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बंद हो रहीं चीनी मिलों से गन्ना किसान बेहाल, बजट से लगा रखी है पुराने दिन लौटने की उम्मीद

चीनी उत्पादन के मामले में कभी बिहार देश का प्रमुख राज्य था. पहले राज्य में 28 चीनी मिलें चलती थी अब इनमें से 9 मिलें ही चल रही हैं. इनमें से कई की स्थिति इतनी खराब है कि कब बंद हो जाए पता नहीं. कई मिलों ने तो सीजन शुरू होने के बाद भी अभी तक गन्ना पिराई शुरू नहीं किया है. एक वक्त था जब बिहार देश के कुल चीनी का 28 फीसदी उत्पादन करता था. अब यह सिर्फ 2.5 फीसदी रह गया है.

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Published : Feb 19, 2021, 9:07 PM IST

Updated : Feb 21, 2021, 7:28 PM IST

Sugarcane Industry Bihar
बिहार गन्ना उद्योग

पटना. बिहार विधानसभा में बजट सत्र शुरू हो गया है. सोमवार को बिहार का बजट पेश होगा. बजट से गन्ना किसानों ने बहुत उम्मीदें लगा रखी हैं. किसानों की उम्मीद है कि सरकार कोई ऐसी पहल करे कि बंद हो रहीं चीनी मिलों का ताला खुले और गन्ना उद्योग के पुराने दिन लौट आएं.

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28 में सिर्फ 9 मिलें चालू
चीनी उत्पादन के मामले में कभी बिहार देश का प्रमुख राज्य था. पहले राज्य में 28 चीनी मिलें चलती थी अब इनमें से 9 मिलें ही चल रही हैं. इनमें से कई की स्थिति इतनी खराब है कि कब बंद हो जाए पता नहीं. कई मिलों ने तो सीजन शुरू होने के बाद भी अभी तक गन्ना पिराई शुरू नहीं किया है. एक वक्त था जब बिहार देश के कुल चीनी का 28 फीसदी उत्पादन करता था. अब यह सिर्फ 2.5 फीसदी रह गया है. 2019-20 में बिहार में 674.05 लाख क्विंटल ईंख की पेराई हुई और 72.29 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ.

बजट से किसानों को उम्मीद
गन्ना किसानों को उम्मीदे है कि गन्ना उद्योग विभाग बजट में किसानों के हित के लिए कार्यक्रम और योजनाएं शुरू करेगा. प्रदेश में चीनी मिलों की कम होती संख्या के कारण गन्ना किसान अपने उत्पाद को सही कीमत पर बेच नहीं पा रहे हैं. वे उम्मीद लगाए हुए हैं कि नए उद्योग खुलेंगे, जिससे गन्ना की बिक्री होगी और स्थिति सुधरेगी.

मढ़ौरा चीनी मील बंद होने से बेरोजगार हुए 15 हजार लोग
"इस बार बजट से उन लोगों को काफी उम्मीदें हैं. जिस तरह चीनी मिलों की स्थिति बिगड़ती जा रही है, इससे किसानों के साथ गन्ना उद्योग से जुड़े लोगों के रोजगार पर संकट आ गया है. मढ़ौरा चीनी मिल बंद हो जाने के कारण 15000 से अधिक लोगों का रोजगार चला गया. अगर सरकार चीनी मिल को फिर से दुरुस्त कर इसे शुरू करती है तो काफी संख्या में लोगों को रोजगार मिलेगा इसके साथ ही किसानों को भी गन्ना बेचने के लिए दूर न जाना पड़ेगा."-चंदन कुमार, गन्ना किसान

इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देगी सरकार
गन्ना उद्योग मंत्री प्रमोद कुमार ने कहा "वह गन्ना से जुड़े उद्योग को प्रदेश में बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत हैं ताकि रोजगार का सृजन हो और बेरोजगार युवकों को काम मिले. बिहार सरकार गन्ना किसानों की स्थिति सुधारने को लेकर प्रतिबद्ध है. हाल के दिनों में उच्च गुणवत्ता वाले गन्ना की कीमत प्रति क्विंटल 5 रुपए और निम्न गुणवत्ता के गन्ना की कीमत प्रति क्विंटल 7 रुपए बढ़ाए गए हैं. गुड़ उद्योग को बढ़ावा देने की दिशा में काम हो रहा है. इसके लिए उद्यमियों को सब्सिडी भी दी जाएगी. इथेनॉल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बजट में प्रावधान किया जाएगा, उद्यमियों को सब्सिडी दी जाएगी. इथेनॉल उद्योग को बढ़ावा देने का उद्देश्य यह है कि देश में इथेनॉल का उत्पादन 5% से बढ़कर 20% तक हो जाए. प्रदेश में एथेनॉल उद्योग बढ़े इसके लिए नए इन्वेस्टर्स की तलाश की जा रही है. कई इन्वेस्टर्स के प्रपोजल भी आ रहे हैं, जिसपर विभाग गंभीरता से विचार कर रहा है."

"बिहार में जितनी भी चीनी मिलें अभी चल रही हैं वे प्राइवेट हैं. इनके नीतियों का निर्धारण चीनी मिल मालिक ही करते हैं. इसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता. गन्ना किसानों को प्रमोट करने के लिए मैं अपने स्तर से हर संभव प्रयास कर रहा हूं. इसकी झलकियां बजट में भी देखने को मिलेंगी." प्रमोद कुमार, मंत्री, गन्ना उद्योग

गन्ना उद्योग मंत्री प्रमोद कुमार

5.5 कृषि योग्य भूमि पर हो रहा गन्ना उत्पादन
गन्ना कभी बिहार का मुख्य नगदी फसल था, लेकिन अब इसकी खेती कम हो गई है. राज्य के कृषि योग्य भूमि में से सिर्फ 5.56 प्रतिशत हिस्से पर किसान गन्ना लगा रहे हैं. वर्तमान में गन्ना की खेती पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सीवान, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, सीतामढ़ी, शिवहर और मुजफ्फरपुर में मुख्य रूप से किया जा रहा है. गन्ना की सबसे अधिक खेती पश्चिम चंपारण में होती है.

Last Updated : Feb 21, 2021, 7:28 PM IST

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