पटना: बिहार पुलिस मुख्यालय के बीचों बीच स्थित इस शिवालय को देखर कोई बस यही समझेगा कि आस्था की वजह से यह मंदिर इस परिसर में अवस्थित है. लेकिन हकीकत कुछ अलग है. यहां बिहार पुलिस में तैनात वायरलेस कर्मियों का सरकारी आवास था. बिहार के तत्कालीन डीजीपी अभयानंद ने हैदराबाद की तर्ज पर पटेल भवन में अत्याधुनिक पुलिस भवन बनाने का प्रस्ताव दिया. भवन के प्रस्ताव के मुताबिक पूरा परिसर खाली करना कर अत्याधुनिक पुलिस भवन बनाने का प्रस्ताव बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष गया. मुख्यमंत्री ने हरी झंडी दे दी और नक्शा पास होने के बाद आवासीय भवन तोड़ने का काम शुरू हो गया.
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जब शिवालय तोड़ने पहुंची जेसीबी हो गई बंद: परिसर के लोगों ने पहले आवास तोड़ने को कहा और आखिर में परिसर के बीचों बीच स्थित शिवालय तोड़ने का वक्त आ गया. नक्शे के मुताबिक मंदिर को तोड़ देने का आदेश था. पुलिस भवन बना रही कम्पनी के एमडी ने मंदिर तोड़ने को कहा और कम्पनी के कर्मचारी जेसीबी लेकर तोड़ने में जुट गये. जेसीबी मशीन जैसे ही मंदिर की ओर बढ़ कर तोड़ने का प्रयास किया जेसीबी अचानक बंद हो गयी. कम्पनी के कर्मचारियों ने एक नहीं करीब 10 दिनों तक मंदिर तोड़ने का प्रयास किया और हर बार निराशा ही हाथ लगी. मंदिर की वजह से पुलिस भवन का नक्शा खराब हो रहा था और शिवालय गिराने में कम्पनी के कर्मचारी बार बार विफल होते रहे.
शिवालय की वजह से बदलना पड़ा PHQ का नक्शा: मामला तत्काल डीजीपी के समक्ष गया और मंदिर के पुजारी ने सरकार के इस फैसले को आस्था के साथ खिलवाड़ बताया. पुजारी ने तत्कालीन डीजीपी को मंदिर का मुआयना कराया. मंदिर की शक्ति का आभास कराया और अभयानंद जी जब शिवालय की शक्ति का अहसास किये तो उन्हें लगा कि मंदिर तोड़ना उचित नहीं है. इधर डीजीपी की ओर से प्रस्तावित नक्शा पास हो चुका था और इन्हें लग रहा था कि मंदिर तोड़ना उचित नहीं हैं. इसी उहापोह की स्थिति में करीब 20 दिनों तक पुलिस मुख्यालय बनने का काम रुका रहा. एक तरफ नक्शा पास हो जाने और हैदराबाद की तर्ज पर पुलिस भवन की परिकल्पना अभयानंद को परेशान कर रहा था तो दूसरी तरफ मंदिर जाकर उन्हें जो एसहास हुआ. उसके मुताबिक मंदिर तोड़ना अनुचित लग रहा था. इसी उधेड़बुन में उस समय के तत्कालीन डीजीपी अभयानंद फंसे रहे और आत्ममंथन और चिंतन करते रहे. करीब बीस दिनों के आत्मचिंतन और मंथन के बाद उन्होंने निश्यच किया कि भले ही नक्शे में तब्दीली करना पड़े पर किसी भी कीमत पर मंदिर नहीं टूटना चाहिए.
पूर्व के नक्शे में हुई तब्दीली: काफी मुश्किल से एक एक चीज को ध्यान में रखकर पुलिस भवन का नक्शा तैयार किया गया था. इस कार्य में आर्किटेक्ट की टीम के साथ खुद तत्कालीन डीजीपी अभयानंद, डीआईजी रविन्द्रण शंकरण सहित कई पुलिस पदाधिकारियों ने अपने सुझाव दिए थे. फाइनल नक्शे पर सरकार की मुहर थी और मंदिर की वजह से एक बार फिर नक्शा बदलने की स्थिति आ गयी थी. अभयानंद ने अपने ही किये गये प्रयासों पर पानी फेर कर नये सिरे से नक्शा बनवाने का बीड़ा उठाया. उन्होंने आर्किटेक्ट की टीम के साथ अपने कुछ खास पुलिस पदाधिकारियों को बुलाया. सबसे इस शिवालय को बिना हटाये नक्शा का प्रारुप बनाने को कहा गया. सबने अपने अपने सुझाव दिये और उसमें से जो सबसे उत्तम सुझाव था उसी को अमल में लाकर नक्शा तैयार किया गया.