पटनाः नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के मैदान में आने के बाद कुढ़नी का उपचुनाव दिलचस्प हो गया है. तेजस्वी यादव ने ललन सिंह के साथ चुनाव प्रचार किया (Campaigning intensifies for Kurhani seat) और अब नीतीश कुमार भी चुनाव प्रचार के लिए जाने वाले हैं. इधर मुकेश साहनी भाजपा को हराने का दम्भ भर रहे हैं. थ्री फैक्टर ने भाजपा के सिर्फ नेतृत्व को टेंशन में डाल दिया है. राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कुढ़नी के उपचुनाव को देश का चुनाव करार देकर राजनीतिक दलों की बेचैनी बढ़ा दी है तो मुकेश सहनी भूमिहार जाति का उम्मीदवार नीलाभ को टिकट देकर भाजपा को हराने का स्वप्न देख रहे हैं. नगर निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद भाजपा नई रणनीति के साथ चुनाव के मैदान में जाने की तैयारी कर रही है.
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अति पिछड़ा कार्ड खेलने की तैयारीः भाजपा उपचुनाव में अति पिछड़ा कार्ड खेलने की तैयारी कर चुकी है सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भाजपा हमलावर है और पार्टी का मानना है कि अति पिछड़ों के हक मारी करने के लिए सरकार नगर निकाय चुनाव को लटका रही है. पार्टी अभी मुद्दा उठा रही है कि नीतीश कुमार ने एक अति पिछड़ा को टिकट से वंचित किया है लेकिन भाजपा ने अति पिछड़ा समुदाय से आने वाले नेता को मैदान में उतारा है. भारतीय जनता पार्टी ने बिहार प्रदेश के तमाम पिछड़ा और अति पिछड़ा नेताओं को कुढ़नी के मैदान-ए-जंग में उतार दिया है.
अपनी जाति के वोटरों को लुभा रहे हैंः राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने भी कमान संभाल ली है. सुशील मोदी चुनाव प्रचार के लिए मतदाताओं के बीच जा रहे हैं तो सम्राट चौधरी, अजय निषाद, संजीव चौरसिया, प्रमोद चंद्रवंशी के अलावा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल कुढ़नी में कैंप कर रहे हैं. आपको बता दें कि कुढ़नी में 300000 वोटरों की संख्या है जिसमें सबसे ज्यादा 60000 के आसपास भूमिहार जाति के वोटर हैं. भूमिहार जाति के वोटरों को लुभाने के लिए भी भाजपा के तमाम नेता कुढ़नी में कैंप कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा, विधान पार्षद देवेश कुमार, पूर्व विधायक मनोज शर्मा और अनिल शर्मा अपनी जाति के वोटरों को लुभाने में जुटे हैं.