पटना:बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति से पार्टी राजनीति की दिशा और दशा तय होगी. केंद्रीय नेतृत्व में इस बात को लेकर मंथन का दौरा जारी है. पार्टी लगातार यह भी चिंतन कर रही है कि आगामी विधानसभा चुनाव गठबंधन के साथ लड़ा जाए. इस क्रम में बीजेपी नेता लगातार यह दावा कर रहे हैं कि विधानसभा चुनाव वो जदयू के साथ लड़ेंगे.
बीजेपी पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले बिहार विधानसभा चुनाव को फतह करना चाहेगी. इसके लिए लगातार मंथन का दौर जारी है. बिहार में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति से भी यह साफ हो जाएगा कि पार्टी कि विधानसभा चुनाव में रणनीति क्या होगी.
ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट क्या-क्या हैं आसार?
बीजेपी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जाति कार्ड खेल सकती है. जिसके आधार पर वह वोट बैंक को साधेगी. मालूम हो कि यदि बीजेपी कोइरी और कुर्मी जाति के किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाती है तो यह माना जाएगा कि नीतीश कुमार के साथ पार्टी चुनाव लड़ने से परहेज कर सकती है. वहीं, अगर अत्यंत पिछड़ा कार्ड भी अगर भाजपा खेलती है तो संकेत साफ होगा कि पार्टी नीतीश कुमार से दूरी बना सकती है. ऐसे में बीजेपी की नजदीकियां राजद के साथ बढ़ने के आसार हैं.
कुछ भी बोलने से बच रहे BJP खेमे के लोग
बता दें कि प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति पर बीजेपी का कोई नेता स्पष्ट तौर पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है. पार्टी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश इकाई अभी मंथन कर रहा है. वहीं, पार्टी के उपाध्यक्ष देवेश कुमार सिंह ने कहा है कि अभी लोकसभा का सत्र चल रहा है. पार्टी ने पहले ही कहा है कि लोकसभा सत्र के बाद पार्टी इस पर अंतिम फैसला ले लेगी.