पटना: नीति आयोग (NITI Aayog) की एसडीजी (SDG India Index) पर आधारित रिपोर्ट से बिहार में बवाल मचा हुआ है. रिपोर्ट में बिहार को सबसे निचले पायदान पर रखा गया है. नीति आयोग की रिपोर्ट आने के बाद जदयू के तरफ से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले, इसकी मांग जोर पकड़ने लगी है.
जदयू के पूर्व मंत्री और विधान पार्षद नीरज(MLC Bihar) का कहना है कि यह मांग पुरानी है. लेकिन रिपोर्ट से जोड़कर भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है. सर्वदलीय बैठक में विधानमंडल में प्रस्ताव पास हो चुका है.
कोई भी इसे इनकार नहीं कर सकता है. नीरज ने कहा कि केंद्र में सरकार चाहे यूपीए की हो चाहे एनडीए की यह मांग हमेशा रहेगी.
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ट्वीट कर प्रधानमंत्री से की थी मांग
बता दें कि नीति आयोग की रिपोर्ट के बाद जदयू नेता लगातार कह रहे हैं कि बिहार के विकास के लिए विशेष राज्य का मिलना जरूरी है. रिपोर्ट आने के बाद सबसे पहले जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री से इसकी मांग की और उसके बाद जदयू के कई नेताओं ने मजबूती से पक्ष रखा है.
सतत विकास को लेकर 2030 तक का लक्ष्य
जदयू के पूर्व मंत्री और विधान पार्षद नीरज कुमार का कहना है कि रिपोर्ट से जोड़कर बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग को देखना भ्रम फैलाने वाली बात है. उनका कहना है कि सतत विकास को लेकर 2030 तक का लक्ष्य रखा गया है.
बिहार की जिन क्षेत्रों में उपलब्धि हुई है, खासकर महिला सशक्तिकरण, सैनिटाइजेशन, ऊर्जा, पेयजल इन सभी पर चर्चा नहीं हो रही है.
बिहार की जनता नहीं हैं दोषी
मंत्री नीरज ने कहा कि बिहार-झारखंड जब एक थे तो हर घर बिजली नहीं पहुंची थी. कोयला की भी उपलब्धता थी. इसके लिए दोषी बिहार की जनता नहीं हैं. ऐतिहासिक पिछड़ापन है और इसके लिए बिहार की जनता गुनाहगार नहीं है. इसके लिए विशेष मदद की जरूरत है और इस देश में विशेष मदद सामाजिक व्यवस्था में मिलता है.