पटना: उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) होने वाला है. इससे पहले योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की सरकार जनसंख्या नियंत्रण कानून(Population Control Law) लाने की तैयारी में है. आने वाले समय में उत्तर प्रदेश में दो से अधिक संतान वालों की सुविधाओं में कटौती की जा सकती है. उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा.
यह भी पढ़ें-जनसंख्या नियंत्रण को लेकर BJP विधायक हरि भूषण ठाकुर का बयान, बिहार में भी लागू हो कानून
उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार की इस पहल का असर बिहार में भी देखने को मिल रहा है. बिहार में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर राजनीति तेज हो गई है. बीजेपी के नेता जहां बिहार में भी ऐसा कानून लागू करने की वकालत कर रहे हैं. वहीं, जदयू इसके लिए तैयार नहीं. गौरतलब है कि बिहार का प्रजनन दर (Fertility Rate) देश में सबसे अधिक है. पिछले कुछ सालों में इसमें कमी आई है.
बिहार में हुई अधिक जनसंख्या वृद्धि
बिहार में जनसंख्या वृद्धि दर कई राज्यों से अधिक है. 1991 से 2001 के बीच जनसंख्या वृद्धि दर 28.6 फीसदी था. अब यह घटकर 25.4 फीसदी हुआ है. राष्ट्रीय औसत 17.7 फीसदी है. यानी बिहार की जनसंख्या वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत से करीब 7 फीसदी अधिक है.
भारत का जनसंख्या घनत्व औसतन 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है. बिहार का जनसंख्या घनत्व राष्ट्रीय औसत से 3 गुना अधिक है. यहां प्रति वर्ग किलोमीटर 1106 लोग रहते हैं. 2011 में बिहार की जनसंख्या 9 करोड़ के आसपास थी. अब यह बढ़कर 12 करोड़ से अधिक हो गई है.
बीजेपी लंबे समय से उठाती रही है मांग
बिहार में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने की मांग बीजेपी के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह करते रहे हैं. अब बचोल के विधायक हरि भूषण ठाकुर ने भी इसकी मांग की है. जदयू फिलहाल इसपर कुछ भी बोलने से बच रहा है. नीतीश कुमार ने भी चुप्पी साध ली है. असम और यूपी में जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की पहल के बाद बीजेपी का दबाव नीतीश कुमार पर भी बढ़ेगा यह तय है.
ईटीवी भारत इन्फोग्राफिक्स जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने की मांग बीजेपी लंबे समय से उठाती रही है. अब असम में यह कानून लागू हो चुका है. उत्तर प्रदेश में भी चुनाव से पहले कानून लागू करने की तैयारी है. उत्तर प्रदेश से सटे बिहार की जनसंख्या देश में सबसे तेजी से बढ़ रही है. सीमांचल सहित कई इलाकों का प्रजनन दर सबसे ज्यादा है. मुस्लिम बहुल यह इलाका पिछड़ा हुआ है.
जनसंख्या वृद्धि के नाम पर हो रही सियासत
असम और यूपी में बीजेपी की सरकार है. दूसरे कई राज्यों में जहां बीजेपी की सरकार है वहां भी जनसंख्या नियंत्रण कानून पर चर्चा होने लगी है. बिहार में गिरिराज सिंह लगातार इस मामले को उठाते रहे हैं. गिरिराज सिंह का निशाना एक खास वर्ग भी रहा है और इसको लेकर सियासत भी होती रही है. अब बीजेपी विधायक हरी भूषण ठाकुर भी इस मामले को उठा रहे हैं और कह रहे हैं कि बिहार नहीं पूरे देश में इसे लागू होना चाहिए.
बीजेपी से अलग है जदयू की राय
वोट बैंक के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने से सरकारें बच रही हैं. बिहार में एनडीए की सरकार है. नीतीश कुमार एनडीए के मुखिया हैं, लेकिन विवादित मुद्दों पर जदयू की अपनी अलग राय रही है. तीन तलाक, सीएए और राम मंदिर जैसे मुद्दों पर जदयू ने खुलकर कभी बीजेपी का सपोर्ट नहीं किया, लेकिन विरोध भी नहीं किया है.
ईटीवी भारत इन्फोग्राफिक्स अब जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर जदयू के नेता कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. यहां तक कि मुख्यमंत्री ने भी चुप्पी साध ली है. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा का कहना है कि असम में जो कानून लाया गया है या फिर यूपी में लाया जा रहा है उसे देखने के बाद ही हम कुछ बोल पाएंगे.
