पटना: राजधानी पटना समेत पूरे बिहार में इन दिनों अपराध का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. पुलिस मुख्यालय द्वारा बिहार में बढ़ रहे अपराध की रोकथाम के लिए नए कदम उठाए जा रहे हैं. सभी जिलों के उन थानों को चिह्नित किया गया है जहां पिछले दिनों ज्यादातर घटनाएं हुईं.
इन थानों में लंबित कांडों के अनुसंधान के साथ-साथ फरार अपराधियों को गिरफ्तार करने के लिए विशेष टीम गठित करने का निर्देश दिया गया है. पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार का मानना है कि पिछले दिनों बिहार में आपराधिक वारदातों में बढ़ोतरी हुई है, जिसकी रोकथाम करना अति आवश्यक है.
सवाल यह उठ रहा है कि 2005 की तुलना में 2021 में पुलिस के संसाधन में लगातार वृद्धि हुई है. इसके बावजूद आपराधिक वारदातों में क्यों कमी नहीं आ रही है? एक्सपर्ट और पूर्व डीजी एसके भारद्वाज के अनुसार 2005 वाला मॉडल फिर पुलिस विभाग को अपनाना चाहिए.
अपराधियों पर नजर रखने के लिए सर्विलांस टीम गठित
पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार ने कहा कि फरार अपराधियों की गतिविधियों पर नजर रखने को लेकर सर्विलांस टीम गठित की गई है. जिससे अपराधियों की गतिविधियों पर ध्यान रखा जा रहा है. पुलिस विभाग जीरो टॉलरेंस की नीति पर कायम है.
अपराधियों के साथ-साथ पुलिस कर्मियों पर भी पुलिस मुख्यालय नजर बनाए हुए है. अगर कोई पुलिसकर्मी अनैतिक कार्य या अपराध कर्मियों से जुड़ा पाया जाएगा तो उस पर भी कार्रवाई की जाएगी. जिलों में होने वाले अपराधिक वारदातों पर लगाम लगाने के लिए जिला के अधीक्षक, आईजी और डीआईजी लेवल के अधिकारी को मॉनिटरिंग करने का निर्देश दिया गया है. जरूरत के हिसाब से पुलिस मुख्यालय के अधिकारी भी क्षेत्रों में जाकर समीक्षा करेंगे.
बिहार में बढ़ रहे अपराध को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2005 की तरह फिर से लॉ एंड ऑर्डर की समीक्षा शुरू कर दी है. उन्हें भी अहसास हुआ है कि उनके द्वारा विगत दिनों में समीक्षा नहीं करना बिहार को भारी पड़ा है तभी तो पिछले डेढ़ महीने में मुख्यमंत्री ने पांच बार समीक्षा बैठक की.
समीक्षा से अधिकारियों पर बना रहता है दबाव
पूर्व डीजी एसके भारद्वाज ने कहा "जिस तरह से बिहार में अपराध का ग्राफ बढ़ रहा है उसके रोकथाम हेतु पुलिस मुख्यालय के अधिकारी और वरिष्ठ अधिकारियों को खुद उन घटनाओं पर समीक्षा करनी चाहिए. एनडीए सरकार के फर्स्ट पेज में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा खुद महीने में एक बार समीक्षा किया जाता था. समीक्षा करते रहने से नीचे के अधिकारियों पर दबाव बना रहता है और वे अपना काम सही ढंग से करते रहते हैं. यही कारण है कि बिहार में 2005 में सरकार बनने के बाद अपराधिक वारदातों पर लगाम लग गया था."
"आजकल के जो एसपी हैं वे समीक्षा के ऊपर कम ध्यान दे रहे हैं जबकि उनके पास पर्याप्त समय है. अगर वे अपनी तरफ से समीक्षा अपने जिला में करेंगे तो निश्चित तौर पर अपराध में कमी आएगी. पुलिस मुख्यालय से भी समीक्षा होनी चाहिए. जरूरत पड़े तो पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों को उन जिलों में भी खुद जाकर समीक्षा करनी चाहिए. किसी घटना में संलिप्त अपराधी को अगर सही समय पर अपराध अनुसंधान कर सजा मिलती है तो जरूर अपराध में कमी आएगी."- एसके भारद्वाज, पूर्व डीजी
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