पटना :बिहार राजनीति का अखाड़ा बन चुका है. केंद्र में नीतीश कुमार हैं. नीतीश कुमार ने एनडीए को झटका देकर महागठबंधन का दामन थामा है. नीतीश कुमार राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. देश भर के नेताओं के साथ उनकी मुलाकात भी हो चुकी है. नीतीश कुमार सीधे पीएम मोदी को चुनौती देने की तैयारी कर चुके हैं. नीतीश कुमार के राजग से अलग होने के बाद से भाजपा खेमे में मंथन का दौर जारी है. भाजपा भी अपने कुनबे को मजबूत करने में जुटी (BJP to increase NDA clan in Bihar) है. पार्टी की नजर फिलहाल की बिहार पर है. सीमांचल से अमित शाह मिशन 2024 (Amit Shah Mission 2024) का आगाज भी कर रहे हैं, भारतीय जनता पार्टी बिहार में 2014 के फार्मूले पर 35 सीटों के टारगेट को हासिल करना चाहती हैं.
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छोटे दलों ने नहीं खोलें पत्ते :आपको बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ लोक जनशक्ति पार्टी, विकासशील इंसान पार्टी और रालोसपा थी .हाल के कुछ वर्षों में भाजपा के कुनबे में भी खराब दौर आया. नीतीश कुमार के वजह से चिराग पासवान को एनडीए छोड़ना पड़ा. उनके चाचा को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करा दिया गया, जिसके चलते चिराग पासवान और भाजपा के बीच दूरियां बढ़ गई. मुकेश सहनी को भी राजनीतिक महत्वाकांक्षा की वजह से एनडीए छोड़ना पड़ा. बिहार से बाहर भाजपा को चुनौती देना मुकेश सहनी को महंगा पड़ा और उन्होंने मंत्री की कुर्सी भी गंवा दी. अब जबकि नीतीश कुमार ने एनडीए छोड़ दिया है तो ऐसी स्थिति में चिराग पासवान और मुकेश सहनी को तवज्जो मिलना लाजिमी है.
भाजपा भी छोटे दलों को साथ लाना चाहती है. छोटे दल भी मौके की नजाकत को समझ रहे हैं और अब वे अपनी शर्तों के हिसाब से एनडीए में वापसी चाहते हैं. चिराग पासवान और मुकेश सहनी फिलहाल जल्दबाजी नहीं दिखा रहे हैं. चिराग पासवान चाहते हैं कि चाचा पशुपति पारस को मंत्रिमंडल से बाहर किया जाए और उन्हें जगह दी जाए, लेकिन भाजपा ने बीच का रास्ता निकालने के संकेत दिए हैं और दोनों दलों के विलय की बात कही जा रही है. इसके अलावा चिराग पासवान चाहते हैं कि कितनी सीटें हमें दी जाएंगी, वह अभी स्पष्ट कर दिया जाए. झारखंड में भी एक लोक सभा सीट पर चिराग पासवान साथ लड़ना चाहते हैं.
मिल रही जानकारी के मुताबिक चिराग पासवान को एनडीए में जगह दी जा सकती है. फिलहाल चिराग पासवान ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं.मुकेश सहनी ने अब तक यह फैसला नहीं लिया है कि वह किस गठबंधन में रहेंगे फिलहाल बहुत दूसरे राज्यों में पार्टी का विस्तार कर रहे हैं. मुकेश सहनी को एनडीए में लाने के लिए रोड मैप पर मंथन जारी है. भाजपा नेताओं ने मुकेश सहनी को संकेत दिए हैं कि वह गठबंधन को लेकर जल्दबाजी में फैसला ना लें. मुकेश सहनी चाहते हैं कि उन्हें सम्मानजनक जगह दी जाए, इसके अलावा लोकसभा में कितनी सीटें वीआईपी के खाते में आएंगी, वह भी पहले ही तय कर दी जाए.