ETV Bharat Bihar

बिहार

bihar

ETV Bharat / state

बिहार के राजस्व में शराबबंदी के बावजूद इजाफा, जानिए कैसे हुआ यह मुमकिन - बिहार रजिस्ट्री विभाग

बिहार में 2016 से पूर्ण शराबबंदी है. माना जा रहा था कि इससे राजस्व का बड़ा नुकसान होगा. लेकिन शराबबंदी के बावजूद बिहार का रेवन्यू बढ़ा है. अब जहन में सवाल उठता है कि यह कैसे संभव हुआ. आखिर बिहार सरकार की नीति क्या है? जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

bihar revenue increased
bihar revenue increased
author img

By

Published : Mar 12, 2021, 4:25 PM IST

Updated : Mar 12, 2021, 5:42 PM IST

पटना: शराबबंदी से राजस्व में कमी न होने का मुख्यमंत्री का दावा अब सही साबित होता दिख रहा है. कम से कम आंकड़े तो इसी ओर इशारा कर रहे हैं. अप्रैल 2016 से बिहार में शराबबंदी लागू है. शराबंदी के बाद सरकार की सबसे बड़ी चिंता राजस्व को लेकर ही थी क्योंकि शराब राजस्व का एक बड़ा जरिया था. इसे लेकर विपक्ष भी सरकार पर निशाना साध रहा था.

देखें रिपोर्ट

यह भी पढ़ें-VIDEO: गुस्से में गजराज, जमकर मचाए उत्पात

निबंधन से राजस्व की प्राप्ति
शराबबंदी के बाद शराब की बिक्री से राजस्व तो बंद हो गया लेकिन जमीन, फ्लैट व अन्य अचल संपत्तियों के निबंधन से राज्य सरकार को अच्छी आमदनी हुई है. शराबबंदी से राजस्व का जो घाटा हुआ उसे निबंधन ने पूरा कर दिया.

यह भी पढ़ें-बिहार में गैस की 'आंच' पड़ी धीमी, कीमत HIGH, सब्सिडी दहाई

'सरकार ने कई तरह की छूट भी दी है. उसके बावजूद निबंधन में सरकार का राजस्व शराबबंदी के बाद भी कम नहीं हुआ है. सरकार ने पैतृक और परिवारिक संपत्ति बंटवारे के निबंधन और स्टांप निबंधन शुल्क की राशि घटाकर मात्र 50 रूपये कर दी है. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन में सरकार के तरफ से 1% छूट दी जा रही है जो अधिकतम 2000रुपये तक है.'-अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता

अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता

शराबबंदी और राजस्व
बिहार में शराबबंदी और राजस्व पर सियासत जारी है. विधानसभा क्षेत्रों में भी शराबबंदी एक बड़ा मुद्दा बन रहा है. कांग्रेस के कई सदस्य तो शराब बंदी के पुनर्विचार और इसके फिर से बिक्री शुरू करने की मांग तक कर रहे हैं. विपक्ष का यह भी कहना है कि 15000 करोड़ से अधिक के राजस्व का बिहार को शराबबंदी के कारण नुकसान हो रहा है.

शराबबंदी के बावजूद बिहार का रेवन्यू बढ़ा

राजस्व पर सियासत
नीतीश कुमार बार बार इस बात को दोहराते हैं कि शराबबंदी को लेकर कोई समझौता नहीं होगा और ना ही इस पर कोई विचार ही किया जाएगा. बिहार में मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग के राजस्व का दो प्रमुख स्त्रोत है एक तो शराब की बिक्री से मिलने वाला राजस्व और दूसरा निबंधन से. शराबबंदी के बाद शराब की बिक्री से राजस्व तो बंद हो गया लेकिन निबंधन से राजस्व में कमी नहीं आई है.

बिहार को निबंधन से मिलने वाले राजस्व कुछ इस प्रकार से हैं

ग्राफिक्स

वहीं वित्तीय वर्ष 2021-22 में विभाग के लिए 5000 करोड़ का लक्ष्य रखा गया है.

सरकार के आय का सीमित स्त्रोत है. ऐसे में जनता पर किसी न किसी रूप में भार दिया जा रहा है.- मृत्युंजय तिवारी, आरजेडी प्रवक्ता

मृत्युंजय तिवारी, आरजेडी प्रवक्ता

यह सही है कि स्टांप शुल्क बढ़ाया गया है लेकिन शराब बंदी का जो बड़ा फैसला हुआ है उसका व्यापक असर हुआ है.- विनोद शर्मा, बीजेपी प्रवक्ता

'जनता पर बोझ बढ़ा'
एक तरफ बिहार में शराबबंदी से सामाजिक माहौल में बदलाव देखा जा रहा है. दुर्घटनाएं कम हुई हैं और घरेलू हिंसा में भी कमी आई है. वहीं विपक्ष का आरोप है कि राजस्व प्राप्ति के लिए जनता पर बोझ बढ़ाया जा रहा है. इधर बीजेपी का कहना है कि यह सही है कि स्टांप शुल्क बढ़ाया गया है लेकिन सरकार को संसाधन जुटाने पड़ेंगे दूसरा कोई रास्ता नहीं है.

राजस्व में इजाफा
बिहार में एक तरफ शराबबंदी के बाद शराब की बिक्री से राजस्व का तो नुकसान हो रहा है जो दिख भी रहा है लेकिन मद्य निषेध उत्पाद निबंधन विभाग के ही दूसरे स्रोत निबंधन से राजस्व में लगातार इजाफा हो रहा है और यह भी साफ दिख रहा है. साथ ही सरकार का यह भी दावा है कि अन्य मदों से भी सरकार के राजस्व में लगातार इजाफा हो रहा है और लोगों के सामाजिक के साथ आर्थिक स्थिति में भी काफी बदलाव आया है.

Last Updated : Mar 12, 2021, 5:42 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details