पटना: गुजरात मेंभगवद गीताशैक्षणिक वर्ष 2022-23 से राज्य भर में कक्षा 6 से 12 के लिए स्कूल पाठ्यक्रम का हिस्सा (Bhagavad Gita In Bihar school Curriculum) होगी. गुजरात सरकार ने स्कूलों में गीता की पढ़ाई कराने का फैसला लिया है . इस पर अब पूरे देश में चर्चा होने लगी है. अब बिहार में भी आवाज उसने लगी है कि स्कूलों में गीता की पढ़ाई हो. हालांकि विपक्षी दल कह रहे हैं कि गीता ही क्यों अन्य धर्म ग्रंथों की भी पढ़ाई होनी चाहिए.
स्कूलों में गीता की पढ़ाई: आरजेडी के नेता इसे बीजेपी का एजेंडा बता रहे हैं तो जदयू भी कह रही है कि वोट बैंक की राजनीति से बचना चाहिए.बीजेपी गीता को लेकर नीतीश कुमार की मुश्किल आने वाले दिनों में बढ़ा सकती है. जानकार भी कहते हैं कि गीता की पढ़ाई लेकर नीतीश कुमार के लिए फैसला लेना आसान नहीं होगा. बीजेपी अपने शासित राज्यों में इसे आसानी से लागू करा देगी लेकिन अन्य जगह आसान नहीं होगा.
बीजेपी का बयान:गुजरात में स्कूलों में बच्चों को गीता ज्ञान दिया जाएगा और इसके लिए फैसला सरकार ने ले लिया है. बिहार बीजेपी के नेता भी चाहते हैं कि बिहार में स्कूलों में गीता की पढ़ाई हो. बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह का कहना है कि हम लोग सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की स्थापना करना चाहते हैं. गुजरात सरकार ने स्कूलों में बच्चों को गीता पढ़ाने का जो फैसला लिया है हम लोग उसका स्वागत करते हैं. यह बिहार सहित पूरे देश के स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए.
"सांस्कृतिक धरोहर को सभी को सहेजना चाहिए. गुजरात सरकार का फैसला स्वागत योग्य है. गीता पथ प्रदर्शक,मार्ग प्रदर्शक है. पूरे देश में इसे लागू करना चाहिए. ताकि आने वाली पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक विरासत को जान सके."- अरविंद सिंह, बीजेपी प्रवक्ता
आरजेडी ने साधा निशाना:लेकिन आरजेडी और अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि गीता की पढ़ाई स्कूलों में होगी तो बाइबल और कुरान की क्यों नहीं? बीजेपी की मंशा हमेशा धार्मिक मुद्दों को उठाकर समाज में माहौल खराब करने की रही है. आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है बीजेपी अपने धार्मिक एजेंडा पर काम कर रही है. स्कूलों में यदि गीता पढ़ाई जाएगी तो अन्य धार्मिक पुस्तक की भी पढ़ाई की मांग होगी. वहीं नीतीश कुमार को लेकर आरजेडी का कहना है कि आरएसएस के रंग में पूरी तरह रंग गए हैं.