पटनाः बिहार में ब्लैक फंगस (Black Fungus In Bihar) का खतरा गहराता जा रहा है. बीते 24 घंटे में ब्लैक फंगस के 24 नए मरीज मिलने के साथ ही बिहार में कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 586 हो गई है.
वहीं इस दौरान 3 लोगों की जान भी गई है. राज्य में ब्लैक फंगस से मरने वालों की संख्या 79 हो गई है. विभिन्न अस्पतालों में ब्लैक फंगस के 356 मरीजों का इलाज अभी चल रहा है, जबकि 154 मरीज ठीक हुए हैं.
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पटना में ब्लैक फंगस की दवा खत्म
ब्लैक फंगस (Black Fungus) की दवा एंफोटेरिसिन-बी ( Amphotericin-B ) एक बार फिर से पटना के सभी अस्पतालों में खत्म हो गया है. मरीजों को अब पोसाकोनाजोल टैबलेट ही दिया जा रहा है.
पीएमसीएच में इंजेक्शन के साथ-साथ पोसाकोनाजोल टैबलेट (Posaconazole Tablet) भी खत्म हो गई है, जिस वजह से मरीजों की मुसीबत बढ़ गई है. पटना एम्स में एंफोटेरिसिन-बी के बदले एंफोटेरिसिन की दवा अपनी तरफ से अस्पताल प्रबंधन खरीदने की तैयारी कर रहा है. एंफोटेरिसिन की दवा काफी सस्ती है और इसके एक वायल की कीमत 350 रुपये से लेकर 400 रुपये होती है.
पटना के अस्पतालों का हाल
बीते 24 घंटे में पटना एम्स (Patna AIIMS) में 15 नए मरीज एडमिट हुए. इसके साथ ही यहां एडमिट कुल मरीजों की संख्या 109 हो गई है. आईजीआईएमएस (IGIMS Patna) में 9 नए मरीज एडमिट हुए जिसके बाद यहां कुल 127 मरीजों का इलाज चल रहा है.
पटना एम्स में ब्लैक फंगस की सर्जरी के लिए चार ऑपरेशन थिएटरों की व्यवस्था हाल ही में की गई है, जिसके बाद डॉक्टरों की कमी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने पीएमसीएच (PMCH Patna) से चार डॉक्टरों को पटना एम्स में प्रतिनियुक्त किया है. ये डॉक्टर 1 महीने तक पटना एम्स में ही ड्यूटी देंगे. इनमें सहायक प्राध्यापक डॉ. अमित कुमार और उनकी टीम के तीन डॉक्टर शामिल हैं.
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ब्लैक फंगस के तीन तरह के मिल रहे मरीज
आईजीआईएमस के अधीक्षक मनीष मंडल ने बताया कि ब्लैक फंगस से संक्रमित सामान्य तौर पर तीन तरह के मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं.
- पहला: जिन्हें कोविड हुआ था और वे ठीक होकर घर चले गए लेकिन 15 से 20 दिन के अंदर उन्हें ब्लैक फंगस इंफेक्शन हो रहा है.
- दूसरा: वैसे मरीज होते हैं जो कोविड पॉजिटिव होते हैं. इलाज चल रहा है लेकिन अचानक मरीज को ब्लैक फंगस हो जाता है. ये वैसे मरीज होते हैं जो घर पर रहकर इलाज कर रहे हैं और घर पर ही ऑक्सीजन की व्यवस्था किए हुए हैं. जो ऑक्सीजन और पाइप इस्तेमाल किया जाता है उसमें फंगस होने की संभावना ज्यादा होती है.
- तीसरा: वैसे मरीज होते हैं जो अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं. जैसे ब्लड प्रेशर, शुगर, किडनी की बीमारी, टीबी या कैंसर. ऐसे मरीजों की इम्यूनिटी कम रहती है. ज्यादातर ऐसे लोगों में ब्लैक फंगस ब्रेन तक पहुंच जाता है.
एहतियात के लिए क्या करें...
'ज्यादा दिक्कत हो रही है क्योंकि ब्लैक फंगस की जो दवा है वो दो से तीन दिन में मरीज पर असर कर रहा है. लेकिन ब्रेन तक फंगस पहुंचने के कारण मरीजों के पास ज्यादा वक्त नहीं रहता, ऐसे ही मरीजों की मृत्यु हो रही है. लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. ध्यान रखें हाथ धोकर ही मुंह-नाक छुएं, पूरी तरह सतर्कता से ही इससे बचा जा सकता है.'-मनीष मंडल, अधीक्षक, आईजीआईएमएस पटना