पटना:बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गांधी मैदान में एक बड़ी सभा बुलाकर 1 लाख 20 हजार शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिया. अब तक देश में इस तरह से बड़े पैमाने पर पहली बार नियुक्ति पत्र बांटा गया है. इस नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम को देखकर विपक्षी दलों के माथे पर शिकन आ गयी है. जाहिर सी बात है जिस तरह से बड़े पैमाने पर नियुक्ति पत्र बांटा गया है, उससे आने वाले समय में सत्तारूढ़ दल अपनी राजनीतिक रोटी भी सेंकेगा. ऐसे में बीजेपी के नेता कई तरह के सवाल इस नियुक्ति प्रक्रिया पर लगा रहे हैं.
'डोमिसाइल नीति हटाकर स्कैम कर रही है सरकार':भाजपा प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि यह शिक्षक नियुक्ति पूरी तरह से फर्जीवाड़ा है. नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया बीपीएससी करती है, उनके वेबसाइट पर पेपर अपलोड होते हैं. लेकिन उस पेपर की जांच शिक्षा विभाग करता है, यह अजूबा उदाहरण है. बीपीएससी अगर एग्जाम कंडक्ट कर रही है तो पेपर की समीक्षा और जांच भी बीपीएससी को ही करना चाहिए.
"सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि नीतीश कुमार का एक वक्तव्य आया है 12 फीसदी लोग बाहर के लोग हैं. बीजेपी के गले से यह बात नहीं उतरती है. क्योंकि यह जो वैकेंसी निकली थी उसके पीछे स्कैम करने की रणनीति चल रही है. क्योंकि इन लोगों ने डोमिसाइल नीति हटा दिया था. ऐसा है कि जब से नीतीश कुमार ने लैंड फॉर स्कैम वाले से संबंध बनाया है तबसे ऐसा हो रहा है."-प्रभाकर मिश्रा,भाजपा प्रवक्ता
'सूची जारी करे सरकार':बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि लालू यादव का यह शुरू से रहा है कि नौकरियां निकलने से पहले ही बिक जाती थी. यह एक नया मनी फॉर जॉब स्कैम है. लैंड फॉर स्कैम जो हुआ था वह बिहार के लोगों के साथ हुआ था, वो तो पब्लिक डोमेन में आ गया. इसलिए उन्होंने डोमिसाइल नीति खत्म किया क्योंकि, बाहर के लोग इसमें शामिल होंगे. यह स्कैम करने का अनोखा तरीका है. बिहार सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए 1 लाख 20 हजार नियुक्ति पत्र बांट गए हैं उसमें बिहार के कितने लोग हैं. इसकी सूची जारी करनी चाहिए.