जरूरी है जनसंख्या नियंत्रण
"देश और पूरी दुनिया में जिस प्रकार से जनसंख्या बढ़ रही है वह सही नहीं है. इस पर नियंत्रण होना ही चाहिए. सबको समान भागीदारी मिले इसके लिए जनसंख्या नियंत्रण जरूरी है."- अरुण सिन्हा, विधायक, बीजेपी
"जनसंख्या नियंत्रण कानून पूरे देश में लागू हो. यह अच्छी बात है. कांग्रेस ने भी इसके लिए पहल की थी. बीजेपी अगर इसे सांप्रदायिकता के आईने में देख रही है. हिंदू-मुस्लिम के दायरे में देख रही है तो यह गलत है. देशहित में जनसंख्या घटाने की बात होनी चाहिए, लेकिन घृणा फैलाने और समाज में बिखराव करने के लिए इसे लागू करने की मांग उचित नहीं है."- वृशिण पटेल, वरिष्ठ नेता, आरजेडी
सामाजिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा का बयान. "असम ने जनसंख्या नियंत्रण कानून लाकर एक अच्छी पहल की है. यूपी में भी यदि इसे लाया जा रहा है तो सही कदम होगा. इसे पूरे देश में लागू करना चाहिए, जिससे संसाधनों का सही ढंग से इस्तेमाल लोगों के लिए किया जा सके."- प्रोफेसर अजय झा, सामाजिक विशेषज्ञ
चली गई थी कांग्रेस की सरकार
गौरतलब है कि देश में सबसे पहले जनसंख्या नियंत्रण के लिए परिवार नियोजन का कार्यक्रम कांग्रेस की सरकार ने शुरू किया था. इसके लिए जोर-जबर्दस्ती की गई थी, जिसके चलते कांग्रेस की सरकार चली गई थी. उसके बाद किसी सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर बड़ा फैसला नहीं लिया. अब बीजेपी इसे बड़ा मुद्दा बनाना चाह रही है. असम में सरकार बनाने के बाद जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू किया गया. यूपी में चुनाव से पहले लागू करने की कोशिश हो रही है. बिहार के भी बीजेपी के नेता इसकी मांग कर रहे हैं.
नीतीश के लिए पैदा होगी असहज स्थिति
जनसंख्या नियंत्रण के मामले में नीतीश कुमार का अपना तर्क रहा है. उनका मानना है कि महिलाओं को शिक्षित कर जनसंख्या नियंत्रण किया जा सकता है. नीतीश जनसंख्या नियंत्रण के लिए सख्ती के खिलाफ रहे हैं. ऐसे में बीजेपी की तरफ से मांग तेज होने पर नीतीश कुमार के लिये असहज स्थिति पैदा होगी.
पहले भी नरेंद्र मोदी सरकार ने कई बड़े फैसले लिए तो जदयू ने खुलकर विरोध नहीं किया और न खुलकर सपोर्ट किया. अब इस मुद्दे पर भी यदि केंद्र सरकार की तरफ से कोई बड़ा फैसला होता है तब भी जदयू खुलकर समर्थन करेगा इसकी संभावना कम है. जानकार इसका बड़ा कारण बताते हैं कि नीतीश कुमार को लगता है कि इन फैसलों से अल्पसंख्यक वर्ग नाराज हो जाएगा.
ईटीवी भारत इन्फोग्राफिक्स बिहार की नहीं है अच्छी स्थिति
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल के अनुसार बिहार में 28391 की आबादी पर एक चिकित्सक हैं. वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर 1456 की आबादी पर एक डॉक्टर है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार 1 हजार की आबादी पर 1 डॉक्टर होना चाहिए. हेल्थ इंडेक्स में बिहार देश में 20वें स्थान पर है. राष्ट्रीय औसत के हिसाब से प्रति एक लाख की आबादी पर 221 डॉक्टर, नर्स और अन्य स्वास्थ्य कर्मी होने चाहिए. बिहार में यह संख्या 19.74 ही है.
बिहार में डॉक्टरों की जितनी जरूरत है उसमें 60 फीसदी की कमी है. अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की स्थिति भी अच्छी नहीं है. अभी नीति आयोग की एसडीजी आधारित रिपोर्ट में भी बिहार निचले पायदान पर है. जनसंख्या वृद्धि दर को लेकर ऐसे तो सभी नेता चिंता जताते रहे हैं, लेकिन वोट बैंक के कारण कड़े कानून लाने से बचते भी रहे हैं.
2050 तक सबसे अधिक हो जाएगी भारत की आबादी
दुनिया में चीन के बाद सबसे अधिक आबादी भारत की है. विशेषज्ञ भी कह रहे हैं कि 2050 तक भारत की आबादी विश्व में सबसे अधिक हो जाएगी. अधिक आबादी होने के कारण रोजगार से लेकर स्वास्थ्य और सभी संसाधनों पर खासा असर दिखता है. कोरोना के समय स्वास्थ्य व्यवस्था जिस प्रकार चरमराई उसका बड़ा उदाहरण है. ऐसे में जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग तेज हो गई है. अब देखना है बिहार में बीजेपी का दबाव नीतीश कुमार कितना झेल पाते हैं.
यह भी पढ़ें-कुशवाहा-सहनी काफी दिन बाद मिले, दूर हुए शिकवे-गिले!