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प्रशांत किशोर ने लालू और नीतीश के शासन काल पर उठाए सवाल... बिहार में मचा सियासी बवाल

प्रशांत किशोर के ऐलान (Prashant Kishor announcement) के बाद बिहार की सियासत में एक बार फिर से बयानबाजी का दौर चल पड़ा है. पीके ने नीतीश और लालू के शासन काल पर सवाल उठाए हैं. इसपर बीजेपी खुलकर पीके पर हमला कर रही है. वहीं जदयू और राजद के नेता कुछ भी कहने से बचते नजर आ रहे हैं.

bihar politics intensified after Prashant Kishor announcement
bihar politics intensified after Prashant Kishor announcement

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Published : May 5, 2022, 5:28 PM IST

पटना: पटना में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Election Strategist Prashant Kishor) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लालू (Lalu Yadav) और नीतीश (CM Nitish Kumar) के शासन काल पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने दोनों के शासन काल की तारीफ की लेकिन बिहार के पिछड़ेपन का जिम्मेदार भी ठहरा दिया. इस पर बिहार की राजनीति (bihar politics) एक बार फिर से गरमाई हुई है. बीजेपी जहां पीके पर खुलकर हमला कर रही है वहीं जदयू, राजद खुलकर कुछ भी कहने से बचते नजर आ रहे हैं. लेकिन पीके के एलान से राजनीतिक दलों में बेचैनी जरूर देखन को मिल रही है.

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प्रशांत पर अशांत हुए राजनीतिक दल:आखिरकार प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति में कदम बढ़ा दिए हैं. प्रशांत किशोर ने बिहार के तमाम राजनीतिक दलों की बेचैनी बढ़ा दी है. पीके चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ने के लिए रणनीति बना चुके हैं. प्रशांत किशोर महात्मा गांधी के रास्ते पर चल कर अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करना चाहते हैं. सुराज स्लोगन के साथ प्रशांत किशोर अपने कारवां को आगे बढ़ाएंगे. पीके 3000 किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे और गांव-गांव घूमेंगे. इसके अलावा 18000 सक्रिय राजनीतिक कार्यकर्ताओं से वह विमर्श करने के बाद राजनीतिक दल का ऐलान करेंगे. प्रशांत किशोर ने लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के शासनकाल पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि 30 साल के दौरान बिहार की जनता की अपेक्षा पूरी नहीं हुई.

बिहार से प्रशांत किशोर की राजनीति की शुरूआत: प्रशांत किशोर ने लगभग एक दशक तक चुनावी रणनीतिकार के रूप में काम किया और उनकी पहचान भी किंग मेकर रुप में बनी. आपको बता दें कि प्रशांत किशोर बिहार की धरती के रहने वाले हैं और बक्सर उनका पैतृक जिला है. बिहार के भूमि से जुड़े होने के कारण प्रशांत किशोर ने बिहार को ही राजनीति के लिए चुना है.

"चुनाव और राजनीति की मुझे ज्यादा न सही लेकिन थोड़ी बहुत समझ तो है 10 साल में मैंने वो करके दिखाया है. उसके लिए मुझे पदयात्रा करने या लोगों से मिलने की जरूरत नहीं है. लेकिन मैं मानता हूं कि बिहार में अगर परिवर्तन लाना है तो इसके अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं हैं. किसी एक व्यक्ति की सोच या प्रयास से बिहार को बदला नहीं जा सकता है."- प्रशांत किशोर, चुनावी रणनीतिकार

भाजपा ने पीके पर किए तीखे वार:प्रशांत किशोर ने अपनी रणनीति का खुलासा करते हुए कहा कि 10 साल तक मैंने चुनावी रणनीतिकार के तौर पर काम किया और मुझे राजनीति का अनुभव भी हो गया. मेरा मानना है कि बिहार में बदलाव राजनीति के जरिए हो सकता है इसलिए मैंने सक्रिय राजनीति में प्रवेश करने का फैसला लिया है. इस पर बिहार सरकार के मंत्री और भाजपा नेता प्रमोद कुमार ने कहा है कि दल बनाने के लिए हर कोई स्वतंत्र है. प्रशांत किशोर पहले नीतीश कुमार के लिए एजेंडा पर काम करते थे लेकिन अब वह प्रोपेगेंडा पर काम कर रहे हैं. बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर को जगह मिलने वाली नहीं है.

