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हेडमास्टर की भर्ती प्रक्रिया पर भड़का संघ, कहा- जानबूझकर शिक्षकों को उलझा रही सरकार - Bihar Teacher Association

बिहार में प्रधानाध्यापकों की बहाली (Headmaster Recruitment) की शर्तों और प्रक्रिया के साथ-साथ नए वेतन संरचना को लेकर शिक्षक संघों में खासी नाराजगी है. शिक्षक संघ ने बहाली प्रक्रिया और नए वेतन संरचना को सरकार की साजिश करार दिया है और इसे पूरे मामले को उलझाने की कोशिश बताया है. पढ़िए पूरी खबर..

head teacher recruitment
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Published : Sep 11, 2021, 2:53 PM IST

पटना:बिहार सरकार (Bihar Government) ने प्रदेश के लगभग 46 हजार स्कूलों में प्रधान शिक्षक और हेडमास्टर (Head Master) की बहाली की स्वीकृति दी है. लेकिन बहाली की शर्तों और नए वेतन संरचना से शिक्षक संघ (Bihar Teacher Association) असंतुष्ट हैं.

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शिक्षकों का आरोप है कि सरकार नए-नए विवाद खड़ा करके शिक्षकों को आपस में ही उलझा रही है जबकि पुरानी घोषणाएं सरकार ने अब तक पूरी नहीं की है. आपको बता दें कि ना तो पिछले साल घोषित सेवा शर्त का कोई प्रावधान अब तक लागू किया गया है और ना ही 15% वेतन वृद्धि का मामला अब तक सरकार ने लागू किया है. शिक्षकों के ट्रांसफर और राज्य के विभिन्न जिलों में वेतन असमानता का मामला भी अब तक सरकार नहीं सुलझा पाई है.

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अखिल भारतीय शिक्षा शैक्षिक परिषद के राष्ट्रीय सचिव और सेवानिवृत्त शिक्षक शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि फिलहाल प्रधानाध्यापक जो राजकीय/ राजकीयकृत/ प्रोजेक्ट विद्यालयों में कार्यरत हैं उन्हें एक लाख से डेढ़ लाख रुपए तक तनख्वाह मिल रही है. सहायक शिक्षक और लिपिक/ आदेशपाल को लगभग ₹50000 या इससे ज्यादा तनख्वाह मिलती है. वही नियोजित/ सहायक शिक्षकों को करीब 35000 और प्राथमिक शिक्षकों को 25 से ₹30000 मिलते हैं.

वर्तमान में बिहार सरकार अगर 15 फीसदी वेतन वृद्धि का लाभ देती है तो शिक्षकों का वेतन भविष्य में बीपीएससी से नियुक्त होने वाले 5334 प्रधानाध्यापकों के घोषित वेतन से ज्यादा होगा. ऐसे में जो अराजक स्थिति नियमित, नियोजित, अतिथि शिक्षक, शिक्षामित्र, टेट और एसटेट के वेतन को लेकर होगी उससे शैक्षणिक माहौल और बिगड़ेगा.- शैलेन्द्र कुमार शर्मा, राष्ट्रीय सचिव, अखिल भारतीय शिक्षा शैक्षिक परिषद

इन लोगों का कहना है कि सभी स्तर के शिक्षकों के आपसी मतभेद और कटुता का फायदा बिहार सरकार उठा रही है और एक सोची-समझी रणनीति के तहत शिक्षक संगठनों को आपस में लड़ाकर शैक्षणिक माहौल खराब कर रही है. साथ ही संघ की ओर से प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापक की किसी भी नियुक्ति के लिए 8 और 10 साल की अनुभव की बाध्यता की भी आलोचना की है. इन लोगों की मांग है कि दोनों पद पर नियुक्ति के लिए अनुभव 5 वर्ष का होनी चाहिए. जिनकी सेवा अवधि 10 वर्ष और 12 वर्ष हो चुकी है उन्हें विभागीय साक्षात्कार के आधार पर सीधे प्रधानाध्यापक और प्रधान शिक्षक के रूप में प्रोन्नत करना चाहिए.

इधर बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने भी हेडमास्टर की नियुक्ति की नई प्रक्रिया और वेतन संरचना को लेकर सवाल खड़े किए हैं. माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता विनय मोहन ने कहा कि सरकार एक बार फिर चाइनीज वेतनमान के जरिए शिक्षकों को उलझा रही है.

इसके पहले राज्य कर्मी का दर्जा दिए जाने की घोषणा सरकार ने की थी लेकिन सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि नई वेतन संरचना किस हिसाब से लागू की जा रही है. प्रधानाध्यापकों की बीपीएससी से नियुक्ति में प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों को शामिल होने का मौका देने पर भी बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ को आपत्ति है.-विनय मोहन, प्रवक्ता, बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ

बता दें कि बीपीएससी से सीधे बिहार के प्राथमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 45 हजार 852 हेडमास्टरों की नियुक्ति होगी. इनमें 40 हजार 518 पद प्राथमिक स्कूलों के प्रधान शिक्षकों के लिए है. जबकि 5 हजार 334 प्रधानाध्यापक के पद उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालयों के होंगे.

गौरतलब हो कि 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्कूली शिक्षा के विकास एवं गुणवत्ता में सुधार के लिए विद्यालय स्तर पर कुशल एवं प्रभावी नेतृत्व की आवश्यकता जताई थी. तब उन्होंने प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक का संवर्ग और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक संवर्ग का गठन करने की घोषणा की थी. सरकार ने बिहार कैबिनेट की पिछली बैठक में ही राजकीयकृत प्राथमिक विद्यालय प्रधान शिक्षक नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई और सेवा शर्त नियमावली-2021 को मंजूरी दे दी. वहीं, बिहार राज्य उच्च माध्यमिक विद्यालय प्रधानाध्यापक नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई और सेवा शर्त नियमावली- 2021 की भी स्वीकृति दी थी.

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