बिहार

bihar

ETV Bharat / state

CAG रिपोर्ट पर सियासत: विपक्ष- श्वेत पत्र जारी करे सरकार, सत्ता पक्ष- पारदर्शी ढंग से काम कर रहे CM नीतीश

बिहार में सीएजी (CAG) ने अपनी रिपोर्ट में कई तरह की खामियों को उजागर किया है. जिस पर अब सियासी बवाल मचा हुआ है. विपक्ष का कहना है कि बिहार में सुशासन की सरकार है, यहां जो कुछ भी हो रहा है, वह सब ठीक है. पढ़ें पूरी खबर...

नीतीश
नीतीश

By

Published : Jul 30, 2021, 10:18 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा के मानसून सत्र में 2018-19 का सीएजी रिपोर्ट (CAG Report) भी पेश किया गया. सीएजी रिपोर्ट में सरकार के कई विभागों में अनियमितता का उजागर किया गया है. बड़े पैमाने पर राजस्व की हानि को भी दिखाया गया है.

सीएजी रिपोर्ट को लेकर माले ने कहा है कि सरकार (Bihar Government) को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए. वही आरजेडी के सदस्य ललित यादव ने कहा सीएजी रिपोर्ट आने के बाद कई साल तक मामले लंबित रहते हैं लेकिन होता कुछ नहीं है, जबकि सत्ता पक्ष का कहना है कि सरकार में सब कुछ पारदर्शिता है, यदि कुछ भी रिपोर्ट में है तो सरकार उसको देखेगी.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें- CAG रिपोर्ट पर विपक्ष ने सरकार को घेरा, BJP ने कहा- लोक लेखा समिति करेगी विचार

दरअसल, सीएजी की रिपोर्ट में बिहार सरकार के अलग-अलग विभागों में अनियमितता सामने आई है. परिवहन विभाग (Transport Department) की अनियमितता के चलते सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगा है. बिहार में 1% लोगों को ही मनरेगा के तहत 100 दिनों का रोजगार मिला है. भारत नेपाल सीमा सड़क परियोजना में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पाई गई है.

रिपोर्ट पर माले विधायक मनोज मंजिल ने कहा कि सरकार को सीएजी की रिपोर्ट पर एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए, उन्होंने कहा कि CAG ने जो रिपोर्ट दिया है वह सही है. वहीं, सीपीआईएम के अजय कुमार का कहना है सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में मनरेगा को लेकर जिस प्रकार से अनियमितता का उजागर किया है. वह सरकार के दावे का पोल खोलने के लिए काफी है.

ये भी पढ़ें- कौन होगा JDU का राष्ट्रीय अध्यक्ष? नीतीश के लिए मुश्किल घड़ी

वहीं आरजेडी विधायक ललित यादव का कहना है कि मैं भी लोक लेखा समिति का अध्यक्ष रहा हूं. हकीकत से वाकीफ हूं. सीएजी की रिपोर्ट कई साल तक इसी तरह रह जाता है, कुछ होता नहीं है. बिहार सरकार पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि सुशासन की सरकार है, यहां जो भी हो रहा है सब ठीक है.

विपक्ष के आरोप पर सत्ताधारी बीजेपी विधायक संदीप चौरसिया का कहना है कि सीएजी ने रिपोर्ट दी है. अगर उसमें कुछ भी अनियमितता होगी तो सरकार उसको देखेगी. बिहार सरकार पारदर्शी ढंग से काम कर रही है.

ये भी पढ़ें: 31 जुलाई को दिल्ली में होगी जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक, कई विषयों पर होगी चर्चा

ऐसा नहीं है कि सीएजी की रिपोर्ट पर पहली बार सियासत हो रही है और विपक्ष सरकार को घेर रहा है. इससे पहले भी सरकार घेरे में रही है और एक बार फिर से विपक्ष को मुद्दा मिल गया है. बता दें कि रिपोर्ट लोक लेखा समिति के पास भेज दी गयी है और लोक लेखा समिति ही इस पर अब फैसला लेगी.

गौरतलब है कि गुरुवार को सीएजी की रिपोर्ट बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) में पेश हुई थी. रिपोर्ट में अप्रैल 2018 से फरवरी 2020 तक 629 मामलों का पता लगाया गया है, जिसमें सरकार को 3658 करोड़ रुपये की राजस्व हानि हुई है. भारत नेपाल सीमा सड़क परियोजना और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के क्रियान्वयन में अनियमितता हुई. इसके साथ ही बिहार महादलित विकास मिशन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए गए हैं.

महालेखाकार राम अवतार शर्मा ने कहा, 'भारत नेपाल सीमा पर 5 साल में केवल 24 किलोमीटर सड़क का निर्माण हुआ. 31 पुलों का एप्रोच पथ का निर्माण नहीं हो सका. 800 करोड़ रुपये के बदले भूमि अधिग्रहण का बजट बढ़कर 2200 करोड़ रुपये हो चुका है. बीएसआरटीसी को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में वेतन और पेंशन मद के लिए 215 करोड़ रुपये कर्ज के रूप में दिये थे. कर्ज नहीं चुका पाने की स्थिति में सरकार ने सुल्तान भवन की कीमत 262 करोड़ रुपये लगा दी और हिसाब बराबर कर दिया. वह भवन 1962 से बिहार सरकार की थी. कागजों पर दिखाकर सरकार ने कर्ज को बराबर कर दिया.

ये भी पढ़ें- शनिवार को JDU राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक, पार्टी को मिलेगा नया राष्ट्रीय अध्यक्ष? उमेश कुशवाहा ने बताया

सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2014 से 2019 के पांच साल के दौरान बिहार के वैसे परिवार जिन्हें मांगने के बाद 100 दिनों का रोजगार मिला उनकी संख्या एक प्रतिशत से कम से लेकर तीन प्रतिशत तक थी. इसी अवधि में मनरेगा के तहत लिए गए कार्यों में से 14 प्रतिशत तक कार्य ही पूर्ण हो सके.

नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट (Dream Project) लोहिया पथ चक्र (Lohia Path Chakra) में भी भारी गड़बड़ी देखने को मिली. पटना में फ्लाई ओवर बनाने के लिए बिहार राज्य पुल निर्माण निगम ने भारी गड़बड़ी की. काम शुरू करने और तकनीकी स्वीकृति के पहले निर्माण करने वाले ठेकेदारों को 66 करोड़ रुपये दे दिए. जिससे राजकोष पर 18.41 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ गया.

ABOUT THE AUTHOR

...view details