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नीतीश मंत्रिमंडल: 31 मंत्रियों में 17 नए चेहरे, जानिए क्या है जातीय गणित

बीजेपी और जेडीयू ने शाहनवाज हुसैन और जमां खान को मंत्री बनाकर जहां अल्पसंख्यकों को खुश करने की कोशिश की है, वहीं बीजेपी ने नितिन नवीन को मंत्री का दायित्व देकर कायस्थ वोट बैंक को साधने की कोशिश की है. देखें पूरी रिपोर्ट

bjp jdu caste equations through cabinet expansion in bihar
bjp jdu caste equations through cabinet expansion in bihar

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Published : Feb 10, 2021, 9:57 AM IST

पटना: बिहार में पिछले साल नवंबर में बनी नीतीश सरकार का मंगलवार को मंत्रिमंडल विस्तार हो गया. मंत्रिमंडल विस्तार में 17 नए मंत्री बनाए गए हैं. मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए बीजेपी और जेडीयू ने जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है.

बता दें कि दोनों दलों में से एक भी मुस्लिम विधायक जीतकर विधानसभा नहीं पहुंचा था. शाहनवाज हुसैन को विधान पार्षद पहुंचाया गया और जमां खान बहुजन समाज पार्टी से जेडीयू में शामिल हुए हैं.

मंत्रिमंडल विस्तार में ऐसे तो सभी जाति से आने वाले नेताओं को मंत्री बनाने की कोशिश की गई है, लेकिन सबसे अधिक राजपूत जाति को तवज्जो दी गई है. राजपूत जाति से आने वाले चार लोगों को मंत्री बनाया गया है. बीजेपी और जेडीयू ने दो-दो राजपूत नेताओं को मंत्री बनाकर सवर्णो पर भी विश्वास जताया है.

दोनों दलों ने ब्राह्मण जाति से एक-एक मंत्री बनाया
बीजेपी ने जहां नीरज कुमार बबलू व सुभास सिंह को मंत्री बनाया. वहीं जेडीयू ने लेसी सिंह और जमुई से निर्दलीय विधायक सुमित सिंह को मंत्री बनाया है. दोनों दलों ने ब्राह्मण जाति से आने वाले एक-एक नेता को मंत्री बनाया गया है. बीजेपी ने जहां आलोक रंजन को मंत्री बनाया है, वहीं जेडीयू ने संजय कुमार झा पर एकबार फिर विश्वास जताया है.

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वोट बैंक कोइरी, कुर्मी पर विश्वास!
बीजेपी ने अपने वैश्य वोटबैंक पर भी विश्वास जताया है. बीजेपी ने विधायक प्रमोद कुमार को तथा नारायण प्रसाद को मंत्री बानकार वैश्य जातियों के वोटबैंक को साधने की कोशिश की है. इसी तरह, जेडीयू ने अपने वोटबैंक कोइरी, कुर्मी पर विश्वास जताया है. जेडीयू ने कुर्मी जाति से आने वाले नीतीश कुमार के विश्वासपात्र श्रवण कुमार को तथा कुशवाहा जाति से आने वाले जयंत राज को मंत्री बनाया है. जेडीयू ने मल्लाह समाज से आने वाले मदन सहनी को भी मंत्री बनाया गया है.

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'दलित कार्ड भी खेलने की कोशिश'
बीजेपी ने दलित समुदाय से आने वाले पूर्व सांसद जनक राम को मंत्रिमंडल में शामिल किया है, जबकि जेडीयू ने भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे गोपालगंज के भोरे के विधायक सुनील कुमार को मंत्रिमंडल में स्थान देकर दलित कार्ड भी खेलने की कोशिश की है.

वोट बैंक को खुश करने की कोशिश
मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए दोनों दलों ने अपने-अपने तरीके से जहां अपने वोटबैंक को खुश करने की कोशिश की है. साथ ही नए सियासी समीकरण साधने की भी कोशिश की है. वैसे अब देखने वाली बात होगी कि दोनों दल इसमें कितना सफल हो पाते हैं. वैसे, मंत्रिमंडल विस्तार के पहले ही बीजेपी में बगावती सुर भी सुनाई देने लगे हैं.

बीजेपी से बाढ़ विधायक ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानु ने नए मंत्रियों के चेहरों पर पार्टी के निर्णय को गलत ठहराया है. उन्होंने कहा कि अनुभवी लोगों को दरकिनार कर दिया है तथा सवर्णों की उपेक्षा की गई है.

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ज्ञानु ने मंगलवार को कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार में ना अनुभवी नेताओं को शामिल किया गया है और नाही क्षेत्र में सामंजस्य बैठाने की कोशिश की गई है. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में कई जिलों से तीन-तीन मंत्री बन गए हैं, जबकि कई जिलों को छोड़ दिया गया है.

उन्होंने कहा कि दिग्गज नेता जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र और अनुभवी नेता नीतीश मिश्रा को भी मंत्री बनाने लायक नहीं समझा गया. उन्होंने कहा कि विस्तार में बीजेपी ने जाति, क्षेत्र और छवि का ख्याल भी नहीं रखा.

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