पटना:बिहार पुलिस द्वारा अभियान चलाकर अपराधियों की गिरफ्तारी की जा रही है. पुलिस मुख्यालय द्वारा मिली जानकारी के अनुसार पिछले 2 साल के शुरुआती 3 महीने की तुलना में 2021 के शुरुआती 3 महीने (जनवरी, फरवरी और मार्च) में अधिक एफआईआर दर्ज किए गए और गिरफ्तारियां भी सुनिश्चित की गई.
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पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2021 तक 69342 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 49638 लोगों की गिरफ्तारी की गई. 2019 के शुरुआती 3 महीनों में 66662 मामले दर्ज किए गए थे. 2020 के शुरुआती 3 महीने में 62659 मामले दर्ज किए गए थे.
2021 के शुरुआती 3 महीनों में 998 देसी हथियार और सात रेगुलर हथियार के साथ 2506 गोलियां बरामद की गईं. अपराधियों की गिरफ्तारी के साथ-साथ अवैध हथियार बनाने वाली 15 मिनी गन फैक्ट्रियों का भी खुलासा किया गया. दरअसल, पुलिस के विशेष इंटेलिजेंस द्वारा मिल रही जानकारी के अनुसार बिहार में हथियारों की तस्करी पिछले कुछ दिनों में बढ़ गई है. जम्मू कश्मीर में गिरफ्तार हुए आतंकी के पास से बिहार के मुंगेर जिले में बने हथियार बरामद हुए थे. इसके बाद बिहार पुलिस हथियार तस्करों और अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए कार्रवाई कर रही है.
बिहार पुलिस मुख्यालय को लगातार सूचना मिल रही थी कि मुंगेर जिले में बन रहे अवैध हथियार की सप्लाई कई अन्य राज्य यहां तक कि आतंकियों को हो रही है. इसके बाद पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर मुंगेर, लखीसराय समेत अन्य जिले में जहां अवैध हथियार बनाए जाते हैं या तस्करी किए जाते हैं उन जगहों पर छापेमारी कर गिरफ्तारी के साथ-साथ अवैध हथियार बरामदगी के लिए भी मुहिम चलाई जा रही है. अप्रैल में भी एसटीएफ ने कई हथियार तस्करों को गिरफ्तार किया है. मई माह के शुरुआती दिनों में पांच हथियार तस्करों को गिरफ्तार किया गया और दो दर्जन अवैध हथियार पकड़े गए.
जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही पुलिस
पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार ने कहा "बिहार पुलिस जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है. इस वजह से पुलिस मुख्यालय द्वारा सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया गया है कि फ्री रजिस्ट्रेशन यानी एफआईआर करने पर जोर दें. इस वजह से एफआईआर की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ रही है. बिहार में हर माह औसतन 20 हजार एफआईआर दर्ज हो रहे हैं. पहले लोगों की समस्या थी कि थाने में उनकी एफआईआर दर्ज नहीं होती थी. उनकी समस्याओं को नहीं सुना जाता था. अब ऐसा बिल्कुल नहीं होता है."
"कोई व्यक्ति अगर अपनी समस्या को लेकर थाना तक पहुंचता है तो उसकी समस्या को सुनकर एफआईआर दर्ज कर अनुसंधान किया जाता है. अनुसंधान के क्रम में अगर कोई व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो उसपर कार्रवाई की जाती है. बिहार में लॉ एंड ऑर्डर बना रहे इसके लिए लगातार मुहिम के तहत अपराधियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित की जा रही है."- जितेंद्र कुमार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय
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