पटना:पिछले दो सालमेंकोरोना के कारण बिहार की अर्थव्यवस्था (Economy of Bihar) पर काफी असर पड़ा. लेकिन अब कोरोना के मामले कम होने लगे हैं. इसका असर यह हुआ कि बिहार की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है. इस साल बिहार सरकार ने पिछले साल के 2 लाख 18 हजार करोड़ के बजट को बढ़ाकर 2 लाख 37 हजार करोड़ से अधिक का बजट पेश किया है. ऐसे में सरकार पर राजस्व बढ़ाने का भी दबाव है. इस वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही दिसंबर में समाप्त हुई है. इसके रिपोर्ट आ गए हैं. तीसरी तिमाही में राजस्व में उछाल आया है, जो पिछले साल के मुकाबले 5 प्रतिशत अधिक (Bihar revenue is increasing) है.
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पेट्रोल-डीजल के वैट से भरा सरकारी खजाना:पेट्रोल डीजल पर लगने वाले वैट से छह हजार से दस हजार करोड़ की राजस्व वृद्धि का लक्ष्य तय किया गया था. 9 महीने में 4914 करोड़ 54 लाख तक राजस्व प्राप्त हो चुका है, जो लक्ष्य का 82 प्रतिशत के करीब है. वित्त विभाग के अधिकारियों की मानें तो जो लक्ष्य है, उससे अधिक प्राप्त हो सकता है. इसी तरह स्टांप और निबंधन शुल्क से प्राप्त होने वाले राजस्व में भी पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले जबरदस्त उछाल आया है. पिछले वित्तीय वर्ष के दिसंबर तक 52.97 फीसदी के मुकाबले वर्तमान वित्तीय वर्ष में इसी अवधि में 71.51 प्रतिशत का राजस्व प्राप्त हो चुका है. केंद्रीय करों में बिहार का जो हिस्सा है, उसमें भी पिछले साल के मुकाबले इस साल बेहतर स्थिति में है.