बीजेपी प्रवक्ता संजय टाइगर पटना:बिहार में जहरीलीशराबसे हो रही मौतों के बाद से ही शराबबंदी कानून पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. सत्ता में रहते हुए बीजेपी ने इस मुद्दे पर हमेशा सीएम नीतीश का साथ दिया लेकिन जैसे ही नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़ा वैसे ही बीजेपी ने कई मुद्दों पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. फिलहाल ज्वलंत मुद्दा शराबबंदी कानून है. सिवान में अबतक 10 लोगों की मौत (people died due to poisonous liquor in Siwan ) जहरीली शराब से हो चुकी है. ऐसे में बीजेपी ने सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है.
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शराबबंदी कानून पर बीजेपी ने साधा निशाना: जहरीली शराब से मौतों को शराबबंदी का साइड इफेक्ट माना जा रहा है. शराब के अवैध कारोबारी फल फूल रहे हैं और लोगों तक जहरीली शराब की खेप पहुंचाई जा रही है. जहरीली शराब से लोगों की मौतें भी हो रही हैं. अब तक 1000 से ज्यादा लोग जहरीली शराब पीकर मौत के मुंह में समा चुके हैं. इसको लेकर भाजपा आक्रमक है. पार्टी प्रवक्ता संजय टाइगर ने कहा है कि बिहार में शराबबंदी पूरी तरह फेल है.
"जहरीली शराब से मौत चिंता का सबब है. सरकार शराबबंदी कानून को ठीक तरीके से लागू नहीं कर सकी है. लिहाजा नीतीश कुमार को सर्वदलीय बैठक बुलाकर शराबबंदी कानून को लेकर विचार-विमर्श करना चाहिए. जहरीली शराब से मौत का जिम्मेदार सीधे-सीधे नीतीश सरकार है."- संजय टाइगर, बीजेपी प्रवक्ता
जहरीली शराब पीने से सिवान में मौत:जहीरीली शराब पीने से सिवान में 10 लोगों की मौत की खबरें हैं. मरने वाले लोगों में जनक देव बीन पिता लक्ष्मण बीन उम्र 45 वर्ष ग्राम बाला, राजू मांझी पिता जमदार मांझी उम्र 35 वर्ष ग्राम बाला, सुरेंद्र प्रसाद पिता भोला प्रसाद उम्र 50 वर्ष ग्राम बाला, राजेश प्रसाद पिता रामनाथ प्रसाद उम्र 32 साल ग्राम बाला, धूरेंद्र मांझी पिता शिवदयाल मांझी उम्र 35 साल ग्राम बाला, जितेंद्र मांझी पिता राजू मांझी, ग्राम बाला, लछन देव राम पिता सर्वजीत राम ग्राम परौड़ी उम्र 55 साल, दुलम रावत पिता सुदामा रावत उम्र 40 वर्ष ग्राम बाला, नरेश रावत ग्राम बाला और सुदर्शन महतो पिता मोख्तार महतो शामिल हैं. हालांकि, प्रशासन ने सिर्फ पांच लोगों की मौत की पुष्टि की है.
बिहार में 2016 से शराबबंदी :बिहार सरकार ने 2016 में शराबबंदी कानून (Bihar Liquor Ban) लागू किया था. कानून के तहत शराब की बिक्री, पीने और बनाने पर प्रतिबंध है. शुरुआत में इस कानून के तहत संपत्ति कुर्क करने और उम्र कैद की सजा तक का प्रावधान था, 2018 में संशोधन के बाद सजा में थोड़ी छूट दी गई थी. आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2016 से दिसंबर 2021 तक शराबबंदी कानून के तहत करीब 2.03 लाख मामले सामने आए. इनमें 3 लाख से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें से 1.08 लाख मामलों का ट्रायल शुरू किया गया. इनमें से 94 हजार 639 मामलों का ट्रायल पूरा हो चुका है. 1 हजार 19 मामलों में आरोपियों को सजा मिली. 610 मामलों में आरोपियों को बरी किया जा चुका है.