पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बयानबाजी का बाजार गर्म है. सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. जेडीयू और बीजेपी ने आरजेडी के 15 साल के शासन काल पर आरोप लगाते हुए कहा कि लालू-राबड़ी के राज में अपराधियों का बोलबाला रहा है. बिहार की सियासत अपराधी चलाते थे. उनके राज में अपराध बेलगाम हो चुका था.
जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने राजद पर आरोप लगाते हुए कहा कि लालू यादव की सत्ता पर अपराधियों की पकड़ काफी हद तक मजबूत थी. अपराधी सत्तारूढ़ दल के करीब थे. लालू-राबड़ी के राज में जितने बड़े नेताओं का नाम लिया जाता था. उन सभी पर कई मामले दर्ज थे. लालू यादव के करीब माने जाने वाले नेता शहाबुद्दीन पर भी कई अनेक मामले दर्ज थे. तब के शासनकाल और आज के राजद में अभी भी कुछ बदलाव नहीं हुआ है.
राजबल्लभ यादव को बता दिया समाजसेवी- जेडीयू
राजीव रंजन ने कहा कि लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने खुद राजबल्लभ यादव को समाजसेवी बताया. पार्टी ने जहां उनकी पत्नी को टिकट दी, तो वहीं राबड़ी देवी ने उनके वोट मांगने का काम किया था. आज भी आरजेडी की चाल, चरित्र और चेहरा नहीं बदला है. इसलिए राजद को माफी मांगने पर भी बिहार की जनता उनको माफ नहीं करेगी.
राजीव रंजन, जदयू प्रवक्ता अब मिलेगी अपराधियों से मुक्ति - बीजेपी
बीजेपी के प्रवक्ता राम सागर सिंह की माने तो अपराधियों का समय खत्म हो चुका है. बहुत लंबे समय तक अपराधियों ने सत्ता सुख भोगने के साथ-साथ धन अर्जित किया था. उन्होंने कहा कि लालू और राबड़ी के शासनकाल में अपराधियों ने खुद को प्रोटेक्ट करने के साथ-साथ अपनी संपत्ति का इजाफा किया था. चुनाव आयोग ने हाल के दिनों में निर्देश जारी किया है कि कोई भी पार्टी अपराधी छवि के लोगों को टिकट देने से पहले उनके बारे में पूरा ब्यौरा पेपर के माध्यम से जनता के बीच देना होगा. अब राजनीति में अपराधियों का संरक्षण खत्म हो चुका है.
राम सागर सिंह, बीजेपी प्रवक्ता ये सभी आरोप निराधार- RJD
जेडीयू-बीजेपी के आरोपों पर राजद के मुख्य प्रवक्ता और विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि ये सभी आरोप बेबुनियाद हैं. लालू यादव के राज्य में अपराधी सत्ता नहीं चलाते थे. भाई वीरेंद्र ने कहा, 'सभी आरोप बेबुनियाद हैं. उस दौरान आदरणीय लालू जी और राबड़ी जी ही सरकार चलाते थे. किसी के कहने से सरकार नहीं चलती थी.'
भाई वीरेंद्र, आरजेडी प्रवक्ता कुल मिलाकर बिहार में चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते जाएंगे. वैसे ही इस तरह की बयानबाजी का दौर तेज होता जाएगा. फिलहाल, ये राजनीति है और राजनीति संभावनाओं से बढ़कर भावनाओं का खेल है. ऐसा लग रहा है कि इस बार चुनाव 15 साल बनाम 15 साल पर लड़ा जाएगा.