पटना :हाल में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने तीन राज्यों पर जबरदस्त जीत हासिल की है. सभी एग्जिट पोल को धत्ता बताते हुए बीजेपी ने प्रचंड बहुमत से राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार बनाने में कामयाब रही. सबसे ज्यादा आश्चर्य छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के परिणाम को लेकर हुआ. तमाम राजनीतिक पंडितों ने भूपेश बघेल की कांग्रेस की सरकार को एक बार फिर से छत्तीसगढ़ में स्थापित होने का दावा किया था लेकिन, इन तमाम समीकरणों को तोड़ते हुए भाजपा ने छत्तीसगढ़ में बहुमत से अपनी सरकार बनाई है.
'गोबर' से खिला कमल : अगर आपको कहा जाए कि छत्तीसगढ़ में सरकार गाय के गोबर की बदौलत बनी है तो जरा अटपटा जरूर लगेगा. लेकिन बीजेपी ने जो छत्तीसगढ़ में रणनीति बनाई थी, उसमें गाय के गोबर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि बीजेपी के छत्तीसगढ़ सह प्रभारी और बिहार बीजेपी के नेता नितिन नवीन कह रहे हैं. नितिन नवीन से ईटीवी भारत ने एक्सक्लूसिव बातचीत की. नितिन नवीन इन दिनों छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री चयन का रिपोर्ट लेकर दिल्ली में है.
ईटीवी भारत का सवाल -इस जीत को किस रूप में देख रहे हैं?
नितिन नवीन का जवाब : जब 2018 में हम लोग चुनाव हार चुके थे. तो एक विशेष स्थिति यह बन गई थी कि किसी भी तरह जीत को हासिल करना है. वहां के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने क्षेत्रीयता का मसला उठाया. क्षेत्रवाद के आधार पर वह राजनीति कर रहे थे. उन्होंने माहौल बनाया कि छत्तीसगढ़ के सभी समस्याओं का समाधान कांग्रेस ही करती है. बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह द्वारा किए गए काम को उन्होंने दरकिनार कर दिया था. किसानों को जता रहे थे कि वह उनके मसीहा हैं. क्षेत्रवाद को वह ज्यादा प्रमुखता से उठा रहे थे.
हम लोगों ने होमवर्क किया और इस पूरे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का एक भ्रम जाल फैलाया गया था. उसमें ट्रांसफर पोस्टिंग में करप्शन, शराब घोटाला, भूपेश बघेल लगातार गोधन की बात करते थे, गरीब की बात करते थे, गाय के गोबर से प्लांट लगाने की बात करते थे, उन्होंने इससे सेंटीमेंट उभरा कि हम छत्तीसगढ़ की बात कर रहे हैं. क्षेत्रवाद की बात कर रहे हैं. लेकिन हकीकत कुछ और थी. जब बीजेपी ने इस पर गहन से जांच पड़ताल की और आंदोलन किया तो पता चला कि गोधन के नाम पर बड़ा घोटाला हुआ है.
बिहार के बाद छत्तीसगढ़ ऐसा एक राज्य है जहां बिहार में गाय के चारा में घोटाला हुआ था, तो छत्तीसगढ़ में गाय के गोबर में घोटाला हुआ है. एक-एक पंचायत में दो-दो सौ करोड़ रुपए के घोटाले हुए और उसका पूरा असर सरकार पर दिखा. इसके साथ प्रधानमंत्री आवास योजना में 12 लाख आवास की स्वीकृति छत्तीसगढ़ में की गई थी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उस तमाम आवास को इसलिए लौटा दिया क्योंकि, उसमें प्रधानमंत्री का ही नाम क्यों है? बीजेपी ने इसको लेकर आंदोलन किया.
पंचायत स्तर से लेकर प्रदेश स्तर पर आंदोलन किया गया. बीजेपी ने मोर आवास मोर अधिकार के नाम पर आंदोलन किया. जिसका असर निचले स्तर तक हुआ. हम लोगों ने इस मसले पर खूब आंदोलन किया. 15 मार्च को बड़ा आंदोलन किया गया. तमाम विधायक और तमाम मंत्रियों के आवास घेरे गए और बीजेपी ने नारा दिया था कि जो भी बीजेपी का मुख्यमंत्री बनेगा वह अपने आवास में तब जाएगा जब पहले गरीबों के आशियाने पर पहले सिग्नेचर करेगा. युवाओं के बेरोजगारी भत्ता को वापस कर दिया गया. युवाओं ने बड़े स्तर पर नंगधड़ंग प्रदर्शन किया. छत्तीसगढ़ में बीजेपी बहुत दूर दिख रही थी. लेकिन, भाजपा ने जन आंदोलन और जन समस्या को उठाकर लोगों के नजदीक गई.
ईटीवी भारत का सवाल-जो तमाम एग्जिट पोल आ रहे थे उसमें राजस्थान और मध्य प्रदेश को लेकर तो कमोबेश ठीक था लेकिन, छत्तीसगढ़ के बारे में पूरा विश्वास था कि वहां कांग्रेस रिपीट कर रही है. बीजेपी ने कौन सा मेकैनिज्म अपनाया जिससे भाजपा वहां बहुमत में आ गई?