पटनाःबिहार में महागठबंधन सरकार का 1 साल पूरे होने पर बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदीने नीतीश कुमार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद से हाथ मिला कर पर विकास को ठप तक दिया. हत्या-बलात्कार, बैंक लूट की घटनाओं में तेजी आई और कानून-व्यवस्था चौपट कर दी गई. इन घटनाओं में वृद्धि से जंगलराज रिटर्न का एहसास होता है.
Bihar Politics: 'बिहार में एक साल जंगलराज रिटर्न जैसा रहा'- महागठबंधन सरकार का 1 वर्ष पूरा होने पर सुशील मोदी का तंज - बिहार में महागठबंधन सरकार का 1 साल पूरा
पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि 9 अगस्त को जब देश अगस्त क्रांति की वर्षगांठ मना रहा था, तब बिहार जनादेश से विश्वासघात की पहली बरसी मना रहा था. उन्होंने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार, अपराध और परिवारवाद के आगे घुटने टेक दिए हैं.
'एक साल जंगलराज रिटर्न जैसा रहा':सुशील मोदी ने कहा कि जो लोग कैबिनेट की पहली बैठक में दस लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने का वादा कर रहे थे, उन्होंने कैबिनेट की 100 से ज्यादा बैठकों के बाद सौ लोगों को भी नौकरी नहीं दी. उन्होंने कहा कि महागठबंधन सरकार बनवा कर नीतीश कुमार ने परिवारवाद, भ्रष्टाचार, अपराध और वोट बैंक की राजनीति से समझौता किया, जिससे पिछला एक साल जंगलराज -रिटर्न जैसा रहा.
"भ्रष्टाचार से समझौता करने के कारण मुख्यमंत्री ने नौकरी के बदले जमीन मामले में आरोप-पत्र दायर होने के बावजूद डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से न बिंदुवार जवाब मांगा, न उनसे इस्तीफा लिया. वोट बैंक की राजनीति के चलते बिहार शरीफ और सासाराम में रामनवमी की शोभायात्रओं पर हमले करने वालों को बचाया गया, जबकि भाजपा के पूर्व विधायक को फर्जी आरोप लगाकर जेल भेजा गया. नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार, अपराध और परिवारवाद के आगे घुटने टेक दिए हैं"- सुशील कुमार मोदी, सांसद, बीजेपी
नीतीश कुमार के पलटी मारने से जनता परेशानः बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि लालू राज की वापसी के भय से बिहार में एक साल के दौरान कोई भी बड़ा निवेशक नहीं आया. उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार की पुलिस शिक्षकों और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर तो लाठी भांजती रही, जबकि बालू-शराब माफिया के हाथों पुलिस जगह-जगह मार खाती रही. गृह मंत्री भी नीतीश कुमार हैं, लेकिन वे अपनी जिम्मेदारी नहीं लेते. नीतीश कुमार के पलटी मारने से जनता ने बहुत-कुछ झेला, लेकिन 2024 के संसदीय चुनाव और 2025 के विधानसभा चुनाव के बाद बिहार को नीतीश-लालू राज से अवश्य मुक्ति मिलेगी.