पटना:कोरोना महामारीके दौर में ब्लैक फंगसका खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है. जिसके चलते बिहार सरकार ने ब्लैक फंगसको महामारी घोषित कर दिया है. बिहार में इस बीमारी से कई लोग ग्रसित हो चुके हैं और रोज इसके मामले सामने आ रहे हैं. ब्लैक फंगस को लेकर कहा जा रहा है कि ये शरीर के बाहरी हिस्से से होकर अंदर प्रवेश कर आंख या मस्तिक में पहुंचकर टिशू को बुरी तरह से डैमेज कर देता है.
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कोरोना वायरस की दूसरी लहर कहर मजा रही है वहीं ये तबाही अभी थमी भी नहीं थी कि अब एक और नई मुसीबत ने बिहार में दस्तक दे दी है. कोरोना महामारी के बाद अब राज्य में 'ब्लैक फंगस' बीमारी के भी मरीज मिलने शुरू हो गए हैं. जो प्रदेश में महामारी का रूप ले रही है.
''बिहार में ब्लैक फंगस बीमारी से ग्रसित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है सरकार ने इसे एपिडेमिक एक्ट के तहत शामिल कर लिया है. अब चिकित्सकों को ग्रसित लोगों के बारे में सरकार को जानकारी देनी होगी और बीमार का इलाज प्रोटोकॉल के हिसाब से करना होगा.''-मंगल पांडे, स्वास्थ्य मंत्री, बिहार
बिहार में ब्लैक फंगस के 174 मामले
ब्लैक फंगस बीमारी मरीजों की आंखों की रोशनी के साथ-साथ जान तक भी ले रही है. कई राज्यों में इसे महामारी घोषित कर दी गई है. बता दें कि बिहार में ब्लैक फंगस का आंकड़ा बढ़कर 174 पहुंच चुका है.
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क्या है ब्लैक फंगस?
म्यूकरमाइकोसिस (एमएम) को ब्लैक फंगस के नाम से जानते है. म्यूकरमाइकोसिस एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है. यह म्यूकर फफूंद के कारण होता है, जो आमतौर पर मिट्टी पौधों में खाद सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. यह फंगस साइनस दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करती है, और डायबिटीज के मरीजों या बेहद कमजोर यूनिटी रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों (कैंसर या एचआईवी एड्स ग्रसित) के लिए यह जानलेवा भी हो सकती है. अभी के दौर में कोरोना के उबर चुके मरीजों पर इसका असर देखा जा रहा है.