"पहले एजेंडा था अब प्रोपेगेंडा चला रहे हैं. हर कोई पार्टी बनाने के लिए स्वतंत्र है. देश में सैकड़ों पार्टी है. इससे हमें कोई चुनौती नहीं है. सीएम के एजेंडा के साथ पीके ने काम किया है. राज्य सरकार के उच्च पद पर थे. उनको हमारा कोटि कोटि नमन."-प्रमोद कुमार, गन्ना उद्योग मंत्री, बिहार

जदयू और राजद ने साधी चुप्पी: प्रशांत किशोर के मसले पर जदयू और राजद नेताओं को कुछ भी बोलने से मना किया गया है. जदयू नेताओं ने सीधे-सीधे प्रशांत किशोर के मुद्दे पर कुछ भी बोलने से इनकार किया लेकिन राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि हम लोग ऐसे लोगों का नोटिस नहीं लेते हैं. बिहार में तेजस्वी यादव के आगे कोई टिकने वाला नहीं है.

"हमारी पार्टी इन चीजों को नोटिस में नहीं लेती है. आज कह रहे हैं कि महात्मा गांधी के रास्ते पर चलेंगे तो क्या पहले गोडसे के रास्ते पर चल रहे थे. कोई कुछ भी कहने के लिए आजाद है. जनता का भरोसा और विश्वास तेजस्वी यादव ने जीता है. बिहार में तेजस्वी मॉडल की बात हो रही है."- मृत्युंजय तिवारी,राजद प्रवक्ता

एक्सपर्ट की राय:राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का मानना है कि प्रशांत किशोर के लिए बिहार में अग्नि परीक्षा है. अब तक उन्होंने रणनीतिकार के रूप में काम किया लेकिन अब उन्हें सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम करना होगा. उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती जातिगत राजनीति के जकड़न को तोड़ने की होगी. सैंद्धांतिक और व्यवहारिक चीजों में बहुत फर्क होता है.

"प्रशांत ने एक स्लोगन दिया है. स्लोगन कैची होते हैं. जब आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी तब सुराज की बात होती थी. पीके ने वहां से तथ्य को उठाया है. प्रशांत किशोर इसमें कितना सफल होंगे ये भविष्य के गर्भ में है. नई पार्टी बनाने के बाद इनकी सबसे बड़ी चुनौती जमीनी पकड़ होगी. बीजेपी, राजद और जदयू सभी की राजनीति जातीय समीकरण के इर्द-गिर्द घूमती है लेकिन प्रशांत का ऐसा कोई समीकरण नहीं दिख रहा है."- डॉ संजय कुमार,राजनीतिक विश्लेषक

प्रशांत किशोर का ऐलान : इससे पहले, चुनावी रणनीतिकार के रूप में चर्चित प्रशांत किशोर (prashant kishor jan suraj plan) ने अपने भविष्य की योजना का खुलासा करते हुए गुरुवार को कहा कि वे बिहार में पदयात्रा करेंगे और करीब 17 से 20 हजार लोगों से मिलकर उनका सुझाव लेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि बिहार को अगर अग्रणी राज्यों की सूची में लाना है तो नई सोच और नए प्रयास की जरूरत है. पटना में एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने जन सुराज की चर्चा करते हुए कहा कि दो अक्टूबर से वे पश्चिम चंपारण से पदयात्रा की शुरूआत करेंगे. इस दौरान जिन लोगों से मिलने की आवश्यकता होगी उनसे मुलााकत करूंगा और उन्हें जनसुराज की परिकल्पना से जोड़ने का प्रयास करूंगा.

'अभी नहीं बना रहा कोई राजनीतिक दल' :प्रशांत किशोर ने फिलहाल राजनीतिक पार्टी बनाने से इंकार किया. हालांकि उन्होंने कहा कि अभी तक 17 से 18 हजार लोगों को चिह्नित किया गया है, एक महीने में इनकी संख्या 20 हजार भी हो सकती है. इन लोगों से मिलकर, बैठक कर आगे की योजना तय की जाएगी कि राजनीतिक पार्टी बनानी है कि मंच बनाना है या ऐसे ही रहना है. उन्होंने इतना जरूर कहा कि जो भी होगा उसमें मैं एक सदस्य रहूंगा. वह पार्टी प्रशांत किशोर की नहीं होगी.

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