एसी शिक्षक अभ्यर्थी पहुंचे पटना हाईकोर्ट पटना : बिहार में शिक्षक अभ्यर्थी बहाली परीक्षा का जब से नतीजे आये हैं इसको लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. प्रारंभिक में एससी श्रेणी के शिक्षक अभ्यर्थी अब रिजल्ट में नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया अपनाने के बाद फ्रेश रिजल्ट जारी करने की मांग को लेकर उच्च न्यायालय की शरण में चले गए हैं. उच्च न्यायालय में अपनी गुहार लगाने के लिए शुक्रवार को विभिन्न जिलों से दर्जनों अभ्यर्थी पटना हाई कोर्ट पहुंचे और कहा कि अब उन्हें बिहार लोक सेवा आयोग हो या शिक्षा विभाग, इस पर भरोसा नहीं है.
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'पुरुष शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ नियुक्ति में हकमारी' : शिक्षक अभ्यर्थी विक्की कुमार ने बताया कि उनका 45 अंक आया है और उनके श्रेणी में कट से 6 अंक उनका अधिक है. इसके बावजूद उनका मेरिट लिस्ट जारी नहीं हुआ है. उनके श्रेणी में काफी पद रिक्त रह गए हैं. उन्होंने बताया कि लड़कियों की परीक्षा पहले आयोजित की गई और लड़कों की परीक्षा सेकंड शिफ्ट में आयोजित की गई. उन लोगों का प्रश्न कठिन था और नियम कहता है कि जब एक परीक्षा दो शिफ्ट में हो तो नॉर्मलाइजेशन होना चाहिए और यह हुआ नहीं.
''महिलाओं की सीट पर महिलाओं की नियुक्ति तो हुई लेकिन पुरुषों के सीट पर भी बिना नॉर्मलाइजेशन के महिलाओं की नियुक्ति हो गई. पुरुष अभ्यर्थियों के साथ हाकमरी हुई है. हमने बीपीएससी को मेल भी किया और कई मेल करने के बाद थक हार कर अब वह न्यायालय की शरण में आए हैं.''- विक्की कुमार, एससी शिक्षक अभ्यर्थी
शिक्षक अभ्यर्थी रामइकबाल दास ने कहा कि ''पुरुष भारतीयों के सीटों पर महिला अभ्यर्थियों का हो गया है. महिला अभ्यर्थियों की 3140 सीटें खाली दिखा दी गई हैं. वैकेंसी में पहले से तय था कि पुरुष अभ्यर्थियों की कितनी सीट है और महिला अभ्यर्थियों का कितना सीट है? लेकिन पुरुष अभ्यर्थियों की वैकेंसी में महिला अभ्यर्थियों का रिजल्ट जारी कर दिया गया है. वह भी बिना नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को अपनाए हुए.''
शिक्षक अभ्यर्थी शशि शेखर ने कहा कि''प्रारंभिक में सभी वह लोग शेड्यूल्ड कास्ट श्रेणी के हैं. सभी का सामान्य कट ऑफ से 5 से 8 नंबर तक अधिक है बावजूद इसके मेरिट लिस्ट में उन लोगों का नाम नहीं है. उनके श्रेणी में पुरुष अभ्यर्थियों के साथ हक मेरी हुई है और इसी को लेकर वह न्याय की उम्मीद में न्यायालय की शरण में आए हुए हैं. अब उन्हें शिक्षा विभाग और बिहार लोक सेवा आयोग पर कोई भरोसा नहीं रहा है और उन्हें सिर्फ अब उच्च न्यायालय से ही उम्मीदें हैं.''