बिहार में कई योजनाओं पर असर पटना: बिहार में पिछले साल नीतीश कुमार के एनडीए से बाहर निकलने के कारण डबल इंजन की सरकार नहीं रही और उसका खामियाजा कई योजनाओं पर देखने को मिल रहा है. बिहार के मंत्रियों ने तो आरोप भी लगाना शुरू कर दिया है कि केंद्र सरकार बिहार की उपेक्षा कर रही है. बिहार को मिलने वाली राशि में कमी की गई है तो वहीं योजनाओं को भी बंद किया जा रहा है. केंद्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या बढ़ाई जा रही है जिससे बिहार पर आर्थिक दबाव पड़ रहा है. रोड सेक्टर की कई योजना पर ग्रहण लगा हुआ है. नए एयरपोर्ट के निर्माण को भी लटका कर रखा गया है.
बिहार कई योजनाओं पर असर:मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महागठबंधन में शामिल होने के बाद से बिहार के मंत्रियों की ओर से लगातार केंद्र सरकार पर आरोप लगाए जा रहे हैं. वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव और बिहार सरकार के दूसरे मंत्री भी लगातार केंद्र की उपेक्षा का आरोप लगाते रहे हैं. बीजेपी के केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय और अन्य मंत्री भी उसका जवाब दे रहे हैं और बिहार सरकार पर राशि खर्च नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं.
"समग्र शिक्षा अभियान में बिहार को पर्याप्त राशि नहीं मिल रही है. शिक्षकों के वेतन की राशि सरकार अपने पैसे से व्यवस्था कर रही है. केंद्रीय योजनाओं की संख्या बढ़ा दी गई है जिसमें बिहार को भी हिस्सेदारी देनी पड़ रही है. उसके कारण बिहार पर आर्थिक दबाव बढ़ रहा है."-विजय कुमार चौधरी,वित्त मंत्री, बिहार
नेपाल से आने वाले पानी के कारण उत्तर बिहार में बाढ़ की तबाही हर साल झेलनी पड़ रही है, लेकिन केंद्र सरकार नेपाल के हिस्से की कोशी में डैम बनाने का फैसला नहीं ले रही है. बाढ़ के कारण हर साल बिहार का हजारों करोड़ों का नुकसान हो रहा है. दरभंगा एयरपोर्ट के लिए जमीन उपलब्ध करा दी गई है लेकिन उस पर भी काम तेजी से नहीं हो रहा है तो पटना में एयरपोर्ट की जमीन देने के बाद भी काम शुरू नहीं हुआ है.- संजय झा, जल संसाधन मंत्री, बिहार
"देश के विकसित राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान से अधिक कीमत पर बिहार को केंद्र सरकार बिजली दे रही है, यह बिहार के साथ पक्षपात है."-बिजेंद्र यादव, ऊर्जा मंत्री, बिहार
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सीएम नीतीश का केंद्र पर मदद ना करने का आरोप: इसी तरह बिहार सरकार के मंत्रियों की ओर से रोड सेक्टर में काम तेजी से नहीं होने का आरोप लगाया जा रहा है तो SC-ST छात्रावास योजना जो बाबा साहब अंबेडकर के नाम पर था, उसे बंद करने का आरोप लगाया जा रहा है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी बयान दिया कि पहले जितनी मदद केंद्र से बिहार को मिलती थी अब मदद नहीं मिल रही है.
बीजेपी का पलटवार:हालांकि बीजेपी नेताओं का अपना तर्क है. बीजेपी का कहना है कि केंद्र से राशि दी जा रही है लेकिन बिहार सरकार जान बूझकर उसे खर्च नहीं कर रही है. लोगों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने में राज्य सरकार बाधक बन रही है.
प्रधानमंत्री आवास योजना में जितना लक्ष्य दिया गया है, वह भी सरकार पूरा नहीं कर पा रही है और राशि रखा हुआ है. केन्द्र से भेजी गई राशि सरकार खर्च नहीं कर पा रही है और वह लौट जा रहा है.- गिरिराज सिंह,केंद्रीय मंत्री
बिहार सरकार की ओर से कई योजनाओं के लिए जमीन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. इसके कारण योजनाओं का निर्माण कार्य नहीं हो पा रहा है. पूर्णिया एयरपोर्ट से लेकर नेपाल बॉर्डर पर बन रहे सड़क पर असर पड़ रहा है.- नित्यानंद राय, केंद्रीय मंत्री
केंद्र और राज्य सरकार की सियासत का बिहार पर असर:समग्र शिक्षा अभियान के लिए 2020-21 में 16000 करोड़ का बजट बिहार सरकार ने केंद्र के समक्ष प्रस्तुत किया था जिसमें से 8000 करोड़ केंद्र सरकार ने स्वीकृत किया. 2022 -23 में बिहार सरकार की ओर से 13900 करोड़ बजट का प्रस्ताव केंद्र के समक्ष रखा गया था जिसमें से 9184 करोड़ केंद्र ने स्वीकृति दी. समग्र शिक्षा अभियान के तहत 60: 40 के रेशियो में हिस्सेदारी केंद्र और राज्य की होती है लेकिन जब से डबल इंजन की सरकार गई है केंद्र से इस मद की राशि में कटौती हो रही है. समय पर राशि नहीं भेजी जा रही है.
