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कौन हैं JDU के वो बड़े नेता जो NDA को ही कर रहे हैं कमजोर? पढ़ें इनसाइड स्टोरी

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है. बागी नेताओं की एंट्री और जनसंख्या नियंत्रण (Population Control) को लेकर बीजेपी (BJP) और जदयू (JDU) के नेता आमने-सामने हैं. देखें रिपोर्ट..

पटना
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Published : Jul 15, 2021, 5:30 PM IST

पटना:बिहार मेंबीजेपी (BJP) ने जदयू (JDU) के बड़े नेताओं पर आरोप लगाया है कि वो एनडीए (NDA) को कमजोर कर रहे हैं. जदयू में बागी नेताओं को एंट्री दिए जाने के बाद से बीजेपी और जदयू में तल्खी बढ़ गई है. जनसंख्या नियंत्रण (Population Control) को लेकर भी दोनों दलों के नेता आमने-सामने हैं.

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''नीतीश कुमार के खेमे में कुछ ऐसे नेता हैं, जो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को कमजोर करने का काम कर रहे हैं. उन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान ऐसे लोगों को जदयू से टिकट दिया, जिससे राजद को फायदा पहुंचा और वहां उन्हें जीत भी मिली. सूर्यगढ़ा सीट पर भी जदयू के बड़े नेता के हस्तक्षेप के बाद कमजोर कैंडिडेट उतारा गया, जिसके बाद राजद वहां से जीत गई.''-प्रेम रंजन पटेल, बीजेपी प्रवक्ता

देखें रिपोर्ट

दरअसल, जदयू के एक सांसद के हस्तक्षेप की वजह से विवाद बढ़ा था और विधानसभा चुनाव के दौरान सूर्यगढ़ा और लखीसराय सीट को लेकर बखेड़ा खड़ा हुआ था. आखिरकार सूर्यगढ़ा सीट जदयू के खाते में चली गई.

''मुझे नहीं पता कि भाजपा के नेता क्या आरोप लगा रहे हैं, लेकिन जहां तक मेरी पार्टी का सवाल है तो पार्टी के तमाम नेता नीतीश कुमार और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के प्रति समर्पित हैं. अगर किसी के पास कोई प्रमाण हो, तो उन्हें प्रस्तुत करना चाहिए.''- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता

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''हाल के दिनों में कुछ मुद्दों को लेकर बीजेपी और जदयू नेताओं के बीच तल्खी बढ़ी है. नेताओं के बीच आपसी टकराव भी देखने को मिल रहा है. दोनों दलों के नेताओं के बीच व्यक्तिगत मतभेद बीजेपी और जदयू के बीच खाई पैदा करने का काम कर रहे हैं.''- डॉ.संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में बागी नेताओं की भूमिका ने चुनाव को दिलचस्प बना दिया था. उनकी वजह से बाजी किसी की भी ओर पलटी जा सकती थी. बात साफ है कि बागी नेता अधिक संख्या में चुनाव नहीं जीत सके, लेकिन उनकी वजह से बीजेपी (BJP) और जदयू (JDU) के कई उम्मीदवार चुनाव हार गए. बागी नेताओं को लेकर बीजेपी जहां सख्त है, वहीं जदयू ने ढुलमुल रवैया अपनाया हुआ है.

विधानसभा चुनाव के दौरान जदयू के 8 बागी उम्मीदवार बीजेपी प्रत्याशियों के खिलाफ दो-दो हाथ कर रहे थे. बागी नेताओं के खिलाफ नरम रुख के चलते बीजेपी के प्रत्याशी चुनाव हार गए और महज 6 महीने में ही तीनों नेताओं को जदयू ने तामझाम के साथ पार्टी में शामिल कराया औ.र उपाध्यक्ष भी बना दिया. तीनों नेताओं को जदयू में शामिल कराए जाने के बाद से बीजेपी नेताओं का गुस्सा सातवें आसमान पर है.

वहीं, जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर भी बीजेपी और जेडीयू में तकरार देखने को मिल रही है. यूपी में इस कानून के तहत दो से अधिक बच्चे पैदा करने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन का प्रमोशन का मौका नहीं मिलेगा. साथ ही करीब 77 सरकारी योजनाओं से भी वंचित रखा जाएगा. हालांकि, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसपर साफ-साफ कह दिया है कि कानून बनाने से कुछ नहीं होगा, जनसंख्या नियंत्रण के लिए महिला जागृति जरूरी है.

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