पटना :बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ ने सक्षमता परीक्षा का विरोध किया है. उनका साफ कहना है कि संघ से जुड़े हुए लाखों नियोजित शिक्षक राज्य कर्मी बनने के लिए सक्षमता परीक्षा नहीं देंगे. संघ के अध्यक्ष बृजनंदन शर्मा और कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा है कि नियोजित शिक्षक पहले भी दक्षता परीक्षा पास कर चुके हैं. इसके अलावा सीटेट, बीटेट जैसी तमाम आहर्ताएं अपने पास रखते हैं. ऐसे में सक्षमता परीक्षा में शामिल होने का कोई तुक नहीं बनता है.
''मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं कि नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी बनने के लिए मामूली परीक्षा देनी होगी. मुख्यमंत्री बताएं कि मामूली परीक्षा क्या होती है. क्या नियोजित शिक्षक कठिन सवालों का हल नहीं कर सकते हैं. मुख्यमंत्री यदि कह रहे हैं कि मामूली परीक्षा है तो क्या क्वेश्चन सेट करने वाला सीएम से पूछ कर क्वेश्चन सेट करेगा कि कौन सा प्रश्न आसान है कौन सा कठिन है और किस पूछा जाए.''- बृजनंदन शर्मा, अध्यक्ष, बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ
'CM नीतीश ईगो सटिस्फाई कर रहे हैं' :बृजनंदन शर्मा यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सिर्फ ईगो के सेटिस्फेक्शन के लिए नियोजित शिक्षकों को परीक्षा के लिए बाध्य कर रहे हैं. सीएम को अपना ईगो खत्म करना चाहिए. सरकार विद्यालय में शिक्षकों में विभिन्न प्रकार के संवर्ग लाकर शिक्षकों में भेद कर रही है.
सभी शिक्षकों के लिए बने एक नियमावली : वहीं संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि नियोजित शिक्षक परीक्षा में शामिल नहीं होंगे. सरकार से उनका यही कहना है कि शिक्षकों के लिए नियमावली हो जिसमें किसी प्रकार के भी शिक्षकों में किसी प्रकार का भेद नहीं किया जाए. सभी के लिए एक नियमावली हो. चाहे बीपीएससी पास कर आए शिक्षक हों या नियोजित शिक्षक, जो राज्य कर्मी बनेंगे. सभी के लिए एक सेवा शर्त एक वेतनमान और सारी सुविधाएं भी एक होनी चाहिए. इसके अलावा जो नियोजित शिक्षक इस परीक्षा में सफल होकर शिक्षक बने हैं उन्हें वेतन संरक्षण का लाभ दिया जाए.