इसके कारण सरकार को केंद्र के हिस्से की राशि की भी व्यवस्था शिक्षकों के वेतन के लिए करना पड़ा है. पिछले दिनों राज्य कैबिनेट में सरकार की ओर से 35 अरब से अधिक की राशि की स्वीकृति दी गई है. सवा लाख करोड़ प्रधानमंत्री पैकेज की राशि का बड़ा हिस्सा बिहार में रोड सेक्टर और बड़े पुल के निर्माण पर खर्च किया जा रहा है लेकिन पिछले 1 साल से सभी बड़े प्रोजेक्ट पर काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है.
जब हम लोग बीजेपी के साथ भी थे उस समय भी केंद्र सरकार से सकारात्मक सहयोग नहीं मिल रहा था. केंद्रीय योजनाओं की संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है और उसके कारण बिहार को केंद्रीय योजनाओं में अधिक राशि देना पड़ रहा है. बिहार सरकार पर दबाव लगातार बढ़ रहा है.- लेसी सिंह, खाद्य आपूर्ति मंत्री, बिहार
बिहार के ही केंद्र में मंत्री हैं गिरिराज सिंह लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना का लक्ष्य पिछले 2 साल से नहीं दिया गया. 2 साल से मनरेगा की 1500 करोड़ की राशि केंद्र के पास बकाया है.- श्रवण कुमार, मंत्री ग्रामीण विकास विभाग
"डबल इंजन की सरकार रहने से कई तरह के लाभ तो होते हैं. कई तरह की समस्याओं को आसानी से सुलझाया जा सकता है लेकिन डबल इंजन की सरकार ना हो तो उसका नुकसान होता है. लेकिन यह कहना कि समस्या केवल वनवे होता है ऐसा नहीं है. टू वे समस्याएं पैदा होती हैं. एक तरफ जहां केंद्र के तरफ से उपेक्षा होती है वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार की ओर से खर्चा का हिसाब भी समय पर नहीं दिया जाता है और जमीन अधिग्रहण समय पर नहीं करके देने से भी योजनाएं लटक जाती हैं.राज्य सरकार का भी पर्याप्त सहयोग केंद्र को नहीं मिलता है."- प्रोफेसर अजय झा, विशेषज्ञ और पूर्व प्रोफ़ेसर एएन सिन्हा इंस्टिट्यूट
"नरेंद्र मोदी की सरकार से पर्याप्त मदद बिहार सरकार को दी जा रही है लेकिन राजनीतिक के तहत सिर्फ आरोप लगा रहे हैं. सच्चाई यह है कि बिहार सरकार योजनाओं की राशि खर्च नहीं कर पा रही है और खर्च का सही समय पर हिसाब नहीं भेज रही है. प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि खर्च नहीं करने के कारण लौट गए नल जल योजना की राशि रखी हुई है लेकिन बिहार सरकार ले नहीं रही है."- विनोद शर्मा,बीजेपी प्रवक्ता
अधर में अटकी योजनाएं:जब से डबल इंजन की सरकार बिहार से हटी है. दोनों तरफ से आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं लेकिन सच्चाई यह भी है कि डबल इंजन की सरकार नहीं रहने के कारण बिहार की कई योजनाओं पर असर पड़ा है. बिहार में चार एक्सप्रेस वे पर काम शुरू होना है. लेकिन एक पर भी काम शुरू नहीं हुआ है. गंगा नदी पर सिक्स लेन पुल का टेंडर हो चुका है लेकिन अभी तक लटका हुआ है. इसी तरह रोड सेक्टर के कई प्रोजेक्ट पर साफ असर दिख रहा है. नए एयरपोर्ट के निर्माण और नदियों की जोड़ने की योजना का काम भी तेजी से आगे नहीं बढ़ पा रहा है.