पटना : संपूर्ण क्रांति के लोकनायक जयप्रकाश नारायण को 121वीं जयंती के मौके पर याद किया जा रहा है. जयप्रकाश नारायण ने बिहार की धरती से संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया था. आंदोलन पूरे देश में आग की तरफ फैल गई थी. इंदिरा गांधी द्वारा देश में लगाए गए आपातकाल के खात्मे में और फिर लोकतंत्र बहाल करने वाले नायक के रूप में जयप्रकाश नारायण आज भी याद किए जाते हैं.
ये भी पढ़ें-अब तक क्यों नहीं बन पाया जेपी के सपनों का बिहार, क्या संपूर्ण क्रांति पार्ट टू की फिर है दरकार?
लोकनायक की 121वीं जयंती : जयप्रकाश नारायण ने जब पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान से संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था. उस समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं. जयप्रकाश की निगाह में इंदिरा गांधी सरकार भ्रष्ट होती जा रही थी. साल 1975 में जब निचली अदालत ने इंदिरा गांधी को चुनाव में भ्रष्टाचार का दोषी पाया था. जयप्रकाश ने उनके इस्तीफे की मांग कर दी. जयप्रकाश के दबाव में इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर दी.
'सिंहासन खाली करो कि जनता आती है' : जयप्रकाश नारायण ऐसे शख्स के रूप में उभरे, जिन्होंने पूरे देश में आंदोलन चलाया. जेपी के विचार दर्शन और व्यक्तित्व ने पूरे जनमानस को प्रभावित किया. लोकनायक शब्द को जेपी ने चरितार्थ भी किया और संपूर्ण क्रांति का नारा भी दिया. 5 जून 1974 को विशाल सभा में पहली बार जेपी ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था 'सिंहासन खाली करो कि जनता आती है'. ऐतिहासिक संपूर्ण क्रांति से प्रभावित होकर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने ये नारा दिया था. दिनकर की कविता का असर जन मानस में व्यापक था. महान कवि दिनकर ने भी आंदोलन को समर्थन दिया था, हालांकि वह जेपी के साथ किसी मंच पर नहीं आए, फिर भी आंदोलन को अपने कलम की धार के जरिए ताकत दिया.