पटना:भगवान राम (Lord Ram) को लेकर एक बार फिर बिहार में सियासत (Bihar Politics) शुरू हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) के बयान के बाद बीजेपी (BJP) में बेचैनी है. यही वजह है कि प्रवक्ता से लेकर मंत्री तक मांझी पर हमलावर हो गए हैं. साथ ही हम प्रमुख को सोच समझकर बोलने की नसीहत दे रहे हैं.
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भगवान राम के अस्तित्व (Existence of Lord Ram) पर सवाल उठाने वाले हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी के बयान पर बीजेपी ने कड़ी आपत्ति जताई है. मि सुधार एवं राजस्व मंत्री रामसूरत राय (Ram Surat Rai) ने कहा है कि भगवान राम हमारे आराध्य देव हैं, हम लोग उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. ऐसे में श्रीराम के अस्तित्व से कोई इनकार नहीं कर सकता है.
वहीं, कला संस्कृति विभाग के मंत्री आलोक रंजन झा (Alok Ranjan Jha) ने कहा है कि हर हिंदू भगवान राम की पूजा करता है. ऐसे में भला कैसे उनके अस्तित्व को खारिज किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि गीता और रामायण को बिहार में भी सिलेबस में शामिल किया जाना चाहिए.
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जीतन राम मांझी के बयान पर ऐतराज जताते हुए बिहार बीजेपी के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने उन्हें रामायण और गीता पढ़ने की नसीहत देते हुए कहा कि श्रीराम के अस्तित्व को दुनिया ने स्वीकारा है. पुरातात्विक शोध और सुप्रीम कोर्ट के फैसले में भी भगवान राम के अस्तित्व को स्वीकार किया गया है. उन्होंने कहा कि मैं तो निवेदनपूर्वक कहना चाहता हूं कि जीतन राम मांझी को रामायण पढ़नी चाहिए.
आपको बताएं कि मंगलवार को हम प्रमुख जीतनराम मांझी ने प्रभु राम के अस्तित्व को काल्पनिक बताते हुए कहा था कि श्रीराम कोई जीवित और महापुरुष थे, ऐसा मैं नहीं मानता हूं. हालांकि रामायण कहानी में जो बातें बताई गई है, वो सीखने लायक है. महिलाओं की बात हो या फिर अपने से बड़ों के आदर और सम्मान की बात हो, रामायण हमें शिक्षा देती है. वहीं विवाद बढ़ने के बावजूद मांझी अपने उस बयान पर कायम हैं. बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा, 'देखने का अपना-अपना नजरिया है. मैं अपने बयान पर एकदम कायम हूं. 100 नहीं 200 प्रतिशत कायम हूं. रामायण महाकाव्य है. उसमें बहुत सी सूक्तियां हैं. जैसे हितोपदेश में मूर्ख राजा के बेटे को कहानी कहकर नीति निरूपित किया गया है. उन्हें प्रकाण्ड विद्वान बनाया गया है. इसी हिस्से में रामायण है. रामायण में बहुत अच्छी-अच्छी बातें हैं. उन बातों को मानना चाहिए. किसी को नायक और नायिका बनाकर ये बातें कहीं गईं हैं.'