पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) 8 दिनों के बाद दिल्ली से पटना बुधवार को लौट आए. नीतीश कुमार की आंख का इलाज तो हो गया लेकिन राजनीतिक मर्ज का इलाज शायद नहीं हो पाया. प्रधानमंत्री मोदी ( PM Modi ) और मुख्यमंत्री के बीच संवाद तो दूर की बात है. बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व के किसी नेता ने सुशासन बाबू का कुशल क्षेम भी पूछना मुनासिब नहीं समझा. वहीं, अब राजद ( RJD ) ने नीतीश कुमार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि नीतीश कुमार कुर्सी की लालच में एनडीए में अपमान सहकर मुख्यमंत्री बने हुए हैं.
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बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने हाल भी नहीं पूछा
लंबे अंतराल के बाद ऐसा मौका आया जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक सप्ताह से ज्यादा समय दिल्ली में रहे. लेकिन भाजपा और जदयू ( BJP-JDU ) नेताओं के बीच गर्मजोशी नहीं दिखी. भाजपा के शीर्ष नेताओं ने मुख्यमंत्री से दूरी बनाए रखा. भाजपा के किसी बड़े नेता ने मुख्यमंत्री का कुशल क्षेम भी मिलकर पूछना जरुरी नहीं समझा.
चाचा-भतीजे प्रकारण से पशोपेश में बीजेपी
दरअसल, भाजपा के समक्ष एनडीए को एकजुट रखने की चुनौती है. चिराग पासवान ( Chirag Paswan ) और नीतीश कुमार के बीच आर पार की लड़ाई है. पशुपति पारस ने बगावत कर पार्टी को दो फाड़ कर दिया है. जदयू की मंशा यह है कि पशुपति पारस को केंद्र में मंत्री बनाया जाए लेकिन भाजपा चाहती है कि पहले चिराग पासवान पारिवारिक विवाद को सुलझाएं उसके बाद मंत्रिमंडल को लेकर कोई अंतिम फैसला हो. भाजपा को यह मालूम है कि अगर पशुपति पारस को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा तो चिराग पासवान महागठबंधन खेमे में चले जाएंगे.
जदयू का 'बदलापुर' मिशन
विधानसभा चुनाव और सरकार गठन के बाद से जदयू 'मिशन बदलापुर' में जुटी है. एक-एक करके लोजपा ( LJP Split ) से नेताओं को तोड़ा जा रहा है. पार्टी के एकमात्र विधायक को भी तोड़ दिया गया. इसके अलावा कई नेताओं को जदयू में शामिल कराया गया. पशुपति पारस ( Pashupati Paras ) को भी जदयू खेमे में लाने की तैयारी है. चिराग पासवान को राजनीतिक रूप से कमजोर करने के लिए जदयू चाहती है कि पशुपति पारस को मंत्री बनाया जाए. इस तरह लोक जनशक्ति पार्टी पर उनका कब्जा बरकरार रहे.
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दौरे से पहले मुलाकात के लगाए जा रहे थे कयास
नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे से पहले कयास लगाए जा रहे थे कि मुख्यमंत्री की मुलाकात प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से हो सकती है. लेकिन 8 दिनों के प्रवास के दौरान भाजपा के केद्रीय नेतृत्व ने उनसे दूरी बनाये रखी.