशीन है, जो ब्लड डोनर के ब्लड से प्लाज्मा को अलग करती है वह इन अस्पतालों के पास नहीं है. संक्रमण के शुरुआती दौर में इन मशीनों को इन बड़े अस्पतालों में लगाने की सरकार ने बात कही थी. मगर आज तक यह नहीं लग पाई है. और पटना के एम्स में ही एकमात्र यह मशीन लगी हुई है.

'अगले कुछ महीने प्रदेश में ब्लड की काफी कमी होने वाली है. प्रदेश में चंद दिनों में 18 से अधिक उम्र के सभी लोगों का कोरोना का वैक्सीनेशन शुरू होगा. ऐसे में जो लोग वैक्सीन लेंगे उन्हें अगले डेढ़ से 2 महीने में वैक्सीन का दूसरा डोज लेना होगा और दूसरी डोज के 2 महीने बाद ही वह रक्तदान करने के योग्य होंगे. ऐसे में रक्तदान के इच्छुक लोग चाह कर भी अगले कुछ महीने रक्तदान नहीं कर पाएंगे.'-डॉ विनय बहादुर सिन्हा,चेयरमैन, इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी बिहार

ब्लड से प्लाज्मा अलग करने की मशीन की कमी
वहीं प्राइवेट में यह सुविधा पारस हॉस्पिटल के पास है. पीएमसीएच अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि अस्पताल के ब्लड बैंक में ब्लड से प्लाज्मा अलग करने की मशीन लगाने की जगह नहीं है और जगह की कमी होने की वजह से यह मशीन अब तक नहीं लग पाई है और ना ही अस्पताल प्रबंधन ने इसके लिए कोई जगह ही बनाई है.

रेड क्रॉस ब्लड बैंक का बुरा हाल
पटना के गांधी मैदान के पास स्थित रेड क्रॉस ब्लड बैंक में भी अभी के समय खून की भारी कमी हो गई है. ऐसे में इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी बिहार के चेयरमैन डॉ विनय बहादुर सिन्हा ने लोगों से अपील किया है कि अधिक से अधिक संख्या में स्वस्थ लोग ब्लड बैंक पहुंचे और रक्त दान करें.

लोगों से रक्तदान की अपील
डॉ विनय बहादुर सिन्हा ने लोगों से अपील किया है कि वैक्सीनेशन से पूर्व स्वस्थ लोग प्रदेश के ब्लड बैंकों में पहुंचकर अपना रक्तदान करें. कोरोना का समय जरूर चल रहा है मगर इस समय भी ब्लड बैंक में काफी सावधानी बरती जा रही है और कोरोना से जुड़े सभी गाइडलाइंस ब्लड बैंककर्मी फॉलो कर रहे हैं.

Last Updated : May 6, 2021, 2:30 PM IST

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