पटना: बिहार में तमाम कयासों के बीच अब तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हुआ है. नीतीश की अगुवाई में एनडीए की सरकार बने दो महीने से ज्यादा गुजर चुके हैं, लेकिन अब तक मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर घटक दलों में बात नहीं बन पाई है.
पहले कहा जा रहा था कि खरमास गुजरने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया जाएगा, लेकिन खरमास गए भी करीब 15 दिन से अधिक गुजर गए. लेकिन अभी तक मंत्रिमंडल विस्तार रास्ता साफ नहीं हो पाया है.
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हिस्सेदारी को लेकर विवाद बरकरार!
बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और संगठन प्रभारी नागेंद्र नाथ दिल्ली से पटना लौट चुके हैं. जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद नेता वापस लौट चुके हैं. पार्टी ने अपने कोटे के एमएलसी और मंत्रियों की सूची को अंतिम रूप दे दिया है. लेकिन मंत्रिमंडल विधान परिषद और बोर्ड निगम कारपोरेशन में हिस्सेदारी को लेकर विवाद बरकरार है.
फॉर्मूले पर सहमत नहीं
बीजेपी विधायकों के अनुपात में मंत्रिमंडल विधान पार्षद और बोर्ड निगम कारपोरेशन का बंटवारा चाहती है. 60% सीटों पर बीजेपी अपना वाजिब हक समझती है. लेकिन जेडीयू बराबरी के फार्मूले पर समझौता चाहती है. राज्यपाल कोटे से विधान परिषद के लिए 12 सीटों पर मनोनयन होना है. भाजपा 7 सीटों पर दावा कर रही है और जदयू के लिए 5 सीटें छोड़ना चाहती है. लेकिन जदयू नेताओं का तर्क है कि भाजपा के वजह से 1 साल से मनोनयन का मामला लटका है और उस समय के हिसाब से 7 सीटें हमारे पक्ष में आनी चाहिए, जहां तक मंत्रिमंडल का सवाल है तो मंत्रिमंडल में भी भाजपा और जदयू बराबरी के फॉर्मूले पर सहमत नहीं है.