पटना: भारत सरकार ने 25 दिसंबर 2000 कोप्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana) की शुरुआत की थी. इस योजना का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में 500 या इससे अधिक आबादी वाले (पहाड़ी और रेगिस्तानी क्षेत्रों में 250 लोगों की आबादी वाले गांव) सड़क-संपर्क से वंचित गांवों को बारहमासी सड़कों से जोड़ना है. लेकिन इस योजना के तहत बन रही सड़कों को लेकर बिहार में सियासी संग्राम छिड़ गया है.
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बिहार में ग्रामीण इलाकों को जोड़ने के लिए ग्रामीण टोला संपर्क निश्चय योजना के साथ मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत सड़कों का निर्माण कार्य चल रहा है. कुल मिलाकर 1,29,209 बस्तियों में से बिहार अब तक 68,174 बस्तियों को कनेक्टिविटी प्रदान करने में सक्षम है. 68,174 बस्तियों में से लगभग 45,672 बस्तियों को केंद्र प्रायोजित प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत अवशेष 22,693 बस्तियों को राज्य की योजनाओं के तहत कवर किया जाना है.
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साल 2015 तक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना पूरी तरह केंद्रीय स्तर पर वित्त पोषित था लेकिन उसके बाद केंद्र का हिस्सा 60 प्रतिशत और राज्य का हिस्सा 40% हो गया. साल 2020 तक राज्य के 4,643 संपर्क विहीन टोलों में कुल 3,977 किलोमीटर सड़क का निर्माण करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन अब तक लक्ष्य पूरा नहीं हो सका है. निर्माण कार्य भी गुणवत्ता पूर्ण तरीके से नहीं किया गया.
बिहार में सरकार ने 6,162 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों को अपग्रेड करने का लक्ष्य रखा है. निर्माण कार्य में विलंब के पीछे कई वजह है कई जगहों पर तो जमीन विवाद के चलते निर्माण कार्य अधर में है, तो कई निर्माण कार्य कोर्ट में लंबित मामलों के चलते अधर में हैं. कई जगहों पर ठेकेदार ही ब्लैक लिस्टेड हो चुके हैं.