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तेजस्वी के मुद्दे पर बोलने से बच रही RJD, सवालों का दे रही मजाकिया जवाब

आरजीडी नेताओं के लिए तेजस्वी के सदन से गायब रहने के मामले पर जवाब देना मुश्किल हो गया है. राजद के नेता अब इस मामले को मजाक में उड़ा रहे हैं.

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Published : Jul 18, 2019, 9:09 AM IST

पटनाः बिहार विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है और हर दिन इसके संचालन में लाखों रुपए खर्च होते हैं. 14 दिन हो गए हैं. नेता विरोधी दल तेजस्वी यादव सदन की कार्यवाही से लगातार गायब हैं. इस पर बीजेपी के नेताओं ने चुटकी लेते हुए कहा कि सदन में ऐसा कभी नहीं हुआ कि महत्वपूर्ण सत्र चले और नेता विरोधी दल गायब रहें. इस मुद्दे पर आरजेडी नेताओं के लिए जवाब देना मुश्किल होता जा रहा है. भाई वीरेंद्र तो मजाक में यह भी कहने लगे हैं कि बीजेपी के लोगों ने ही उन पर कब्जा कर रखा है.

क्या है भाई वीरेंद्र का कहना
तेजस्वी यादव के गायब रहने पर बीजेपी लगातार पूछ रही है कि आखिर नेता विरोधी दल कहां है. लेकिन इस सवाल पर बीजेपी के लोग भी चुप्पी साध लेते हैं कि जो सदन की कार्यवाही में भाग नहीं लेते हैं उन्हें सुविधाएं और राशि मिलनी चाहिए या नहीं? इसी सवाल पर आरजेडी के लोग मजाक में कहने लगते हैं कि तेजस्वी यादव को तो बीजेपी के लोगों ने कब्जा कर रखा है. हालांकि भाई वीरेंद्र तुरंत संभलते भी हैं और अपने तरीके से तेजस्वी यादव का बचाव भी करते हैं.

तेजस्वी यादव पर नेताओं का बयान

क्या बोले आरजेडी नेता विजय प्रकाश
बीजेपी के संजय सरावगी भाई वीरेंद्र के मजाक पर कहते हैं कि यह कोई मजाक का विषय नहीं है. नेता विरोधी दल गायब हैं और अगर विपक्ष को लगता है कि नेता विरोधी दल की यही भूमिका होनी चाहिए तो मुझे कुछ नहीं कहना है, जनता सब देख रही है. बीजेपी के सवाल पर आरजेडी के विधायक विजय प्रकाश कहते हैं कि बीजेपी के लोगों को लालू यादव और तेजस्वी यादव के बिना पेट का खाना नहीं पचता है. तेजस्वी यादव का भय हमेशा बीजेपी को सताता रहता है, क्योंकि भविष्य में वहीं रहेंगे. ये लोग तो बैक डोर से सत्ता में आए हैं.

सदन की कार्यवाही पर रोजाना लाखों रुपये खर्च
बहरहाल, ये साफ है कि तेजस्वी यादव को लेकर आरजेडी नेताओं के पास कोई जवाब नहीं है. हंसी मजाक करके मामले को टालना चाहते हैं या फिर यह बोलकर कि जरूरी काम में लगे हैं गायब नहीं है, किसी तरह बचना चाहते हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि विधानसभा की कार्यवाही चलाने में रोजाना लाखों रुपये खर्च होते हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि यदि नेता विरोधी दल और दूसरे सदस्य अगर गायब होते हैं तो उन्हें जो सुविधाएं मिल रही हैं वह मिलनी चाहिए या नहीं?

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