पटनाःआरक्षण के मौलिक अधिकार नहीं होने की सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर राजनीतिक गर्म हो गई है. कांग्रेस और राजद ने तो इस पर चुप्पी साध ली है. लेकिन बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर बचते बचते अपनी राय व्यक्त की है. वहीं, जदयू ने आरक्षण को संविधान द्वारा प्रदत अधिकार बताया है.
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आरक्षण की मांग को लेकर एक बड़ी टिप्पणी की है. अदालत ने कहा कि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है, अदालत के इस फैसले पर राजनीतिक गरम हो गई है. राजनीतिक दलों ने अपनी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है. हालांकि आरक्षण के मुद्दे पर अपनी प्रखर राय रखने वाली कांग्रेस और राजद नेताओं ने चुप्पी साध रखी है. लेकिन कोर्ट की इस टिप्पणी पर बीजेपी ने अपनी राय रखी है.
'टिप्पणी से बहुत लोग आहत हैं'
पाटलिपुत्र के सांसद रामकृपाल यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के प्रति हमारा बहुत सम्मान है, लेकिन कोर्ट के जरिए दी गई इस तरह की टिप्पणी से बहुत लोग आहत हैं. इस तरह का टिप्पणी नहीं होनी चाहिए. जब संविधान का निर्माण हो रहा था तब बाबा भीमराव अंबेडकर ने बहुत सोच समझकर संविधान बनाया था. संविधान जो बना है, उसमें आरक्षण अधिकार है, इसलिए मैं सोचता हूं कि सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी लोगों को उचित नहीं लग रही है.
'संविधान प्रदत अधिकार है आरक्षण'
वहीं, जदयू ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस टिप्पणी पर अपनी राय रखी है. जदयू नेता गुलाम गौस ने कहा है कि इधर देखा जा रहा है कि कोर्ट की तरफ से कुछ ऐसी टिप्पणियां आ रही हैं, जिससे यह आभास होता है कि कुछ लोग आरक्षण के विरोधी हैं. आरक्षण कोई भीख या खैरात नहीं है. आरक्षण हमारा संविधान प्रदत अधिकार है. और बाबा भीमराव अंबेडकर ने इस अधिकार को दिया था, ताकि समाज में ऊंच-नीच का भेद खत्म हो जाए.
बयान देते बीजेपी नेता रामकृपाल यादव और जेडीयू नेता गुलाम गौस ये भी पढ़ेंःJDU के आरोपों पर मीसा भारती का पलटवार, बोलीं- तेजस्वी ही हैं तरुण यादव, न करें निजी हमले
'जज की बहाली में भी आरक्षण लागू हो'
जदयू नेता गुलाम गौस ने कहा कॉलेजियम के माध्यम से 65 परिवार को जो आरक्षण लागू है. केवल 65 परिवार ही हैं जो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज होंगे. यह कौन सा आरक्षण है. जब देश में चपरासी और किरानी बनने के लिए परीक्षा होती है, तो फिर जज बनने के लिए प्रतियोगिता परीक्षा क्यों नहीं होनी चाहिए. इसलिए हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि आरक्षण के लिए एक आयोग गठित करें और हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज की बहाली में भी आरक्षण लागू हो.
आरक्षण की याचिका पर सुनवाई से इंकार
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण की मांग पर हो रही बहस के बाद कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आरक्षण कोई मौलिक अधिकार नहीं है. इस टिप्पणी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया, जिसमें तमिलनाडु के राजनीतिक दलों ने मेडिकल कॉलेज में ऑल इंडिया कोटा में ओबीसी को 50% आरक्षण देने की मांग की थी. जिसके बाद से राजनीति गर्म हो गई है.